भारत के प्रमुख बड़े पैमाने के उद्योग भौगोलिक दृष्टि से कुछ विशेष क्षेत्रों में ही स्थापित हो पाए हैं, इसके कारणों की व्याख्या करें एवं भारत के प्रमुख बुनियादी उद्योगों की व्याख्या करें।

भारत के प्रमुख बड़े पैमाने के उद्योग भौगोलिक दृष्टि से कुछ विशेष क्षेत्रों में ही स्थापित हो पाए हैं, इसके कारणों की व्याख्या करें एवं भारत के प्रमुख बुनियादी उद्योगों की व्याख्या करें।

अथवा

भारत में उद्योगों के कुछ क्षेत्र विशेष में स्थापित किए जाने के प्रमुख कारकों का उल्लेख करते हुए भारत के बुनियादी उद्योगों की व्याख्या करें ।
उत्तर – उद्योगों की अवस्थिति भौगोलिक, ऐतिहासिक, राजनैतिक तथा आर्थिक कारकों पर निर्भर करती है। यही कारण है कि भारत में प्रमुख बड़े पैमाने के उद्योग भौगोलिक दृष्टि से कुछ विशेष क्षेत्रों में ही स्थापित हो पाये है। प्रमुख कारकों में कच्चे माल की उपलब्धि, ऊर्जा, बाजार, पूंजी, परिवहन, श्रमिक आदि प्रमुख हैं।
> कच्चा माल- उद्योग सामान्यतः वहीं स्थापित किये जाते हैं जहां कच्चे माल की उपलब्धता होती है। जिन उद्योगों में निर्मित वस्तुओं का भार, कच्चे माल की तुलना में कम होता है, उन उद्योगों को कच्चे माल के निकट ही स्थापित करना होता है। जैसे- चीनी उद्योग । गन्ना भारी कच्चा माल है जिसे अधिक दूरी तक ले जाने से परिवहन की लागत बहुत बढ़ जाती है और चीनी के उत्पादन मूल्य में वृद्धि हो जाती है। लोहा और इस्पात उद्योग में उपयोग में आने वाले लौह-अयस्क और कोयला दोनों ही वजन ह्यस और लगभग समान भार के होते हैं। अतः अनुकूलनतम स्थिति कच्चा माल व स्रोतों के मध्य होगी जैसे जमशेदपुर।
> शक्ति (ऊर्जा)- उद्योगों में मशीन चलाने के लिये शक्ति की आवश्यकता होती है। शक्ति के प्रमुख स्रोत- कोयला, पेट्रोलियम, जल-विद्युत, प्राकृतिक गैस तथा परमाणु ऊर्जा है। लौह-इस्पात उद्योग कोयले पर निर्भर करता है, इसलिये यह उद्योग खानों के आस-पास स्थापित किया जाता है। छत्तीसगढ़ का कोरबा तथा उत्तर प्रदेश का रेनूकूट एल्युमीनियम उद्योग विद्युत शक्ति की उपलब्धता के कारण ही स्थापित हुए हैं।
> श्रम – स्वचालित मशीनों तथा कंप्यूटर युग में भी मानव श्रम के महत्त्व को प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता। अतः सस्ते व कुशल श्रम की उपलब्धता औद्योगिक विकास का मुख्य कारक है। जैसे- फिरोजाबाद में शीशा उद्योग, लुधियाना में होजरी तथा जालंधर व मेरठ में खेलों का सामान बनाने का उद्योग मुख्यतः सस्ते कुशल श्रम पर ही निर्भर है।
> परिवहन एवं संचार – कच्चे माल को उद्योग केंद्र तक लाने तथा निर्मित माल की खपत के क्षेत्रों तक ले जाने के लिये सस्ते एवं कुशल यातायात की प्रचुर मात्रा में होना अनिवार्य है। मुम्बई, चेन्नई, दिल्ली जैसे महानगरों में औद्योगिक विकास मुख्यतः यातायात के साधनों के कारण ही हुआ है।
> बाजार- औद्योगिक विकास में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका तैयार माल की खपत के लिये बाजार की है।
>  सस्ती भूमि और जलापूर्ति – उद्योगों की स्थापना के लिये सस्ती भूमि का होना भी आवश्यक है। दिल्ली में भूमि का अधिक मूल्य होने के कारण ही इसके उपनगरों में सस्ती भूमि पर उद्योगों ने द्रुत गति से विकास किया है।
उपर्युक्त भौगोलिक कारकों के अतिरिक्त पूंजी, सरकार की औद्योगिक नीति, औद्योगिक जड़त्व, बैंकिंग तथा बीमा आदि की सुविधा ऐसे गैर-भौगोलिक कारक हैं जो किसी स्थान विशेष में उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करते हैं।
• भारत के महत्वपूर्ण उद्योग : भारत में अनेक उद्योग की स्थापना की गई है जिनका विवरण निम्नवत् है
> लौह इस्पात उद्योगः देश का पहला उद्योग बंगाल आयरन वर्क्स कम्पनी की स्थापना 1874 ई. में प. बंगाल के कुल्टी में की की गई। 1907 ई. में जमशेदजी टाटा द्वारा साकची (जमशेदपुर) में टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी की स्थापना की गई। इसमें इस्पात का उत्पादन 1913 ई. से आरम्भ हुआ।
> सीमेंट उद्योग: सीमेंट का उत्पादन एवं उपभोग किसी देश के विकास का मापदंड है। भारत में सीमेंट उद्योग के विकास की वास्तविक शुरुआत 1914 ई. में हुई, जब पोरबंदर (गुजरात) में सीमेंट का कारखाना लगाया गया। 1934 ई. में एसोसिएट सीमेन्ट कम्पनी लिं. (ACC) की स्थापना की गई। भारत का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य राजस्थान है।
> रासायनिक उर्वरक उद्योगः भारत में रासायनिक खाद का पहला कारखाना 1906 ई. में तमिलनाडु में सुपर फॉस्फेट के उत्पादन हेतु लगाया गया। 1939 ई. में कर्नाटक के बैलागुला में आमोनिया कारखाना लगाया गया | सिन्दरी में 1951 ई. में एक बड़ा कारखाना लगाया गया, जो एशिया का सबसे बड़ा रासायनिक उर्वरक का संयंत्र है। उर्वरक उत्पादन एवं उपभोग में भारत का विश्व में चीन और अमेरिका के बाद तीसरा स्थान है। भारत अभी भी नाइट्रोजन उर्वरकों की अपनी खपत का 94% व फास्फेटी उर्वरकों की खपत का 82% ही उत्पादन कर पाता है। पोटाशी उर्वरकों के लिए भारत पूरी तरह से आयात पर निर्भर है।
> वस्त्र उद्योगः वस्त्र उद्योग, भारत का सबसे बड़ा, संगठित एवं व्यापक उद्योग है, जो देश के औद्योगिक उत्पादन का 14%, सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4%, कुल विनिर्मित औद्योगिक उत्पादन का 20% व कुल निर्यातों के 24.6% की आपूर्ति करता है। भारत में पहला सफल सूती कपड़ा कारखाना मुम्बई में कवासजी डावर द्वारा 1854 ई. में खोला गया, जिसमें उत्पादन कार्य 1856 ई. से आरम्भ हुआ। सर्वाधिक सूती मिलें तमिलनाडु (300) राज्य में सर्वाधिक मिलें कोयंबटूर जिलें में स्थापित हैं। मुम्बई को भारत के सूती वस्त्रों की राजधानी, कानपुर को उत्तर भारत का मैनचेस्टर, कोयम्बटूर को दक्षिण भारत का मैनचेस्टर एवं अहमदाबाद को भारत का बोस्टन कहा जाता है।
> जूट उद्योग: भारत में जूट को सोने का रेशा (Golden Fibre) कहा जाता है। भारत में जूट का प्रथम कारखाना 1859 ई. में पश्चिम बंगाल में रिसरा में लगाया गया। भारत की अधिकांश जूट मिलें पश्चिम बंगाल में स्थित हैं (लगभग 80% )। भारत सम्पूर्ण विश्व के 35% जूट के सामानों का निर्माण करता है और वह विश्व का सबसे बड़ा जूटों का समान बनाने वाला देश है।
> ऊनी वस्त्र उद्योगः भारत में ऊन की पहली मिल 1870 ई. में कानपुर में स्थापित की गई। वर्तमान समय में ऊनी वस्त्र उद्योग मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्यों में स्थित है। भारत विश्व का एक मात्र देश है जहाँ शहतूती, एरी, टसर एवं मूंगा चारों किस्म की रेशम का उत्पादन होता है। चीन के बाद भारत विश्व में प्राकृतिक रेशम उत्पन्न करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है । विश्व के कुल उत्पादन का 16% रेशम का उत्पादन भारत में होता है। भारत में आधे से अधिक रेशम का उत्पादन सिर्फ कर्नाटक से होता है।
> चमड़ा उद्योगः कानपुर भारत का सबसे बड़ा चर्म उत्पादक शहर है। इसके अतिरिक्त आगरा, बाटानगर, मद्रास, कोलकाता, मुंबई एवं फरीदाबाद चमड़ा उद्योग के महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं। भारत विश्व में चमड़े का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक है।
>दवा निर्माण उद्योगः दवा निर्माण उद्योग के प्रमुख स्थान दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, पुणे, पिम्परी (पेन्सिलीन), हैदराबाद, कानपुर, मथुरा, हरिद्वार एवं ऋषिकेश आदि ।
> कागज उद्योगः भारत में आधुनिक ढंग का पहला कारखाना 1716 में चेन्नई के समीप ट्रंकोवार नामक स्थान पर डॉ. विलियम द्वारा स्थापित किया गया, जो असफल रहा। कागज का पहला सफल कारखाना लखनऊ में 1879 ई. में स्थापित किया गया। पश्चिम बंगाल कागज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। भारत में अखबारी कागज का पहला कारखाना 1947 ई. में नेपानगर (म. प्रदेश) में लगाया गया।
> चीनी उद्योगः भारत विश्व में ब्राजील के बाद चीनी उत्पादन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। देश में चीनी मिलों की सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्र राज्य में है। गन्ना उत्पादन में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश प्रमुख राज्य है जबकि चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात प्रमुख राज्य है। 20 अगस्त, 1998 ई. को केन्द्र सरकार ने चीनी उद्योग पर 1931 ई. से लागू लाइसेंस व्यवस्था समाप्त कर दी । सरकार ने 2002-03 ई. के दौरान चीनी उद्योग को पूरी तरह से नियंत्रण मुक्त कर दिया।
> अभियान्त्रिकी उद्योगः भारी इंजीनियरिंग निगम लि. की स्थापना सोवियत रूस के सहयोग से राँची में 1958 में की गई थी। हिन्दुस्तान मशीनरी टूल्स लि. की स्थापना स्विट्जरलैण्ड के सहयोग से बंगलुरू में 1963 ई. में की गई थी। इसके अन्दर पाँच कारखानें कार्यरत हैं- बंगलुरू, पिंजौर (हरियाणा), कालमसेरी (केरल), श्रीनगर एवं हैदराबाद। हैवी इलेक्ट्रिकल प्लांट- रानीपुर (हरिद्वार), तिरुचिरापल्ली, हैदराबाद, भोपाल, नैनी (इलाहाबाद), पटियाला एवं रानीखेत।
>  रेलवे उद्योगः भारत रेल के इंजनों तथा सवारी एवं माल ढोने वाले डिब्बों के निर्माण में आत्मनिर्भर है। रेलवे उपकरण के निर्माण के लिए 1921 ई. में पेनिन्सुलर लोकोमोटिव कम्पनी की स्थापना सिंहभूम (झारखंड) में की गई। इसको 1945 ई. में टाटा समूह ने खरीद कर टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कम्पनी (टेल्को) का नाम दिया। रेलवे इंजन बनाने का कारखाना. चितरंजन (स्थापना – 1950 ई.) वाष्प एवं विद्युत इंजन वाराणसी (स्थापना 1961 ई., डीजल इंजन), जमशेदपुर (लोकोमोटिव) एवं भोपाल (विद्युत इंजन) है।
नोट : 10 अप्रैल, 2018 को बिहार के मधेपुरा में निर्मित भारत का पहला सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन (12000 अश्व शक्ति) को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
> वायुयान निर्माण उद्योग: देश में वायुयान निर्माण का प्रथम कारखाना 1940 ई. में बंगलुरू में हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट कम्पनी के नाम से स्थापित किया गया। इसका वर्तमान नाम- हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. (HAL) है। वायुयान का ढांचा बंगलुरू, कानपुर एवं नासिक में, इंजिन कोरापुट एवं इलेक्ट्रॉनिक्स हैदराबाद में बनाया जाता है। इसकी अन्य इकाइयां बैरकपुर, लखनऊ आदि स्थानों पर हैं ।
> जहाजरानी उद्योग: भारत में जलयान निर्माण का पहला कारखाना 1941 ई. में मे. सिन्धिया स्टीम नेवीगेशन कं. द्वारा विशाखपत्तनम में स्थापित किया गया। 1952 ई. में सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करके हिन्दुस्तान शिपयार्ड विशाखापत्तनम नाम दिया गया। कोचीन शिपयार्ड (जपान की सहायता से) देश का नवीनतम एवं सबसे बड़ा पोत प्रांगण है। यहां 1 लाख DWT की क्षमता वाले पोत बनाए जाते हैं । हिन्दुस्तान शिपयार्ड – (विशाखापत्तनम ) में मालवाहक जहाज बनाये जाते हैं। मझगाँव डॉक (मुम्बई) में नौसेना के फ्रिगेट किस्म के जहाज बनाए जाते हैं। जबकि गार्डन रीच वर्कशाप (कोलकत्ता) | गोवा शिपयार्ड (गोवा) में सुरक्षा संबंधी पोत भी बनाये जाते हैं।
उपरोक्त के अतिरिक्त मोटर गाड़ी, साइकिलए ट्रैक्टर, बिजली के उपकरण उद्योग, टेलीफोन उद्योग, खेल का सामान, उद्योग, हीरा तरासना आदि उद्योगों का भी भारत में काफी विकास हुआ है। चूड़ी
> भारत में बड़े उद्योगों की स्थापना हेतु उत्तरदायी प्रमुख
>  कारक कारणों की व्याख्या
> भारत के प्रमुख बुनियादी उद्योगों को उल्लेख
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