प्र 1. वर्तमान में भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए उन्हें दूर करने हेतु सुझाव दें। साथ ही भारतीय कृषि के विकास हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रमुख कार्यक्रमों की चर्चा करें।

प्र 1. वर्तमान में भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए उन्हें दूर करने हेतु सुझाव दें। साथ ही भारतीय कृषि के विकास हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रमुख कार्यक्रमों की चर्चा करें।

अथवा

भरतीस कृषि की समस्याओं का उल्लेख करें। इन समस्याओं को दूर करने हेतु अपने सुझाव दें, भारतीय कृषि के विकास हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों एवं योजनाओं का उल्लेख करें।
उत्तर – कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान 18% है। हाल ही में जारी किए गए NSSO के रिपोर्ट के अनुसार 64% भारतीय जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। 74% लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है। मानसून के अच्छे होने की स्थिति में खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मानिर्भरता की स्थिति प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार की स्थिति के बावजूद वर्तमान में भारतीय कृषि के साथ अनेक समस्याएं देखने को मिलती है, जैसे –
1. सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएं –
> अधिक जनसंख्या का होना ।
> अशिक्षा का व्याप्त होना तथा अंधविश्वास।
> किसानों का भाग्यवादी होना।
> भूमि का अलाभकारी विभाजन ।
2. आर्थिक समस्याएं
> कृषि साख की उचित व्यवस्था का अभाव।
> कृषि मूल्य नीति की समस्या ।
> भूमि सुधार की समस्या।
> वैज्ञानिक कृषि के लिए आवश्यक संसाधनों का अभाव।
3. प्राकृतिक और प्रशासनिक समस्याएं –
> मानसून पर निर्भरता।
> सरकार की निष्क्रियता भी इसके मार्ग में बाधक है ।
> कीटों के अधिक प्रकोप की समस्या |
भारतीय कृषि की समस्याओं को दूर करने, कृषि विकास तथा किसानों की आय को दुगुना करने हेतु सरकार ने अनेक कार्यक्रम संचालित किए है जिनका विवरण निम्नवत है –
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना – “हर खेत को पानी” के उद्देश्य के साथ 1 जुलाई, 2015 से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गयी ताकि सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला, जल संसाधनों, नेटवर्क वितरण और फार्म लेवल अनुप्रयोगों में सर्वागीण समाधान किया जा सके। इसका उद्देश्य “प्रति बूंद अधिक फसल ” पाना है। साथ ही, वर्षों से लंबित मध्यम एवं बड़ी सिंचाई योजनाओं को 4 वर्षों में प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाना है। इसके अतिरिक्त जल संचयन एवं प्रबंधन के साथ ही वाटर शेड डेवलपमेंट का कार्य भी तेज गति से कार्यन्वित हो रहा है ।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना – प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत एग्रो प्रोसैसिंग क्लस्टरों के फार्वर्ड एवं बैकवर्ड लिंकेज पर कार्य करके फूड प्रोसेसिंग क्षमताओं का विकास किया जाएगा जिससे 20 लाख किसानों को लाभ मिलेगा और करीब साढ़े पांच लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे ।
ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) योजना – विपणन (कृषि बाजार) में सुधार के लिए केंद्र सरकार कृषि बाजार में सुधार पर जोर दे रही है। तीन सुधारों के साथ ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM ) योजना की शुरूआत की गई है जिसमें अभी तक 450 से अधिक मंडियों को जोड़ा जा चुका हैं। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में बाजार सुधार की दिशा एक मॉडल एपीएमसी एक्ट राज्यों को जारी किया गया है जिसमें निजी क्षेत्र में मंडी स्थापना, प्रत्यक्ष विपणन मंडी यार्ड के बाहर बनाने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त संविदा कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक मॉडल एक्ट बनाने का कार्य भी कर रही है। में
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना – जोखिम, सुरक्षा एवं सहायता के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। खरीफ व रबी फसल में काफी कम दर तय की गई है, जो क्रमशः अधिकतम 2 प्रतिशत और 1.5 प्रतिशत है। इसमें खड़ी फसल के साथ-साथ बुवाई से पहले और कटाई के बाद के जोखिमों को भी शामिल किया गया है। नुकसान के दावों का 25 प्रतिशत भुगतान भी तत्काल ऑनलाइन किया जा रहा है। इस योजना में किसानों को फसल नुकसान के त्वरित भुगतान हेतु उपज के अनुमान के लिए ड्रोन तकनीक तथा फसल कटाई के लिए स्मार्ट फोन जैसी नई तकनीकों का उपयोग भी कई राज्यों में प्रारम्भ किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, किसानों की सुविधा के लिए इस खरीफ मौसम से कस्टमर सर्विस सेंटर एवं बैंक ऑनलाइन जैसी नई तकनीकी सुविधाओं के माध्यम से प्रीमियम राशि जमा कराने का भी प्रावधान किया गया है।
प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के राहत नियमों में भी सरकार ने बदलाव किए हैं। अब केवल 33 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर भी सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। साथ ही अनुदान की राशि को 1.5 गुना बढ़ा दिया गया है। जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को भी कम करने के लिए अधिक सहनशीलता वाली किस्मों और पशुओं की प्रजातियों का विकास तथा प्रभावित जिलों के लिए आपातकालीन प्लान भी तैयार किए गये हैं।
किसानों को संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने के लिए 1982 में नाबार्ड की स्थापना की गई थी। नाबार्ड प्राथमिक सहकारी समितियों को ऋण उपलब्ध कराता है ताकि ये किसानों तथा ग्रामीण लोगों को आश्यकतानुसार ऋण उपलब्ध करा सकें।
कृषि की आर्थिक समस्याओं के तत्काल निदान हेतु भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरूआत 1998-99 में की। इससे किसान न केवल कृषि संबंधी आर्थिक सहायता प्राप्त करते है बल्कि अपनी घरेलू आवश्कताओं हेतु भी ऋण प्राप्त करते है। इस ऋण की अवधि 3 वर्ष होती है।
कृषकों को नीम कोटेड यूरिया उपलब्ध कराया जाता है। नीम कोटेड यूरिया की मुख्य विशेषता यह है कि यह धीरे-धीरे है’ घुलता है जिससे फसलों को लम्बे समय तक यूरिया मिलता रहता तथा यूरिया की बरबादी नहीं होती है। किसानों को फसल संबंधित उन्नत किस्म के बीजों तथा कृषि संबंधी जानकारी प्रदान करने के लिए सरकार ने एक टोल फ्री नम्बर 1551 जारी किया है। डीडी किसान चैनल के माध्यम से भी किसानों को कृषि संबंधी अनेक जानकारियाँ उपलब्ध करायी जाती है।
वर्तमान समय में किसान कर्ज के बोझ में दबा है जिसके कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के किसान आत्महत्या कर रहे है। किसानों के पुराने कृषि ऋणों को केन्द्र तथा अनेक राज्यों की सरकारों ने माफ किया है। 1990 में वीपी सिंह सरकार ने 10 हजार करोड़ रूपये कृषि ऋण के रूप में माफ किए थे, 2008 में भी सरकार ने किसानो के 72 हजार करोड़ रूपये माफ किए थे। दिसम्बर, 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब तथा मिजोरम आदि की सरकारों ने किसाने के कर्ज माफ करते हुए उन्हें राहत दी है।
सहायक गतिविधियों का विकास – सहायक गतिविधियों से अर्थात कृषि के अनुषंगी कार्यकलापों जैसे-बागवानी, डेयरी विकास, पोल्ट्री, मधुमक्खीपालन, मत्स्य पालन, श्वेत क्रांति, नीली क्रांति, कृषि वानिकी, एकीकृत फार्मिंग (Integrated Farming) और रूरल बैकयार्ड पोल्ट्री डेवलपमेंट के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे है।
इन विवरणों से स्पष्ट है कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अति महत्वपूर्ण है किन्तु इसकी समस्याओं को दूर करने के लिए ईमानदार प्रयास की जरूरत है। जिससे अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र के योगदान को और अधिक बढ़ाया जा सके। इसके लिए आमजन (कृषक) और सरकार दोनों को अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी और उसके अनुकूल अपने कर्त्तव्यों का पालन करना होगा।
> भारतीय कृषि से संबंधित प्रमुख समस्याएं
>  समस्याओं को दूर करने हेतु सुझाव
> सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रम एवं योजनाएं
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