मनोविज्ञान की प्रकृति को स्पष्ट कीजिये ।

मनोविज्ञान की प्रकृति को स्पष्ट कीजिये ।

प्रश्न 1. मनोविज्ञान की प्रकृति को स्पष्ट कीजिये ।

उत्तर – मनोविज्ञान की प्रकृति – मनोविज्ञान एक विज्ञान है क्योंकि मनोविज्ञान की विषय सामग्री में वे सब तत्त्व विद्यमान हैं, जिनके आधार पर किसी विषय को विज्ञान की श्रेणी में रखा जा सकता है। मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक इसीलिए कही जाती है क्योंकि मनोविज्ञान में निम्नलिखित प्रमुख तत्त्व पाये जाते हैं—

(1) वैज्ञानिक विधियाँ – किसी भी विषय को विज्ञान तभी कहा जा सकता है जबकि उस विषय की अध्ययन विधियाँ वैज्ञानिक हों । मनोविज्ञान की अधिकांश विधियाँ वैज्ञानिक हैं। मनोविज्ञान की समस्याओं के अध्ययन में प्रयोगात्मक विधि के अतिरिक्त निरीक्षण विधि, सांख्यिकीय विधि, गणितीय विधि, मनोमिती विधि आदि का प्रयोग किया जाता है। मनोविज्ञान की समस्याओं का अध्ययन वैज्ञानिक विधियों से किए जाने के कारण मनोविज्ञान की विषय सामग्री वैज्ञानिक है और यह विषय विज्ञान है।
( 2 ) प्रामाणिकता – किसी भी विषय को विज्ञान मानने का दूसरा • प्रमुख तत्त्व प्रामाणिकता है। मनोविज्ञान की विषय सामग्री प्रामाणिक है क्योंकि इसकी समस्याओं का अध्ययन वैज्ञानिक विधियों के द्वारा किया जाता है।
( 3 ) भविष्यवाणी की योग्यता – किसी भी विषय को विज्ञान मानने के लिए उसमें भविष्यवाणी की योग्यता का होना भी आवश्यक है । भविष्यवाणी की योग्यता का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति के व्यहार का अध्ययन करने के आधार पर यह बताना कि भविष्य में उसका व्यवहार कैसा होगा ? यह भविष्यवाणी तभी की जा सकती है जब अध्ययन पूर्ण रूप से वैज्ञानिक हो । मनोविज्ञान की समस्याओं का अध्ययन वैज्ञानिक विधियों के द्वारा वैज्ञानिक ढंग से किए जाने के कारण इन अध्ययनों के आधार पर भविष्यवाणी भी की जा सकती है ।
( 4 ) वस्तुनिष्ठता – किसी भी विषय को विज्ञान मानने के लिए आवश्यक है कि उसमें वस्तुनिष्ठता हो । वस्तुनिष्ठता का अर्थ यह है कि जब किसी समस्या का अध्ययन कई अध्ययनकर्त्ता कर रहे हों और वे सभी एक ही निष्कर्ष पर पहुँचे तो कहा जा सकता है कि प्राप्त निष्कर्ष वस्तुनिष्ठ है। मनोविज्ञान की समस्याओं और सम्बन्धित घटनाओं का अध्ययन उनके साम्य रूप से ही किया जाता है और अध्ययनकर्त्ता के परिणाम पर पड़ने वाले प्रभावों को नियंत्रित करके अध्ययन किया जाता है।
(5) सार्वभौमिकता- किसी भी विषय को विज्ञान तभी माना जा सकता है जबकि उसके सिद्धान्त और नियम सार्वभौमिक हों। यदि किसी के सिद्धान्तों और नियमों का अध्ययन वैज्ञानिक विधियों के द्वारा किया जाता है और ये सिद्धान्त व नियम प्रामाणिक, वस्तुनिष्ठ और भविष्यवाणी करने की क्षमता रखते हैं, तो वे निश्चित ही सार्वभौमिक भी होते हैं। चूँकि मनोविज्ञानि के सिद्धान्तों और नियमों का अध्ययन वैज्ञानिक विधियों के द्वारा किया जाता है और इसकी विषय-वस्तु में प्रामाणिकता, वस्तुनिष्ठता और भविष्यवाणी करने के गुण पाए जाते हैं, इसलिए इसके सिद्धान्त और नियम सार्वभौमिक भी होते हैं । विज्ञान के ये सभी पाँचों तत्व मनोविज्ञान की विषय सामग्री में विद्यमान हैं इसलिए कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है।

Sujeet Jha

Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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