मुखौटे क्या हैं? इनके प्रकार लिखिये। मुखौटे किस प्रकार बनाये जाते हैं? समझाइए ।
मुखौटे क्या हैं? इनके प्रकार लिखिये। मुखौटे किस प्रकार बनाये जाते हैं? समझाइए ।
उत्तर – मुखौटे से अभिप्राय-नाटक कला में मुखौटों का बड़ा महत्त्व है। नाटकीय रंगमंच पर कई पात्र इस प्रकार के होते हैं जिन्हें साधारण मानव अपनी आकृति व वेशभूषा में प्रभावोत्पादक ढंग से प्रकट नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में नाटक करने वाले व्यक्ति द्वारा उस मानव आकृति अथवा अन्य से सम्बन्धित मुखौटे का प्रयोग किया जाता है, जिससे उस आकृति का वास्तविक चित्रण प्रस्तुत किया जा सके। मुखौटे से व्यक्ति जैसा भी चाहे अपना प्रदर्शन कर सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि राक्षस का मुखौटा अपने मुँह पर लगा लिया तो व्यक्ति राक्षस जैसा प्रतीत होता है और शेर का मुखौटा लगा लिया तो रंगमंच पर वह शेर की तरह अभिनय करता है।
मुखौटों के द्वारा छोटे बालकों का मनोरंजन किया जा सकता है। वर्तमान समय में मुखौटों का प्रयोग मुख्यतः अभिनय तथा शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है। मुखौटों के द्वारा बालकों को ऐतिहासिक व्यक्तियों के विषय की भी जानकारी प्रदान की जा सकती हैं। मुखौटे लगाकर उन्हीं की भाँति किया जाना वाला अभिनय बालकों के मन पर गहरा प्रभाव डालता है, जिससे वह उस कार्य में रुचि भी लेते हैं ।
मुखौटे के प्रकार–मुखौटे विभिन्न वस्तुओं के संयोजन से बनाये जाते हैं। इस आधार पर मुखौटे निम्न प्रकार के हो सकते हैं—
(1) कुट्टी के मुखौटे–वागज की रद्दी को गलाकर उसमें मुल्तानी मिट्टी और गोंद मिलाकर बनाया गया मुखौटा कुट्टी का मुखौटा कहलाता है। यह कागज की अपेक्षा भारी और स्थाई होता है। रंग भी इसमें पक्के किए जाते हैं। इसमें रंग लगाने की जगह नाक, मुख तथा आँखों को उभारकर बनाया जाता है।
(2) कागजी मुखौटे–यह मोटे कागज से चेहरे के आकार में बने होते हैं। इस कागज पर नाक एवं आँखों के स्थान पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं ताकि इन्हें चेहरे पर लगाकर सामने का दृश्य मुखौटे लगाने वाले को स्पष्ट दिखलाई दे सके। इसके दोनों किनारों पर रबड़ या डोरा पीछे सिर पर बाँधने के लिए लगा दिया जाता है। इसके अग्र भाग में रंग से मुँह, आँख, नाक या अजीब-सा चेहरा बनाया जा सकता है। हँसता, रोता हुआ गम्भीर एवं अनेक प्रकार के भाव दर्शाये जाते हैं।
(3) रबड़ एवं प्लास्टिक के मुखौटे–आजकल इस प्रकार के मुखौटे व्यापारिक दृष्टि से भी बनाए जा रहे हैं। इनको हाथ से बनाने की अपेक्षा साँचों से भी बनाया जाता है। इसके बनाने की विधि भी वही है लेकिन इसके साथ-साथ साँचे का प्रयोग किया जाता है क्योंकि रबड़ और प्लास्टिक का मुखौटा हाथ से नहीं बनाया जा सकता। इसमें रबड़ और प्लास्टिक तरल पदार्थ के रूप में प्रयोग में लायी जाती है।
निर्माण की विधि–मुखौटे मुँह पर बाँधे जाते हैं अत: इनका आकार मुख के आकार के समान ही होता है। मुखौटे अधिकार मिट्टी कुटी के या प्लास्टर ऑफ पेरिस के बनाये जाते हैं। अलग-अलग मुखौटे के अलग-अलग साँचे तैयार किए जाते हैं फिर उनके माध्यम से अनेक मुखौटे बनाए जाते हैं। आजकल मुखौटे रबर प्लास्टिक के ही बनाए जाते हैं। ये मुखौटे जल्दी खराब नहीं होते। इन्हें बनाने के बाद इन्हें विभिन्न रंगों से सजा दिया जाता है।
मुखौटों का महत्त्व—
(i) मुखौटे नाटक में पात्रानुसार अभिनय करने के लिए आवश्यक हैं ।
(ii) मुखौटों के द्वारा नाटक में पात्र के वास्तविक स्वरूप को प्रकट किया जा सकता है।
(iii) मुखौटों के द्वारा ऐतिहासिक व्यक्तियों के चरित्र को भी प्रतिपादित किया जा सकता है।
(iv) मुखौटे लगाने से दर्शकों के दिल पर पात्र की वास्तविक रूपरेखा का प्रभाव पड़ता है।
(v) मुखौटे बालकों के मनोरंजन के लिए भी आवश्यक है।
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