व़ाइगोस्टकी के सिद्धान्त की प्रमुख अवधारणाएँ क्या है ?

व़ाइगोस्टकी के सिद्धान्त की प्रमुख अवधारणाएँ क्या है ?

उत्तर— वाइगोस्टकी के सिद्धान्त की प्रमुख अवधारणाएँरूसी मनोवैज्ञानिक सेन वाइगोस्टकी भी प्याजे की भाँति यह मानता था. कि बालकों में ज्ञान, समझबूझ का विकास तेजी से होता है। उसके सिद्धान्त की प्रमुख अवधारणाएँ निम्नलिखित हैं—
(1) बालकों में ज्ञानात्मक कौशल की पहचान उस स्थिति में
होती है जबकि उनसे विश्लेषणात्मक पूछताछ की जाए ।
(2) ज्ञानात्मक कौशलों की पहचान के माध्यम से बालकों से बातचीत करना । उनकी भाषा पर ध्यान देना और उनसे वार्ता सुनना मुख्य हैं। ये ऐसे उपकरण हैं जो उनकी मानसिक क्रियाओं का बोध कराते हैं ।
(3) ज्ञानात्मक कौशलों की अभिव्यक्ति सामाजिक सम्बन्धों और सांस्कृतिक क्रियाओं में प्रकट होती है, अत: इनका बालकों के ज्ञान से सम्बन्ध आँका जाना चाहिए । इनका उदय और विकास बालकों के व्यवहार में परिवर्तन द्वारा आकलन किया जाना चाहिए। बालकों का परीक्षण इन मुद्दों के आधार पर आरम्भ से वयस्क काल तक किया जाना चाहिए ।
बालकों में भाषा ज्ञान का विकास, उनकी सामाजिक व सांस्कृतिक क्रियाएँ ऐसे साधन हैं जो उनमें स्मृति, अवधान और तर्क वैचारिक जैसी शक्तियों को विकसित करते हैं। बालक भाषा व सामाजिक सांस्कृतिक कौशलों का प्रयोग सामाजिक नित नवीन आविष्कारों को समझने-बूझने में करता, वह गणितीय व्यवस्थाओं से अवगत बनता और स्मृति से जुड़ी नीतियों को सीखता है।
ज्ञान और सूझ-बूझ का विकास अन्य व्यक्तियों के साथ अन्तर्क्रियाओं से होता है। तात्पर्य यह है ज्ञान व्यक्तियों के मध्य और पर्यावरण में बँट गया है। उसमें सम्मिलित है अनेक पदार्थों का ज्ञान, शिल्प तथ्यों की जानकारी, उपकरण, पुस्तकें और व्यक्तियों से गठित अनेक समुदाय आदि । इन सभी के साथ विद्यार्थियों की अन्तर्क्रिया ज्ञानोत्पादक एवं वृद्धि का साधन है।
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Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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