समाज के विद्यालय पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख कीजिए।

समाज के विद्यालय पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर— समाज के विद्यालय पर पड़ने वाले प्रभाव–समाज विद्यालयों को उल्लेखनीय रूप से प्रभावित करता है। यह प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखायी देते हैं—
(1) समाज के आदर्शों, मान्यताओं और आवश्यकताओं का प्रभाव–प्रत्येक समाज के अपने आदर्श, मान्यतायें, मूल्य एवं आवश्यकताएँ होती हैं। समाज इनकी पूर्ति करने के लिए एवं स्वयं को सीमित रखने के लिए विद्यालयों की स्थापना करता है। समाज के जैसे मूल्य, आदर्श, दर्शन तथा आवश्यकताएँ होंगी ठीक उनके अनुरूप ही शिक्षा-दर्शन, पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियाँ, शिक्षा के उद्देश्य आदि होंगे। जब कभी भी समाज की आवश्यकताएँ एवं आदर्श बदलते हैं, शिक्षा में तदनुसार परिवर्तन अनिवार्य हो जाता है ।
(2) समाज की आर्थिक दशाओं का प्रभाव–विद्यालयों पर समाज की आर्थिक दशाओं का उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है । यह प्रभाव विद्यालयों के भवनों, ढाँचागत व्यवस्थाओं, वेतनमानों तथा पाठ्यक्रमों पर स्पष्ट दिखाई देता है। इसी प्रकार समाज की जैसी आर्थिक व्यवस्था होगी, शिक्षा की व्यवस्था भी उसी के अनुसार होगी । कृषिप्रधान देशों में कृषि से सम्बन्धित शिक्षा को उद्योग-प्रधान राष्ट्रों में औद्योगिक शिक्षा को अधिक महत्त्व दिया जाता है। समाज की आर्थिक व्यवस्था को उन्नत बनाने के लिए विद्यालयों में प्राविधिक, प्रौद्योगिक तथा वैज्ञानिक विषयों की शिक्षा अनिवार्य मानी जाती है ।
(3) राजनैतिक दशाओं का प्रभाव–समाज में जैसी राजनीतिक व्यवस्था होगी उसी के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था होगी । यही कारण है कि पूँजीवादी देशों में तथा साम्यवादी देशों में शिक्षा की व्यवस्था एकदूसरे से भिन्न है। इसी प्रकार प्रजातांत्रिक राष्ट्रों में तथा राजतान्त्रिक राष्ट्रों में शिक्षा की व्यवस्था बिल्कुल भिन्न होती है। इनमें शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम, अनुशासन व्यवस्था, अध्यापक- छात्र सम्बन्ध आदि प्रमुख रूप से प्रभावित होते हैं । लोकतांत्रिक राष्ट्रों में विद्यालय वातावरणों, स्वतंत्रता, समानता तथा अवसरों की समानता को प्रमुख स्थान दिया जाता है।
(4) समुदाय के गुण एवं दोषों का प्रभाव–प्रत्येक समाज में कुछ-न-कुछ दोष व गुण पाये जाते हैं, जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विद्यालयों पर प्रभाव पड़ता है। भारतीय समाज में धर्मगत विद्यालय जिस प्रकार की संकीर्ण भावनाएँ विकसित कर रहे हैं वह इसका एक उदाहरण है।
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