सस्वर वाचन एवं मौन वाचन में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
सस्वर वाचन एवं मौन वाचन में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर— वाचन के मुख्य दो रूप सस्वर वाचन तथा मौन वाचन होते हैं। दोनों के उद्देश्य, विधि, क्रिया, गुण तथा दोष भिन्न भिन्न हैं । यहाँ इनके अन्तर को स्पष्ट किया गया है—
सस्वर वाचन—
(1) सस्वर वाचन में शुद्ध अक्षरोच्चारण का विशेष महत्त्व है।
(2) सस्वर वाचन में ध्वनियों का बोध, उच्चारण की शुद्धता, उपयुक्त बलाघात, स्पष्टता, वाचन प्रवाह,स्वर में उतार-चढ़ाव तथा रसात्मकता की प्रधानता होती है ।
(3) सस्वर वाचन दो प्रकार से किया जाता है – शिक्षक द्वारा आदर्श वाचन तथा छात्र द्वारा अनुकरण वाचन।
(4) सस्वर वाचन में उच्चारण, लय, गति उतार-चढ़ाव पर ध्यान दिया जाता है।
(5) सस्वर वाचन में उच्चारण व वाचन सम्बन्धी अशुद्धियाँ आसानी से जाँची जा सकती हैं।
मौन वाचन—
(1) मौन वाचन में अक्षरोच्चारण के लिए कोई अवसर नहीं होता, परन्तु छात्र को मनन एवं चिन्तन करना पड़ता है।
(2) मौन वाचन मन ही मन में बिना किसी प्रकार की उच्चारण ध्वनि के ध्यानपूर्वक अध्ययन है।
(3) मौन वाचन भी दो प्रकार से किया जाता है मगर छात्र द्वारा ही गम्भीर वाचन तथा द्रुत वाचन ।
(4) मौन वाचन में भाषा, व्याकरण, प्रसंग साहित्य की विधाओं, शैली, चरित्र, भाव आदि पर ध्यान दिया जाता है ।
(5) मौन वाचन में इनका जाँचा जाना संदिग्ध है।
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