सामाजीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसकी प्रमुख अवस्थाओं के बारे में लिखिए।

सामाजीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसकी प्रमुख अवस्थाओं के बारे में लिखिए। 

उत्तर— सामाजीकरण का अर्थ (Meaning of Socialization )— जब बालक जन्म लेता है तो उसमें कोई भी सामाजिक लक्षण नहीं दिखाई देता है लेकिन जैसे-जैसे वह सामाजिक वातावरण में आता है धीरे-धीरे वह वहाँ के अनुरूप अपना व्यवहार करने लगता है। यह प्रक्रिया सामाजीकरण कहलाती है ।
फिचर के शब्दों में, “सामाजीकरण एक व्यक्ति और उसके अन्य साथी व्यक्तियों के बीच पारस्परिक प्रभाव की एक प्रक्रिया है यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति सामाजिक व्यवहार के प्रतिमानों को स्वीकार करता और उनके साथ साथ अनुकूलन करता है । “
अकोलकर (1960) के अनुसार, “सामाजीकरण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति व्यवहार के परम्परागत प्रतिमानों को ग्रहण करता है। व्यक्ति का सामाजीकरण तभी होता है जबकि वह दूसरे व्यक्तियों के साथ संगठित होता है और संस्कृति के सम्पर्क में आता है। “
सामाजीकरण की अवस्थायें (Stages of Socialization)— सामाजीकरण की प्रक्रिया जन्म से ही प्रारम्भ हो जाती है और जैसे-जैसे बालक बड़ा होता जाता है वैसे-वैसे सामाजीकरण की प्रक्रिया विस्तृत होती जाती है। जॉनसन ने सामाजीकरण की प्रक्रिया को निम्नलिखित चार अवस्थाओं में विभाजित किया है—
(1) मौखिक अवस्था (Oral Stage) में सामाजीकरण – यह अवस्था जन्म से ही प्रारम्भ होती है इसका मुख्य उद्देश्य मौखिक निर्भरता स्थापित करना होता है । इस अवस्था में शिशु खाने के समय के सम्बन्ध में आशाओं का निर्माण कर लेता है । वह अपनी आग्रही आवश्यकताओं की पूर्ति का संकेत देना सीख जाता है। शिशु की माँ के साथ तादात्म्य हो जाता है कि वह एक प्रकार से माँ में ही विलीन हो जाता है।
(2) गुदा अवस्था (Anal Stage) में सामाजीकरण– यह अवस्था प्रथम वर्ष से तीन वर्ष की आयु तक चलती है। नवीन माँगों के लागू होने के परिणामस्वरूप ‘गुदा क्रान्ति’ उत्पन्न होती है जिसके साथ ही इस अवस्था का प्रारम्भ होता है। इन माँगों में से यह माँग कि बच्चा स्वयं अपनी देख-रेख में थोड़ा-सा हाथ बटाये प्रमुख होती है। इस अवस्था में बालक दो प्रकार के ‘कार्य’ (Roles) ‘अन्तरावरुद्ध’ (Internalize) करता है एक तो स्वयं अपने और दूसरों माँ को। बालक न केवल अपनी माँ से देख-रेख तथा स्नेह पाता है बल्कि माँ को भी स्नेह प्रदान करता है।
(3) अन्तर्हित अवस्था (Latency Stage) में सामाजीकरणयह– अवस्था 4 वर्ष से 12-13 वर्ष तक चलती है। इस अवस्था में बालक के सामाजिक वातावरण का क्षेत्र अतिव्यापक हो जाता है। इस अवस्था में यह परिवार में पाये जाने वाले चारों प्रकार के कार्यों-पति- पिता, पत्नीमाता, पुत्र – भ्राता, पुत्री-बहन का अन्तरावरुद्ध करना उसके लिए आवश्यक हो जाता है। इस अवस्था में बालक विद्यालय जाने लगता है और यहाँ पर उसे विभिन्न सामाजिक गुणों को सीखने का अवसर प्राप्त होता है।
(4) किशोरावस्था (Adolescence) में सामाजीकरण– यह अवस्था 12 वर्ष से लेकर 21 वर्ष तक होती है। इस आयु में बालक के सामाजिक वातावरण का क्षेत्र और भी अधिक व्यापक होता है। इस अवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस अवस्था में बालक अपने माता-पिता के नियन्त्रण से स्वतन्त्र होना चाहता है किन्तु वह इस नियन्त्रण से पूर्ण विमुक्त नहीं हो पाता है। इस अवस्था में बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय या महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करता है। इस प्रान्त और यहाँ तक कि देश की सीमा अतिक्रमण पर सम्पूर्ण विश्व से अपना सम्बन्ध स्थापित करना चाहते हैं । इस अवस्था में ‘विपरीत लिंग आकर्षण’ (Opposite Sex Attraction) अत्यधिक सीमा में पाया जाता है।
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