सृजनात्मकता क्या है ? सृजनात्मकता की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

सृजनात्मकता क्या है ? सृजनात्मकता की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए । 

उत्तर— सृजनात्मकता (Creativity) — यह शब्द अंग्रेजी के “Creativity” का हिन्दी रूपान्तरण है। इस शब्द का प्रयोग साधारणतया क्रियात्मकता, उत्पादन, रचनात्मकता आदि में होता है अर्थात् सृजनात्मकता का अर्थ है सृजन करना, उत्पन्न करना आदि ।

यह सृजन किसी भी प्रकार का हो सकता है, नया भी व पुराना भी, अर्थात् मनुष्य की वह शक्ति जिसके द्वारा वह कुछ नया सृजन करता है, सृजनात्मकता कहलाती है जैसे लेखक द्वारा नये लेख की रचना, कवि द्वारा नई कविता की रचना सृजनात्मकता कहलाती है।
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि सृजनात्मकता से आशय व्यक्ति की उस क्षमता से है जिसके कारण वह नई चीजों, रचनाओं तथा विचारों को उत्पन्न करता है। यह काल्पनिक भी हो सकता है। इसमें पुराने अनुभव के आधार पर प्राप्त सूचनाओं का एक सम्मिश्रण भी निहित होता है जो कि लक्ष्यपूर्ण होता है ।
हैमोविज तथा हैमोविज के अनुसार, “नवपरिवर्तन लाने, आविष्कार करने तथा तत्त्वों को इस ढंग से रखने की क्षमता, जैसे वे पहले कभी रखे नहीं गए ताकि उसका महत्त्व बढ़ जाए को सृजनात्मकता की संज्ञा दी जाती है। “
विशेषताएँ—
(i) सृजनात्मकता की क्रिया लक्ष्योन्मुखी होती है, इसमें व्यक्ति जो भी क्रिया या व्यवहार करता है। उसके पीछे कोई न कोई लक्ष्य होता है।
(ii) सृजनात्मकता में व्यक्ति में अपसारी चिन्तन पाया जाता है अर्थात् वह एक समस्या का कई तरीकों से चिन्तन करके समाधान निकालता है।
(iii) सृजनात्मकता व्यक्ति के पूर्व अनुभवों पर आधारित होती है। पूर्व अनुभव पर आधारित ज्ञान जितना सार्थक होता है, व्यक्ति में सृजनात्मकता उतनी ही अधिक पायी जाती है।
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