भाषा एवं वर्ग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।

भाषा एवं वर्ग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये । 

उत्तर—भाषा एवं वर्ग–भाषा एवं वर्ग एक-दूसरे से सम्बन्धित माने जाते हैं। हिन्दी भाषा का सम्बन्ध भारतीय नागरिकों के वर्ग विशेष से माना जाता है। भाषा को वर्ग से सम्बन्धित करने पर इसका स्वरूप व्यापक हो जाता है। भाषा के आधार पर विविध क्षेत्रों में वर्गीकरण की प्रक्रिया सम्पन्न होती है। यह प्रक्रिया नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों *स्वरूप में होती है परन्तु भाषा द्वारा जिस वर्ग का निर्माण किया जाता है वह अध्ययन, सामाजिक एकता एवं सांस्कृतिक एकता का मार्ग प्रशस्त करता है। सामान्य रूप से भाषा के आधार पर समाज, शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में वर्गों का निर्माण किया जाता है।

भाषा एवं विविध वर्गों के निर्माण की प्रक्रिया को निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है—
(1) भाषा एवं शैक्षिक वर्ग– भाषा के आधार पर ही शैक्षिक वर्गों का निर्माण सम्भव होता है । हिन्दी भाषा बोलने एवं लिखने वाले छात्रों को हिन्दी माध्यम के संवर्ग में रखा जाता है। इसके साथ-साथ अंग्रेजी भाषा बोलने एवं लिखने वाले छात्रों को अंग्रेजी माध्यम के संवर्ग में रखा जाता है। हिन्दी माध्यम के छात्रों के लिए सामग्री हिन्दी भाषा में उपलब्ध होती है वहीं अंग्रेजी माध्यम वाले छात्रों के लिए सामग्री अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध की जाती है। इसी प्रकार छात्रों के लिए भाषायी अध्ययन के रूप में भी वर्गों का निर्धारण किया जाता है।
(2) भाषा एवं सामाजिक वर्ग– भाषा के माध्यम से सामाजिक वर्गों का निर्माण संभव होता है। विभिन्न प्रकार की कविताओं एवं काव्यों ‘की रचना करने वालों को कवि वर्ग में रखा जाता है। इसी प्रकार समाज में गद्य रचना करने वाले गद्यकार एवं कहानी की रचना करने वाले कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं। व्यक्ति की पहचान भी उसकी भाषा के आधार पर सामान्य रूप से की जाती है। इस प्रकार भाषा द्वारा समाज में विभिन्न प्रकार के वर्गों का निर्माण किया जाता है। भाषा के आधार पर ही समाज में सामाजिक एकता की स्थिति भी देखी जाती है ।
(3) भाषा एवं धार्मिक वर्ग– भाषा के द्वारा धार्मिक वर्गों के निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया जाता है। सामान्य रूप से प्रमुख भाषाओं का सम्बन्ध एक धर्म विशेष से होता है तथा भाषायी आधार पर ही व्यक्ति की धार्मिक आस्था एवं क्रियाकलापों का ज्ञान प्रात कर लिया जाता है ।
(4) भाषा एवं क्षेत्रीय वर्गों का निर्माण– भाषा के आधार पर विविध प्रकार के क्षेत्रीय वर्गों का निर्माण किया जाता है। जिस क्षेत्र में जो भाषा बोली जाती है उस आधार पर ही क्षेत्र का निर्माण संभव होता है; जैसे— हिन्दी भाषा का प्रयोग जिन-जिन क्षेत्रों में होता है उन्हें हिन्दी भाषी क्षेत्र कहा जाता है। इन क्षेत्रों में व्यावहारिक सम्बन्ध पाए जाते हैं क्योंकि इस प्रकार के क्षेत्रों में भाषायी समानता के आधार पर विचारों का आदान-प्रदान सरलता से होता है।
(5) भाषा एवं विधा सम्बन्धी वर्ग– सामान्य रूप से यह देखा जाता है कि भाषा सम्बन्धी विविध प्रकार की विधाएँ विभिन्न संवर्गों का निर्माण करती हैं; जैसे- पद्य एवं गद्य सम्बन्धी वर्ग एवं नाट्य सम्बन्धी वर्ग एवं कहानी सम्बन्धी वर्ग आदि। इन सभी वर्गों का स्वरूप भाषायी आधार पर ही निश्चित होता है। गद्य साहित्य के लेखक को गद्यकार कहा जाता है तथा पद्य साहित्य के लेखक को कवि के रूप में जाना जाता है। इसी प्रकार कहानी लेखन करने वाले को कहानीकार तथा नाट्य कला सम्बन्धी व्यक्तियों का पृथक् वर्ग होता है। इस प्रकार भाषा की विविध विधाएँ विविध वर्गों का निर्माण करती हैं।
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