चिन्तन कौशल की व्याख्या कीजिये ।

चिन्तन कौशल की व्याख्या कीजिये ।

                    अथवा
“उच्च स्तरीय चिन्तन कौशल” पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर— उच्च स्तरीय चिन्तन कौशल (Higher Level Thinking Skill)—चिंतन एक संज्ञानात्मक प्रक्रिया है। चिंतन की योग्यता मानव को अन्य प्राणियों से अलग बनाती है। चिंतन से मानव सही और गलत की व्याख्या कर सकता है इसी कारण मनुष्य को एक बौद्धिक प्राणी माना गया है। वि न्न प्रकार के आविष्कार, कला व साहित्य का ज्ञान, कठिन समस्याओं का बेहतर समाधान आदि व्यक्ति की सृजनात्मक चिंतन शक्ति के परिचायक हैं। चिंतन की प्रक्रिया में स्मरण शक्ति स्मृति (Memory) एवं प्रत्यक्षीकरण (Perception) का भी बहुत योगदान रहता है। वैज्ञानिक महापुरुष और दार्शनिक इस शक्ति से मानव के कल्याण और सभ्यता के विकास के लिए प्रयासरत हैं।
रॉस के अनुसार, “चिन्तन ज्ञानात्मक पक्ष की मानसिक क्रिया हैं। “
वेलेन्टाइन के शब्दों में, “चिन्तन शब्द का प्रयोग उस क्रिया के लिए किया जाता है, जिसमें शृंखलाबद्ध विचार किसी लक्ष्य अथवा उद्देश्य की ओर प्रवाहित होते हैं। “
चिन्तन की विशेषताएँ (Characteristics of Thinking)चिन्तन की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं—
(i) एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है जिसमें अनेक सरल मानसिक प्रक्रियायें निहित रहती हैं ।
(ii) चिन्तन का प्रारम्भ किसी समस्या, कठिनाई, असन्तोष अथवा इच्छा के उत्पन्न होने पर होता है।
(iii) चिन्तन के फलस्वरूप व्यक्ति की समस्या का समाधान होता है।
(iv) चिन्तन के द्वारा व्यक्ति अपनी समस्या के समाधान के अनेक उपायों पर विचार करता है तथा अन्त में किसी एक उपाय का प्रयोग करके अपनी समस्या का समुचित समाधान करता है।
(v) चिन्तन स्थूल से सूक्ष्म की ओर होता है।
(vi) चिन्तन में विश्लेषण (Analysis) तथा संश्लेषण (Synthesis ) क्रियाओं का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।
चिंतन प्रक्रिया (Thinking Process )– चिन्तन प्रक्रिया को निम्नलिखित पाँच सोपानों में विश्लेषित करके समझा जा सकता है—
(i) किसी लक्ष्य की ओर उन्मुख होना– व्यक्ति के सम्मुख जब कोई समस्या उत्पन्न होती है तब वह उस समस्या का समाधान करने के लिए चिन्तन करता है । चिन्तन का लक्ष्य समस्या को दूर करना होता है।
(ii) लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास करना– चिन्तन में व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहता है। उसका प्रयास होता है कि शीघ्रताशीघ्र समस्या का समाधान हो जायी ।
(iii) पूर्व अनुभवों का स्मरण करना– चिन्तन में व्यक्ति अपने पुराने अनुभवों को पुनः स्मरण करता है जिससे उनके आधार पर वह वर्तमान समस्या का समाधान करने में समर्थ हो सकें।
(iv) पूर्व अनुभवों को वर्तमान समस्या से संयोजित करना–जब व्यक्ति अपने पूर्व अनुभवों के आधार पर वर्तमान समस्या का समाधान खोजने का प्रयास करता है तब उसके सम्मुख समस्या के अनेक संभावित समाधान उपस्थित होने लगते हैं ।
(v) समाधान की सार्थकता देखना– जब चिन्तनकर्त्ता के मस्तिष्क में समस्या के संबंध में कई समाधान प्रस्तुत हो जाते हैं वह उनमें से किसी एक समाधान का चयन करता है तथा उसे व्यावहारिक रूप देकर समस्या के समाधान में उसकी सार्थकता को प्रमाणित करता है ।
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