अधिगम कौशल से आप क्या समझते हैं ? इसके चरण बताइये ।

अधिगम कौशल से आप क्या समझते हैं ? इसके चरण बताइये ।

उत्तर— अधिगम कौशल—कौशल या कुशलता शब्द किसी कार्य विशेष को भली-भाँति सम्पन्न करने के तरीके का नाम है। इस प्रकार के तरीकों को सीखकर हम विभिन्न कार्यों को करने में दक्षता या प्रवीणता हासिल कर पाते हैं।
बोरिंग, लैण्डफील्ड व वेल्ड के अनुसार, “जब हम अधिगम की प्रक्रिया द्वारा अनुक्रियाओं को ऐसी समवर्गीय श्रृंखला का अर्जन करते हैं जिन्हें पूर्ण दक्षता के साथ सम्पन्न किया जाता हो तो इस प्रकार की उपलब्धि को कुशलता या कौशल का नाम दिया जाता है। “
बोलना, लिखना, खाना बनाना, वाहन चलाना, गाना गाना, खेलना, मूर्ति बनाना, निशाना साधना आदि लगभग जीवन के प्रत्येक कार्य पूर्ण दक्षता के साथ सम्पन्न किये जाये तो उनमें से प्रत्येक को एक प्रकार की कुशलता की संज्ञा दी जाएगी। इससे उस कार्य को करने में समय व शक्ति कम व्यय होगी तथा आत्म विश्वास वृद्धि के साथ असुविधा में कमी होगी। अतः अध्यापक हेतु यह जानना आवश्यक है कि कुशलताओं को विकसित कैसे किया जाये ? तथा कुशलता अर्जन में किन चरणों से गुजरना पड़ता है।
चरण (Steps ) – मनोवैज्ञानिक फिट्स ने कौशल अर्जन के कुशलता को विकसित करने के चरण बताए हैं—
(1) ज्ञानात्मक स्तर – इस चरण में अधिगममार्थी कौशल के सम्बन्ध में सैद्धान्तिक ज्ञान प्राप्त करता है और अध्यापक या सीखने वाले से होने वाली त्रुटियों के सम्बन्ध में चर्चा करता है तथा उनसे बचने के उपाय करता है। इस चरण में शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है क्योंकि वह हर कदम पर सहायता करता है।
(2) दृढ़ीकरण की स्थिति – इसमें अभ्यास पर बल दिया जाता है। अधिगमार्थी सिखाई जाने वाली कुशलता का अभ्यास करता है ताकि उसमें पारंगतता हासिल कर सकें। धीरे-धीरे अभ्यास तब तक किया जाता है तब तक त्रुटियों की संभावना शून्य न हो जाए। इसमें अध्यापक का स्थान कम महत्त्वपूर्ण है।
(3) स्वचालित स्थिति – यह कुशलता अर्जित करने का चरण व अंतिम स्थिति हैं। इसमें त्रुटियाँ शून्य हो जाती हैं, तथा अधिगमार्थी यंत्रवत् तरीके से कार्य करने लगता है अर्थात् कुशलता विकसित हो जाती है। इस स्थिति में उसे शिक्षक की सहायता की आवश्यकता नहीं होती। यही कौशल अधिगम है।

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