ईंधन, दहन और ज्वाला (Fuels, Combustion and Flames)

ईंधन, दहन और ज्वाला (Fuels, Combustion and Flames)

ईंधन, दहन और ज्वाला (Fuels, Combustion and Flames)

ईंधन (Fuels)
हम घरेलू तथा औद्योगिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न पदार्थों को ऊष्मीय ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग करते हैं। ये मुख्यतः लकड़ी, चारकोल, पेट्रोल, कैरोसीन, LPG, कोल गैस, आदि हैं, इन पदार्थों को ईंधन कहते हैं। अधिकांश ईंधनों में कुछ मात्रा में कार्बन होता है जो वायु में ईंधन के जलने पर ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी है।
अच्छे ईंधन की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
(i) ईंधन सस्ता और आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
(ii) ईंधन जलने के उपरान्त कोई अवांछनीय पदार्थ न छोड़ता हो, अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता हो तथा उसका ऊष्मीय मान अधिक और विशिष्ट होना चाहिए।
(iii) ईंधन का दहन वायु में आसानी से तथा मध्यम गति से होना चाहिए।
(iv) ईंधन का भण्डारण आसान तथा सुविधापूर्वक परिवहन योग्य होना चाहिए।
(v) इसमें अवाष्पशील पदार्थ कम होने चाहिए।
ईंधन के प्रकार (Types of Fuels)
भौतिक अवस्था के आधार पर ईंधन तीन प्रकार के होते हैं
(i) ठोस ईंधन (Solid Fuels) उदाहरण कोल, कोक, लकड़ी, उपले (cow dung cakes) आदि ।
(ii) द्रव ईंधन (Liquid Fuels) उदाहरण पेट्रोल, कैरोसीन, डीजल, आदि।
(iii) गैसीय ईंधन (Gaseous Fuels) उदाहरण LPG, CNG, बायो गैस, कोल गैस, प्रोड्यूसर गैस, हाइड्रोजन गैस, ऑयल गैस, आदि ।
ऊष्मीय अथवा ईंधन मान (Calorific or Fuel Value)
किसी ईंधन के 1 ग्राम के (ऑक्सीजन के आधिक्य में) दहन से प्राप्त ऊष्मा की मात्रा, उसका ऊष्मीय मान कहलाती है तथा इसे किलोकैलोरी प्रति ग्राम मात्रक में प्रदर्शित करते हैं।
जल गैस (water gas) का ऊष्मीय मान प्रोड्यूसर गैस (सभी ईंधनों में जिसका ऊष्मीय मान निम्नतम है।) की अपेक्षा अधिक होता है।
यद्यपि हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान अधिकतम है लेकिन यह ईंधन के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जाता है। ऐसा इसकी ज्वलनशील प्रकृति और कठिन भण्डारण के कारण है हालांकि परिष्कृत तकनीक (improved technology) पर कार्य करने वाले कुछ हल्के वाहन इसका प्रयोग कर रहे हैं।
प्रोटीनों और कार्बोहाइड्रेटों की अपेक्षा वसाओं के ऊष्मीय मान अधिक होते हैं।
जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels)
सजीवों के अवशेषों (जो लाखों वर्ष पूर्व जमीन में नीचे दब गए थे) से उत्पन्न ईंधन जीवाश्म ईंधन कहलाते हैं। कोल, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, जी ईंधन के उदाहरण हैं क्योंकि ये स्रोत निश्चित मात्रा में उपस्थित हैं। अतः ये अनवीकरणीय प्राकृतिक स्रोत (non-renewable natural sources) कहलाते हैं।
कोयला (Coal)
वनस्पति के अवशेषों से इसका निर्माण हुआ। प्राकृतिक घटनाचक्रों; जैसे बाढ़, आदि के कारण घने जंगल मिट्टी के नीचे दब गए। लाखों वर्षों में उच्च दाब और उच्च ताप पर ये मृत वनस्पति (पेड़-पौधे) कोयले में परिवर्तित हो गए। कोयले में लगभग 60-90% कार्बन और इसके यौगिक होते हैं जबकि नाइट्रोजन, सल्फर, आदि के यौगिक अल्प मात्रा में उपस्थित होते हैं।
कोयले के प्रकार (Types of Coal)
साधारणतया यह चार विविध रूपों में पाया जाता है
(i) पीट कोयला (Peat Coal) 50-60% C यह निष्कर्षण के प्रथम भाग में प्राप्त किया जाता है।
(ii) लिग्नाइट कोयला (Lignite Coal) 60-70% C यह भूरा कोयला (brown coal) कहलाता है।
(iii) बिटुमिनस कोयला (Bituminous Coal) 78-86% C यह बहुत सामान्य, मुलायम तथा घरेलू प्रयोजनों (domestic purpose) में प्रयुक्त किया जाता है।
(iv) एन्थ्रासाइट कोयला (Anthracite Coal) 94-98% C यह सर्वश्रेष्ठ कोयला है जो बिना धुएँ के उच्च ताप (ऊष्मा) उत्पन्न करता है। यह कोयले के निष्कर्षण (extraction) के अन्तिम भाग में प्राप्त किया जाता है।
कोयले के उपयोग (Uses of Coal)
(i) उद्योग में कोयले को भंजक आसवन (breaking distillation) की प्रक्रिया द्वारा संसाधित करके लाभदायक पदार्थ जैसे कोक, कोल गैस तथा कोलतार प्राप्त किए जाते हैं।
(ii) इसका उपयोग वाष्पित्र (boiler), इन्जनों और भट्टियों ( furnaces) में ईंधन के रूप में किया जाता है।
कोलतार (Coaltar)
यह काले रंग का गाढ़ा द्रव है। यह लगभग 200 कार्बनिक पदार्थों का मिश्रण है। ये पदार्थ संश्लेषित रंजकों, दवाओं, विस्फोटकों, पेन्ट तथा नेफ्थैलीन की गोलियों, आदि के निर्माण में प्रयुक्त किए जाते हैं।
पेट्रोलियम (Petroleum)
यह गहरे रंग का तैलीय द्रव है जिसे काला सोना (black gold) या अशोधित तेल (crude oil) या चट्टान का तेल (rock oil) भी कहते हैं। इसकी गन्ध अरुचिकर होती है। यह वास्तव में अनेक हाइड्रोकार्बनों तथा सल्फर का मिश्रण है जिसका ऊष्मीय मान बहुत उच्च होता है। इसका निर्माण समुद्री जीवों से हुआ था। मरने के पश्चात् इन जीवों के शरीर समुद्र की तली में बैठ गए तथा मिट्टी और रेत की परतों से ढक गए। लाखों वर्षों में, वायु की अनुपस्थिति, उच्च दाब और उच्च ताप द्वारा मृत जीव पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस में परिवर्तित हो गए।
पेट्रोलियम का प्रभाजी आसवन (fractional distillation) करने पर यह भिन्न तापमानों पर भिन्न उत्पाद देता है जिन्हें नीचे सारणीबद्ध किया गया है
अतः पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन द्वारा पेट्रोल, मिट्टी का तेल, डीजल, पेट्रोलियम गैस, आदि प्राप्त किए जाते हैं।
कुछ ईंधनों का संघटन तथा उपयोग (Composition and Uses of Some Fuels) 
कुछ मुख्य ईंधन और इनके संघटन इस प्रकार हैं
कोक (Coke)
यह अवशेष पदार्थ के रूप में कोयले के भंजक आसवन (destructive distillation) द्वारा प्राप्त किया जाता है (वायु की अनुपस्थिति में कोयले को तेज गर्म करना) । कोक में 80-85% कार्बन होता है। कोक धातुओं के निष्कर्षण में अपचायक के रूप में, ईंधन के रूप में तथा इलेक्ट्रोडों में प्रयुक्त किया जाता है।
कोल गैस (Coal Gas)
इसमें 55% हाइड्रोजन, 30% मेथेन, 4% कार्बन मोनॉक्साइड (CO), 3% असंतृप्त हाइड्रोकार्बन तथा 8% अवाष्पशील अशुद्धियाँ होती हैं।
इसका उपयोग कोयला संसाधित संयन्त्रों के पास स्थित अनेक उद्योगों में ईंधन के रूप में तथा धातुकर्मीय अपचयन (metallurgical reduction) में किया जाता है। इसका उपयोग बुन्सेन बर्नर में भी किया जाता है।
◆ कोल गैस में H2, CO तथा CH4 ऊष्मा उपलब्ध कराते हैं लेकिन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन प्रकाश उत्सर्जक हैं।
◆ लन्दन में सन् 1810 में तथा न्यूयॉर्क में सन् 1820 के आस-पास कोयला गैस का उपयोग प्रथम बार सड़कों पर रोशनी के लिए किया गया था।
◆ आजकल इसका प्रयोग प्रदीपक (रोशनी के लिए) के स्थान पर ऊष्मा के स्रोत के रूप में किया जाता है।
जल गैस अथवा भाप अंगार गैस (Water Gas)
यह कार्बन मोनॉक्साइड और हाइड्रोजन का मिश्रण है जिसमें नाइट्रोजन और जलवाष्प अशुद्धि के रूप में रहते हैं। यह रक्त तप्त कोक पर भाप प्रवाहित करके प्राप्त की जाती है। इसका कोल गैस के साथ मिश्रण एक अच्छा ईंधन है।
इसका प्रयोग हाइड्रोजन, अमोनिया और मेथेनॉल के औद्योगिक निर्माण में किया जाता है।
प्रोड्यूसर गैस (Producer Gas) 
यह नाइट्रोजन और कार्बन मोनॉक्साइड का मिश्रण (2 : 1 के अनुपात में) है। यह गर्म वायु में रक्त तप्त कोक पर प्रवाहित करने पर प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग काँच के निर्माण में तथा धातुकर्म में किया जाता है।
तेल गैस (Oil Gas)
यह सरल संतृप्त और असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों जैसे मेथेन, एथिलीन, ऐसीटिलीन, आदि का मिश्रण है। यह मिट्टी के तेल के प्रभाजी आसवन या दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग प्रयोगशाला में उपस्थित बर्नरों में किया जाता है।
प्राकृतिक गैस (Natural Gas)
यह 83% मेथेन और 16% एथेन का मिश्रण है। यह सामान्यता पेट्रोलियम पदार्थों के अन्वेषणात्मक कार्यस्थल (investigative workstation) पर पाई जाती है। इसके अवयवों की ज्वलनशील प्रकृति के कारण प्राकृतिक गैस सर्वश्रेष्ठ ईंधन माना जाता है। इसका उपयोग कृत्रिम रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन में किया जाता है।
द्रवित पेट्रोलियम गैस [Liquefied Petroleum Gas (LPG)]
यह ब्यूटेन (C4H10), आइसो-ब्यूटेन (C4H10) तथा कुछ प्रोपेन (C3H8) का मिश्रण है। तेल के कुएँ इसके मुख्य स्रोत हैं। एक प्रबल दुर्गन्धनीय पदार्थ एथिल मरकेप्टन (ethyl mercaptan) या थायोऐथेनॉल (C2H5SH) भी LPG में इसके रिसाव (leakage) का पता लगाने के लिए मिलाया जाता है, क्योंकि LPG एक रंगहीन, गन्धहीन गैस है।
इसका प्रयोग घरेलू प्रयोजनों के लिए सिलेण्डरों में किया जाता है। द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG) सिलेण्डर जो हम खाना पकाने के लिए घरों में प्रयोग करते हैं (भारत गैस, इण्डेन गैस, आदि विभिन्न एजेन्सियों के नाम से) अथवा अस्पतालों में ऑक्सीजन गैस सप्लाई के लोहे के सिलेण्डर में सम्पीड़ित गैस है ( अधिक दाब पर ) |
बायो गैस अथवा गोबर गैस (Bio Gas or Gobar Gas)
यह 75% मेथेन, हाइड्रोजन, हाइड्रोजन सल्फाइड और कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण है। इसे जैव मात्रा जैसे गोबर, सीवेज, वनस्पति अपशिष्ट, आदि के अवायवीय अपघटन (anaerobic decomposition) द्वारा प्राप्त किया जाता है। यह गैस सरलतापूर्वक जलती है और बिना किसी धुएँ के पर्याप्त ऊष्मा उपलब्ध कराती है। यही कारण है कि यह घरेलू कार्यों में की प्रयुक्त जाती है। इसका उपयोग खाना पकाने में ईंधन के रूप में किया जाता है।
सम्पीड़ित प्राकृतिक गैस [Compressed Natural Gas (CNG)] 
यह मुख्यतः मेथेन और कुछ एथेन से बनी होती है। आजकल इसका उपयोग वाहनों में किया जाता है क्योंकि यह पेट्रोल और डीजल की तुलना में कम प्रदूषक जैसे कार्बन मोनॉक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, आदि उत्पन्न करती है।
पेट्रोल (Petrol)
इसका प्रयोग हल्के स्वचालित वाहनों जैसे स्कूटर, कार, आदि में किया जाता है।
पेट्रोल या गैसोलिन की गुणवत्ता (Quality of Petrol or Gasoline) 
यह ऑक्टेन संख्या द्वारा मापी जाती है। पेट्रोल के किसी नमूने की ऑक्टेन संख्या आइसो-ऑक्टेन का वह आयतन प्रतिशत है जो आइसो-ऑक्टेन तथा n-हेप्टेन के मिश्रण में उपस्थित होता है तथा जिसकी अपस्फोटन क्षमता प्रयोग में लिए गए ईंधन की अपस्फोटन क्षमता के बराबर होती है। इन्जन (सिलेण्डर) में ईंधन के पूर्वज्वलन (pre-ignition) के कारण उत्पन्न धात्विक ध्वनि अथवा खड़खड़ाना (rattle) अपस्फोटन (knocking) कहलाती है। अपस्फोटन इन्जन को क्षतिग्रस्त करता है। अतः पेट्रोल में अपस्फोटनरोधी पदार्थ (anti-knocking substances) जैसे टेट्राएथिल लेड (TEL) और बेन्जीन टॉलुईन जाइलीन (BTX), आदि मिलाए जाते हैं। सामान्यता 0.15 मिली TEL, एथिल ब्रोमाइड के साथ प्रति लीटर पेट्रोल में मिलाया जाता है। उच्च ऑक्टेन मान वाले ईंधन में सीसा प्रचुरता में होता है।
डीजल (Diesel)
डीजल का उपयोग इसकी उच्च शक्ति और कम कीमत के कारण भारी मोटर वाहनों जैसे ट्रक, ट्रैक्टर, पनडुब्बी, आदि में किया जाता है।
बायोडीजल (Biodiesel)
जैव ईंधन (डीजल) वनस्पति तेल, वसा तथा ग्रीस से पुनः चक्रण से प्राप्त किया जाता है। यह ईंधन प्रारम्भिक जीवाश्म ईंधनों की तुलना में सुरक्षित होता है, कम प्रदूषक उत्पन्न करता है, लेकिन वर्तमान में इसकी लागत अधिक आती है।
बायोडीजल को वाहनों में इसके शुद्ध रुप (B 100 ) में ईंधन की तरह प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इसको अधिकांशतः प्रदूषकों (CO व हाइड्रोकार्बन) में कमी लाने के लिए डीजल (जीवाश्मीय ईंधन) में मिलाया जाता है। वसा तथा तेलों से इसको ट्रान्स एस्टरीकरण (trans-esterification) द्वारा प्राप्त किया जाता है।
द्रवित प्राकृतिक गैस [Liquefied Natural Gas (LNG)] 
वास्तव में यह द्रव रूप में प्राकृतिक गैस (मुख्यतया मेथेन) है। प्राकृतिक गैस 25 kPa दाब और – 162 C ताप पर द्रवित हो जाती है। यह गन्धहीन, रंगहीन, अविषैली और असंक्षारक गैस है। इसका ऊष्मीय घनत्व CNG की तुलना में क्रमश: 2.4 गुना और डीजल का 60% है। यही कारण है कि परिवहन उद्देश्यों के लिए यह अत्यधिक महँगा ईंधन है। इसके परिवहन के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए क्रायोजेनिक सी वैसल्स (cryogenic sea vessels) तथा क्रायोजेनिक रोड टेंकरों (cryogenic road tankers) का उपयोग किया जाता है।
ब्रेन्ट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil)
यह लगभग 0.37% सल्फर युक्त हल्का कच्चा तेल है। इसे sweet crude भी कहा जाता है तथा यह पेट्रोल और मध्यम आसुत (middle distillate) के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। इसका विशेष गुरुत्व ( specific gravity ) 0.835 है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से उत्तरी-पश्चिमी यूरोप में किया जाता है।
भंजन (Cracking)
यह वह प्रक्रिया है जिसमें उच्च क्वथनांक वाले हाइड्रोकार्बन निम्न क्वथनांक वाले हाइड्रोकार्बनों के मिश्रण में परिवर्तित हो जाते हैं ।
उदाहरण       
इस तकनीक का उपयोग पेट्रोल की बढ़ती माँग को पूरा करने में तथा पेट्रोल की गुणवत्ता उन्नत करने के लिए किया जाता है।
ईंधनों की दिशा में प्रगति (Advancement in the Direction of Fuels)
(i) एक प्रक्रिया जिसमें सूक्ष्मजीव का प्रयोग ग्लिसरॉल से एथेनॉल एकत्रित के लिये किया जाता है इस प्रक्रिया में एथेनॉल और जल के मिश्रण से ईंधन बनाया जाता है और इसमें अपशिष्ट जल को साफ करने का लाभ भी दिया जाता है।
(ii) हाइड्रोजन का भण्डारण करने के लिये एक नया ठोस स्थाई पदार्थ विकसित किया गया है जो काफी अधिक मात्रा में हाइड्रोजन पैक कर सकता है। पदार्थ की उत्कृष्ट क्रिस्टल अवस्था में लिथियम बोरॉन और मुख्य अवयव हाइड्रोजन है। गर्म करने पर यह पदार्थ आसानी और तीव्रता से केवल लेशमात्र अवांछित उपोत्पाद के साथ हाइड्रोजन (जो एक सर्वश्रेष्ठ ईंधन माना जाता है) मुक्त करता है।
(iii) नये अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि 20 ईंधन, जिसमें गैसोलिन के साथ 20% एथेनॉल मिश्रित है, का उपयोग परम्परागत गैसोलिन या E 10 ईंधन की तुलना में पाइप से निकलने वाले हाइड्रोकार्बन और कार्बन मोनॉक्साइड़ को घटाता है। इसके अतिरिक्त अनुसन्धान दल ने परम्परागत आन्तरिक दहन इन्जन में चलने योग्य वाहन या रखरखाव के लिये कोई मापा जा सकने योग्य प्रभाव नहीं पाया।
(iv) US में सड़कों और हाइवे पर कारें 90% अनलेडिड गैसोलिन और 10% एथेनॉल के मिश्रण से चलती हैं। इण्डियाना पोलिस 500 में रेस कारों में अधिकांश में ऐथेनॉल ग्रेड ईंधन जलता है। इस वर्ष लेंडी 500 ने 100% एथेनॉल के बदले 85% एथेनॉल वाले ईंधन को स्विच किया। यह लेंडी ईंधन को वास्तविक जीवन के करीब बनाता है। कुछ US गैस स्टेशनों पर E-85 बेचा जाता है।
लेंडी ईंधन (E-85 का मिश्रण) बहुत माँग ईंजन परिस्थितियों में वैकल्पिक ईंधन के उपयोग का एक अच्छा उदाहरण सेट करता है । E-86 वाहन तकनीक जिसे सड़क वाहनों में प्रयुक्त किया जा सकता है को सटीक बनाने के लिये इन्जीनियरों के लिये यह एक उपजाऊ जमीन है ईंधन जिनमें 85% से अधिक एथेनॉल होता है का उपयोग करने से वायुप्रदूषकों की विविधता घटती है इनमें सल्फर उत्सर्जन ( 80% कम ), कार्बन मोनॉक्साइड ( 40% ), कणिकीय प्रदूषक (20%), VOCs (15% ) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (15%) समाविष्ट हैं।
दहन (Combustion )
रासायनिक प्रक्रम जिसमें पदार्थ ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर ऊष्मा देता है, दहन कहलाता है। जिस पदार्थ का दहन होता है, वह दाह्य कहलाता है, इसे ईंधन भी कहते हैं। मैग्नीशियम रिबन का जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड के साथ ऊष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न करना दहन का उदाहरण है। वास्तव में दहन ऑक्सीकरण प्रक्रिया है।
दहनशील और अदहनशील पदार्थ (Combustible and Non-Combustible Substances)
वे पदार्थ जो वायु (या ऑक्सीजन) की उपस्थिति में जल जाते हैं, दहनशील पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरण काष्ठ, कागज, कैरोसीन, चारकोल, सल्फर, मैग्नीशियम, आदि। वे पदार्थ जो वायु की उपस्थिति में नहीं जल सकते हैं, अदहनशील पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरण पत्थर का टुकड़ा, रेत, मिट्टी, ईंट, आदि ।
दहन के लिए आवश्यक दशाएँ (Conditions Required for Combustion) 
(i) वायु ऑक्सीजन (Air) यह दहन का समर्थक ( पोषक) है।
(ii) ज्वलन ताप (Ignition temperature ) वह न्यूनतम ताप जिस पर कोई पदार्थ आग पकड़ता है, इसका ज्वलन ताप कहलाता है। ज्वलनशील (inflammable) पदार्थों का ज्वलन ताप बहुत कम होता है और ये ज्वाला के साथ आसानी से आग पकड़ते हैं; उदाहरण LPG, पेट्रोल, ऐल्कोहॉल, आदि ।
(iii) ईंधन (Fuel) यह भी दहन के लिए आवश्यक है।
दहन के प्रकार (Types of Combustion)
दहन चार प्रकार का होता है
(i) तीव्र दहन ( Rapid Combustion) दहन की वह प्रक्रिया जिसमें ईंधन जैसे हाइड्रोकार्बन तीव्रता ( बहुत कम समय अन्तराल में) से जलकर ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करते हैं, तीव्र दहन कहलाता है। उदाहरण माचिस की तीली का जलना, पटाखे का फटना, आदि ।
(ii) मन्द दहन ( Slow Combustion) जब किसी पदार्थ के दहन का वेग बहुत धीमा होता है तो इसे मन्द दहन कहते हैं। यहाँ, प्रकाश उत्पन्न नहीं होता है और ऊष्मा भी अभिक्रिया के ताप को नहीं बढ़ा सकती है; उदाहरण श्वाँस भीतर लेना (inhalation of air or oxygen)
(iii) स्वतः दहन (Spontaneous Combustion or Auto-combustion) जब किसी पदार्थ का दहन कक्ष ताप पर ऊष्मा की आपूर्ति के बिना होता है तब यह स्वतः दहन कहलाता है। उदाहरण कक्ष ताप पर फॉस्फोरस का दहन, कोयले की खानों में कोयले का दहन, जंगल की आग।
इस अवस्था में पदार्थ का ज्वलन ताप कक्ष ताप से कम होता है।
(iv) अपूर्ण दहन (Incomplete Combustion) जब ईंधन का दहन ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति में होता है तो इसे अपूर्ण दहन कहते हैं। इस प्रक्रिया में पदार्थों के मोनॉक्साइड बनते हैं।
उदाहरण                              CH4 + O2  →  CO + H2O
                                                               (ऑक्सीजन की अपर्याप्त सप्लाई में)
प्रणोदक अथवा रॉकेट ईंधन (Propellants or Rocket Fuels)
ये वे ज्वलनशील पदार्थ हैं जिनका ऊष्मीय मान बहुत उच्च होता है तथा जिनको जलाने पर तीव्र दहन होने से गैसों के साथ बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। प्रणोदकों (propellants) के दहन से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मीय से ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसके परिणामस्वरूप तापमान तथा आन्तरिक दाब बढ़ जाता है।
बढ़े हुए दाब के कारण उत्पन्न गैसें जैसे कार्बन मोनॉक्साइड, भाप, आदि रॉकेट के पिछले भाग से जेट के रूप में बहुत तीव्रता से बाहर निकलती है। प्रणोदक के जेट के द्वारा संवेग में जितनी हानि होती है उतना ही रॉकेट प्राप्त करता है। इस प्रकार जेट पीछे की दिशा में गति करता है तथा रॉकेट का आगे की दिशा में प्रणोदन होता है।
प्रणोदकों के प्रकार (Types of Propellants)
प्रणोदक निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं
1. ठोस प्रणोदक (Solid Propellants)
इनमें ईंधन और ऑक्सीकारक एक साथ रखे होते हैं। इनको दो समूहों में बाँटा गया है
(i) कम्पोजिट प्रणोदक (Composite Propellants) ये ईंधन और ऑक्सीकारक के मिश्रण से बने हैं। उदाहरण पॉलीयूरिथेन या पॉलीब्यूटाडाइईन + ऑक्सीकारक जैसे अमोनियम परक्लोरेट।
(ii) डबल बेस प्रणोदक (Double Base Propellants) ये मुख्यतया नाइट्रोसेलुलोस और नाइट्रोग्लिसरीन के बने होते हैं। उदाहरण गन पाउडर ।
2. द्रव प्रणोदक (Liquid Propellants)
इनमें ऑक्सीकारक की आवश्यकता होती है। प्रणोदक जिस कक्ष में जलता है उससे अलग कक्ष में इसे रखा जाता है। इन्हें दो समूहों में बाँटा गया है
(i) मोनोलिक्विड प्रणोदक (Monoliquid Propellants) एक ही यौगिक जैसे नाइट्रोमेथेन में ऑक्सीकारक और ईंधन दोनों होते हैं।
(ii) बाइलिक्विड प्रणोदक (Biliquid Propellants) ये ऑक्सीकारक जैसे द्रव ऑक्सीजन तथा ईंधन जैसे कैरोसीन, द्रव हाइड्रोजन, द्रव पैराफिन, द्रव अमोनिया, ऐल्कोहॉल, आदि का संयोजन (combination) होते हैं।
3. हाइब्रिड संकर प्रणोदक (Hybrid Propellants)
ये ठोस ईंधन और द्रव ऑक्सीकारक के बने होते हैं। जैसे एक्रिलिक रबड़ ( ईंधन) और द्रव N2O4 (ऑक्सीकारक) का मिश्रण।
ज्वाला (Flames)
दहन के समय जो पदार्थ वाष्पित होते हैं वे ज्वाला देते हैं; जैसे मिट्टी का तेल, पिघला मोम, आदि। वास्तव में ज्वाला आग का गर्म भाग है तथा इसके तीन भाग होते हैं
(i) ज्वाला का सबसे आन्तरिक क्षेत्र (Innermost Region of Flame) यह भाग बिना जले कार्बन कणों की उपस्थिति के कारण काला होता है। इसका ताप निम्नतम होता है।
(ii) मध्य भाग (Middle Region) यह ईंधन के आंशिक दहन के कारण पीला ज्योतिर्मय (yellow, luminous) भाग है।
(iii) सबसे बाह्य क्षेत्र ( Outermost Region) यह ईंधन के पूर्ण दहन के कारण अप्रदीप्त नीला (blue non-luminous) भाग है। यह ज्वाला का सबसे गर्म भाग है तथा इसे सुनार द्वारा सोना, चाँदी पिघलाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
सोलर जेट (Solar Jet)
एक नया सौर रिऐक्टर प्रौद्योगिकी और अधिक टिकाऊ परिवहन (sustainable transportation) के लिये उपयुक्त तरल हाइड्रोकार्बन ईंधन का उत्पादन करने का बीड़ा उठाया गया है। सौर मिट्टी के तेल के लिये अवधारणा के इस पहले सबूत के साथ, सौर विमान परियोजना भविष्य में लगभग असीमित फीड स्टोक के साथ सही मायने में स्थाई ईंधन की दिशा में एक उपाय के कदम बना दिया है। सौर विमान परियोजना के तहत केन्द्रित सूर्य की रोशनी का उपयोग CO2 और जल को तथा कथित संश्लेषण गैस में परिवर्तित करने का एक अभिनव प्रक्रिया प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया। यह उच्च ताप पर धातु ऑक्साइड आधारित पदार्थों के साथ रेडॉक्स चक्र द्वारा संपादित हुआ। व्यापारिक फिशर ट्रॉप्श (Commercial Fischer Tropsch Technology) प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सिन गैस (हाइड्रोजन और CO का मिश्रण) को अन्ततः कैरोसीन में परिवर्तित कर दिया जाता है।
सौर जेट (अक्षय जेट ईंधन की दीर्घकालिक उपलब्धता के लिये सौर रासायनिक रिएक्टर को अच्छे से अच्छा बनाना और सार्वजनिक प्रदर्शन) जून 2011 में प्रारम्भ की गई थी। इसे चार वर्षों के लिये यूरोपियन यूनियन से सातवें ढाँचागत प्रोग्राम के अन्दर आर्थिक सहायता प्राप्त हुई। सौर जेट के परिणाम केन्द्रित सौर ऊर्जा से सीधे अधिक टिकाऊ ईंधन के उत्पादन, नवीनीकरण और रिसर्च में यूरोप को सबसे आगे रखेंगे।
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