ज्ञान प्राप्त करने के आधारों का संक्षेप में समझाये।

ज्ञान प्राप्त करने के आधारों का संक्षेप में समझाये।

उत्तर— ज्ञान प्राप्त करने के आधार–बालक जन्म के पश्चात् अनुभव करना आरम्भ कर देता है। यह बात अलग है कि वह अनुभवों की अभिव्यक्ति मुँह से कर पाता हो लेकिन फिर भी बहुत कुछ अनुभवों के बारे में वह रोकर, हँसकर बता देता है। ज्ञान प्राप्ति के मुख्य रूप से तीन स्तर हैं । ये स्तर निम्नलिखित हैं—

(1) पहला स्तर ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्धित है और इस स्तर पर इन्द्रियों के माध्यम से ज्ञान प्राप्ति होती है। प्रारम्भ में हर बालक व मनुष्य ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से ही ज्ञान प्राप्त करता है।
(2) दूसरे स्तर पर बालक के भाषा शिक्षण के साथ-साथ उसका मानसिक विकास प्रारम्भ हो जाता है। फिर वह केवल ज्ञानेन्द्रियों पर ही निर्भर नहीं करता बल्कि ज्ञान प्राप्ति के लिए तर्क और विवेकपूर्ण सोच का सहारा लेता है ।
(3) तीसरे स्तर पर मानसिक और बौद्धिक विकास के साथ-साथ मनुष्य देवी शक्ति, श्रुति और अन्तःकरण से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करता है।
इन्द्रियों से मनुष्य को स्थूल वस्तुओं, प्रकृति के विभिन्न रूपों और भौतिक संसार के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है। यह ज्ञान निम्न स्तर का ज्ञान होता है।
लेकिन ज्ञानेन्द्रियों की सहायता से होने वाले ज्ञान की तुलना में बुद्धि एवं विवेक से प्राप्त किया हुआ ज्ञान उच्च स्तर का होता है, क्योंकि यह ज्ञान बुद्धिजनित होता है। तर्क, वितर्क, विवेक, आन्तरिक सूझ-बूझ और आलोचनात्मक सोच ज्ञान के साधन बनते हैं ।
पहले दो स्तर इन्द्रियानुभव ज्ञान और तर्क बुद्धि ज्ञान की तुलना में आध्यात्मिक ज्ञान उच्चतम कोटि का होता है। इसका सम्बन्ध आत्मा, आत्म जागरूकता, अन्तः प्रज्ञा, अन्तःकरण और श्रुति से होता है। इसे हम दैवी शक्तिजनित ज्ञान भी कहते हैं । इस ज्ञान के अन्तर्गत ज्ञाता और ज्ञेय में अन्तर नहीं रहता। इस ज्ञान को हम आत्मजनित ज्ञान भी कह सकते हैं।
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