टिप्पण: अर्थ | कार्यालय टिप्पण के प्रमुख भेद

टिप्पण: अर्थ | कार्यालय टिप्पण के प्रमुख भेद

कार्यालय में बाहर से आनेवाले पत्र आदि अथवा कार्यालय के ही कर्मचारियों द्वारा दिए गए विविध प्रकार के प्रार्थना पत्रादि पर सक्षम अधिकारी को उस पर यथावश्यक निर्णय लेने में सहायता देने के उद्देश्य से उस विषय से संबंधित कार्यालय को नीति, कार्य की स्थिति तथा रीति के अनुरूप लिखित रूप में दी जानेवाले जानकारी ( सुझाव, संकेत, निर्देश, दर्ज किए गए तथ्य, सूचनाएं) को टिप्पण (नोट) कहा जाता है। टिप्पणी लेखन को ही टिप्पण (नोटिंग) कहा जाता है। कार्यालय कार्यप्रणाली का यह पहला और महत्वपूर्ण हिंदी प्रयोग क्षेत्र है।
1. सरल तथा तथ्यपूर्ण टिप्पण:- कार्यालय कर्मचारी अथवा अधिकारी को टिप्पण लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि टिप्पण सरल तथा स्वाभाविक होने के साथ-साथ तथ्यपूर्ण भी हो। अच्छे टिप्पण की प्रमुख विशेषता है कि वह आकार की दृष्टि से छोटी तथा तथ्यात्मक होती है। स्पष्ट वाक्यों में विषय या भाव को प्रस्तुत करनेवाली टिप्पणी सराहनीय तथा ग्राह्य होती है।
2. सर्वांगीण टिप्पण :- टिप्पण करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि आवश्यकतानुसार पूर्व संदर्भ, नियम- उपनियमादि का यथास्थान अंकन कर दिया गया है। एक से अधिक संदर्भ होने पर अलग-अलग स्लिपों द्वारा संदर्भित करते हुए टिप्पण को यथासाध्य सर्वागीण बनाने का प्रयास किया जाता है। टिप्पण में विषय के पक्ष तथा विपक्ष से संबंधित अपना मत अंकित करने देने से टिप्पणी का प्रभाव तथा महत्व बढ़ जाता है। टिप्पणी अपने आप में स्वतः पूर्ण या सर्वांगीण हो तो संबंधित अधिकारी को उचित निर्णय लेने में आसानी होती है ।
3. सहज तथा स्वाभाविक भाषा में टिप्पण:- टिप्पण की भाषा जितनी सहज तथा स्वभाविक होगी, वह टिप्पण उतना ही अच्छा माना जाएगा। टिप्पण में अलंकार, मुहावरे, लोकोक्ति, व्यंग्य लक्षण आदि का प्रयोग नहीं होता है। कुछ कर्मचारी तथा अधिकारी अपनी पुरानी आदत के अनुसार पहले अंग्रेजी में सोचने के बाद उसे हिंदी में अनुवार करते हुए लिखते हैं। ऐसा करने से उनकी भाषा में सहजता, स्वाभाविकता तथा खानगी नहीं आ पाती। इसलिए टिप्पण लेखक को उसी भाषा में सोचना चाहिए जिस भाषा में उसे टिप्पण लिखना है।
4. अनिवार्य स्थिति में अंग्रेजी शब्दादि का प्रयोग :- जब तक हिंदी में सारे नियम-उपनियम आद उपलब्ध तथा ज्ञात नहीं हो जाते, तब तक अनिवार्य स्थितियों में अंग्रेजी के उपयुक्त एवं प्रचलित शब्दादि के प्रयोग से हिचकने झिझकने की आवश्यकता नहीं है।
कार्यालय टिप्पण के प्रमुख भेद –
1.. आदेशात्मक टिप्पण:- कार्यालयों में आदेशात्मक टिप्पण ऐसे अधिकारियों द्वारा लिखे जाते हैं, जो किसी विषय के बारे में निर्णय देने (लिखने) में सक्षम होते हैं। आदेशात्मक टिप्पण कम-से-कम शब्दों में लिखे जाते हैं। कभी-कभी इन टिप्पणों में अधिकारी ‘मैं’ या ‘हम’ शब्द का प्रयोग भी कर जाते हैं। आदेशात्मक टिप्पण की शब्दाबली में आदेश का पालन करने की भावना छिपी रहती है। कुछ आदेशात्मक टिप्पण उदाहरणार्थ प्रस्तुत है,
i) शीघ्र कार्रवाई करें।
ii) तत्काल कार्रवाई की जाए।
iii) यथा प्रस्तावित कार्रवाई करें।
iv). यथासंशोधित प्रारूप भेजा जाए। आदि।
2. विचारात्मक टिप्पण:- विचारात्मक टिप्पण सामान्यतः कार्यालय के अधीनस्थ कर्मचारी किसी विषय के संबंध में उच्च अधिकारी का मंतव्य जानने के लिए लिखते हैं। इन टिप्पणियों में विचाराधीन कागज पर कार्यालय की नीति, परंपरा तथा नियमादि का उल्लेख करते हुए अथवा स्थिति का खुलासा करते हुए उच्च अधिकारी के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत किया जाता है। कुछ विचारात्मक टिप्पणियाँ उदाहरणार्थ प्रस्तुत है .
i) कर्मचारियों के आंदोलन को देखते हुए यात्रा – कार्यक्रम में फिलहाल परिवर्तन करना आवश्यक हो गया है। संशोधित यात्रा कार्यक्रम अनुमोदनार्थ प्रस्तुत है।
ii) प्रस्तुत बिलों की पूरी तरह जाँच कर ली गई है। यदि लेखाधिकाररी की अनुमति हो, तो इन्हें भुगतान के लिए स्वीकार कर लिया जाए।
3. विवेचनात्मक टिप्पण:- कार्यालयों में विवेचनात्मक टिप्पणियाँ उस समय लिखी जाती हैं, जब किन्हीं गंभीर तथा महत्वपूर्ण मसलों पर कार्रवाई करनी होती है। ऐसी टिप्पणियाँ कुछ विशेष स्तर वाले कर्मचारी द्वारा लिखी जाती हैं, जो संबंधित विषय की अच्छी जानकारी रखते हैं। ऐसे गंभीर तथा महत्वपूर्ण मसलों के मामले में काफी गहराई तथा विस्तार से समस्याओं का विश्लेषण करना होता है। उदाहरणार्थ कुछ नियमों में संशोधन / परिवर्तन करना हो, तो वर्तमान नियम कब, क्यों और किन परिस्थितियों में बनाए गए थे, उनसे क्या लाभ हुए अथवा क्या हानियाँ हुई; इन नियमों से स्थितियों में क्या अंतर आया आदि पक्षों की पूरी तथा यथास्थिति जानकारी देते हुए संशोधन / परिवर्धन / परिवर्तन की आवश्यकता के कारण तथा भविष्य में पड़नेवालं प्रभाव आदि की हर मद की पूरी व्याख्या प्रस्तुत करनी होती है। रेल कार्यालय से संबंधित एक विवेचनात्मक टिप्पण उदाहरणार्थ प्रस्तुत हैं
i) भारतीय रेल के विभिन्न जोनों में होनेवाली रेल दुर्घटनाओं की संख्या में निरंतर हो रही वृद्धि पर गत वर्ष संसद के दो अधि वेशनों में काफी चिंता व्यक्त की गयी है। देश के लगभग सभी समाचारपत्रों तथा दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रसारित होनेवाले समाचारों में भी इस बात पर काफी चर्चा रही थी। जनता की परेशानी तथा चिंता को देखते हुए सरकार भी काफी समय से उन्हें कम करने के संबंध में विचार करती आ रही थी। अन्ततः यही उचित समझा गया कि श्री अध्यक्षता में एक कमीशन गठित कर दिया जाए, जो इस समस्या पैर गहराई से विचार करके इस संबंध में अपनी संस्तुतियाँ सरकार को दे। श्री का इस प्रकार के कार्यों से पिछले कई वर्षों से निकट का संबंध रहा है। वे इस विषय में देश की के मूदुर्धन्य विद्वान तथा ज्ञात हैं।
कमीशन ने रेल दुर्घटनाओं के कारणों पर तकनीकी, मशीनी, कर्मचारियों की असावधानी, मानवीय दुर्बलताओं, दैवी आपदाओं, प्राकृतिक परिवर्तनों आदि की दृष्टि से काफी गहराई तथा विस्तार में जाकर छह महीनों तक कठिन परिश्रम करके विषय का विश्लेषण करते हुए अपनी रिपोर्ट सरकार को दिनांक को सौंप दी थी। रिपोर्ट में जो संस्तुतियाँ की गई हैं, उन पर भारत सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर विचार किया जा रहा है। कुछ संस्तुतियाँ तो ऐसी थी, जिन्हें अविलंब मान लेने में सरकार को कोई आपत्ति नहीं थी, अतः सरकार ने उन्हें मान भी लिया है। उनके संबंध में आवश्यक आदेश जारी किए जा रहे हैं। शेष में से अधिकांश के बारे में विचार-विमर्श उस स्तर तक पहुँच चुका है कि उन्हें शीघ्र स्वीकृत कर लिया जाएगा। कुछ ही संस्तुतियाँ इस प्रकार की हैं, जिनकी उपयोगिता सिद्ध होने जाने पर ही उनके बारे में कुछ कहा जा सकेगा आदि।
4. सामान्य टिप्पणी :- विभिन्न कार्यालयों में विभिन्न स्तरों पर स्थापना, रोकड़, सामान्य प्रशासन, लेखा आदि से संबंधित प्रतिदिन अनेक ऐसी टिप्पणियाँ लिखी जाती हैं, जिन्हें सामान्य टिप्पणियाँ कहा जा सकता है। विभिन्न विभागों से संबंधित कुछ सामान्य टिप्पण उदाहरणार्थ प्रस्तुत हैं
i) कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए साईकिल की व्यवस्था के संबंध में दफ्तर की ओर से डाक अनुभाग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को साइकिल देना नितांत आवश्यक है, क्योंकि उन्हें डाक वितरण के लिए अनेक स्थानों पर जाना पड़ता है। जितना पैसा कार्यालय प्रतिमाह इस मद में खर्च करता है, साइकिल खरीद का खर्चा उसकी तुलना में काफी कम रहेगा। अनुरोध है कि एक साइकिल खरीद की व्यवस्था शीघ्र करा दें।
ii) उपर्युक्त मांगपत्र पर संबंधित स्थापना अनुभाग के कर्मचारी का पूर्ति के संबंध में दिया जानेवाला टिप्पण:- डाक अनुभाग ने अपने चापरासी को डाक वितरण के लिए एक साइकिल देने का अनुरोध किया है। हमारे स्टॉक में इस समय एक साइकिल उपलब्ध है, उसे हम उन्हें उपलब्ध करा सकते हैं।
iii) – विभिन्न संदर्भों में रोकड़ विभाग द्वारा लिखी जानेवाली कुछ टिप्पणियाँ (क) यात्रा – भत्ता बिल में यात्रा का प्रयोजन अंकित नहीं है, साथ ही टिकट क्रमांक भी अंकित नहीं है। अतः इसे पारित करना संभव नहीं है। बिल को संबंधित व्यक्तियों को आवश्यक जानकारी देने के लिए वापस भेजना उचित होगा। (ख) यात्रा भत्ता बिल मुख्यालय से तीस दिन से अधिक दिनों की अनुपस्थिति का है, अतः इसे कार्यालय प्रमुख की स्वीकृति के लिए भेजना होगा। यदि अनुमोदित करें तो बिल मुख्यालय को भेज दिया जाए। (ग) आकस्मिक अवकाश के साथ अर्जित अवकाश नहीं मिल सकता। संबंधित कर्मचारी को सूचना दे दी जाय।
iv) घड़ी या इसी प्रकार की अन्य वस्तु के संदर्भ में कुछ समय पूर्व प्रशासन अनुभाग ने इस भुगतान की दीवार घड़ी हटवा ली थी और उसके स्थान पर एक मेज घड़ी दे दी थी। उस मेज घड़ी ने कभी संतोषजनक कार्य नहीं किया और इन दिनों वह चल भी नहीं रही है। अनुभाग में दीवार घड़ी के अभाव में बड़ी असुविधा अनुभव की जा रही है। अनुरोध है कि इस अनुभाग में एक दीवारघड़ी जल्दी लगवा दी जाए।
v) उपर्युक्त टिप्पण / मांगपत्र स्थापना अनुभाग में पहुँचने पर स्थापना के कर्मचारी द्वारा की जानेवाली टिप्पणी : इस समय स्टॉक में कोई दीवार घड़ी उपलब्ध नहीं है जो अनुभाग को दी जा सके। यदि खर्च का विचार अनुमोदित हो तो तीन-चार प्रसिद्ध फार्मों से भाव मँगा लिये जाएँ। या सुपर मार्केट से दीवारघड़ी क्रय की जा सकती है। इस संबंध में यह भी संकेत दिया जाता है कि हमने पहले कंपनी से चार घड़ियाँ रूपये प्रति घड़ी (बी कर सहित) की दर से खरीदी थी। विचारार्थ प्रस्तुत है।
टिप्पण के संबंध में कुछ ज्ञातव्य विशेष बातें
1.व्यापारिक संस्थाओं में टिप्पण कार्य का कोई विशेष स्थान नहीं है, सरकारी कार्यालयों में टिप्पण का विशेष महत्व है। टिप्पण में अन्य कलाओं की भांति निरंतर अभ्यास तथा अनुरक्ति से निखर आता है, किंतु इसकं प्रायोगिक पक्ष के लिए एकाग्रचित हो; निरंतर अभ्यास की आवश्यकता है।
2. टिप्पण-कार्य केवल सहायक कर्मचारी को ही नहीं, कभी-कभी आवश्यकता पड़ने पर अधिकारी को भी करना पड़ जाता है। टिप्पण का उद्देश्य उन बातों को स्पष्ट रूप से तथा तर्क संगत ढंग से प्रस्तुत करना है, जिनपर अनुकूल या प्रतिकूल निर्णय किया जाना है। टिप्पण में निर्णय लेने के आधारों (दशाओं, इतिहास, परिस्थितियों) का भी उल्लेख करना आवश्यक है। आवश्यकतानुसार प्रश्न संबंध `े पूर्ण दृष्टांत, पूर्व निर्णय तथा लागू होनेवाले नियम आदि का भी उल्लेख करना पड़ सकता है, ताकि आदेश देन वाले अधिकारी को वाद विवाद का पूर्ण ज्ञान हो जाए तथा वह न्यायोचित आदेश दे सके।
3. टिप्पण की भाषा सरल, स्पष्ट, संयत, विनीत तथा भद्र रहनी चाहिए। टिप्पण में अतिशयोक्ति का प्रयोग वर्जित है। टिप्पण में भ्रमात्मक तथा द्विअर्थक शब्दों का प्रयोग एकदम नहीं होना चाहिए। इसमें मुहावरे, लोकोक्ति, कहावतों आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। विषय का दोहराव नहीं होना चाहिए।
4. विस्तृत टिप्पण में प्रथम परिच्छेद को छोड़कर अन्य परिच्छेदों को संख्याबद्ध कर दिया जाए, ताकि आदेशाधिकारी टिप्पण के किसी भाग को आसानी से अवलोकन कर लें। कभी-कभी आवश्यकतानुसार विस्तृत टिप्पण को (क, ख, ग) उपभागों में विभक्त किया जा सकता है।
5. एक विषय पर यथासंभव एक ही टिप्पणी लिखी जाए, जिसमें निर्देशों का वही क्रम हो जो पत्रावली में हो । निर्देश (अर्थात् टिप्पण के उद्धृत अंश) टिप्पण के पार्श्व में लिखे जाएँ, न कि उसके मूल में टिप्पणी की किसी बात के संबंध में जो अधिकारी कोई आदेश पारित करता है, वह पार्श्व में अपने हस्ताक्षर करेगा।
6. टिप्पणी में कार्यालय द्वारा नीति संबंधी प्रश्न या अधिकारियों के आचरण के संबंध में आलोचना न की जाए।
7. टिप्पण में घटनादि या पूर्वपत्र अथवा अनुस्मारक आदि का उल्लेख करते समय दिनांक, पत्र संख्या आदि का उल्लेख अवश्य किया जाए।
8. टिप्पण लेखक को उत्तम पुरुष तथा मध्यम पुरुष में टिप्पणी नहीं लिखनी चाहिए। सामान्यतः कार्यालय को स्वतः पूर्ण टिप्पणी लिखने की आवश्यकता नहीं होती।
9. सामान्यत: टिप्पण- प्रस्तुति की एक सारणी होती है, जो कार्यालय सहायक से आरंभ होकर अनुभाग अधिकारी -झ शाखा अधिकारी झ कार्यालय प्रधान झ विभाग प्रधान झ सचिव झ राज्यमंत्री स्तर तक चल सकती है।
10. प्रत्येक भिन्न विषय से संबंधित पत्रों की अलग फाइल बनाई जाती है। इस फाइल की नोटशीट (एक विशेष प्रकार का कागज) पर ही टिप्पणी लिखी जाती है।
11. कार्यालय के आंतरिक प्रशासन से संबंधित कुछ ‘नेमी टिप्पणी’ पर्याप्त संक्षिप्त होती है, जैसे- चर्चा कीजिए / बात कीजिए / हस्ताक्षर के लिए / आगे भेजने के लिए / सूचना के लिए प्रस्तुत / कृपया इसे रोके रखें / कृपया प्रस्तुत करें / देख लिया, जारी कर दिया जाए / भुगतान के लिए पास किया गया / अग्रेषित / स्वीकृत / देखा / रेखांकित कर टिप्पणी दें।
टिप्पण के अवयव
टिप्पण के मुख्य रूप से पाँच अवयव होते हैं
1. आवती का विषय :- इसमें टिप्पण लेखक को ‘अमुक ने आवेदन किया है’ आदि लिखा जाता है।
2. . कारण :- इसमें आवेदक के कारणों पर अपनी राय दी जाती है। इसमें आवेदन में बतलाया है’ से बात कही जाती है।
3. नियम :- इसमें ‘नियम हैं किया जा सकता है जिसे वाक्यांश प्रयुक्त होते हैं।
4. कार्यालय की स्थिति :- इसमें ‘कार्यालय की स्थिति है’ या कार्यालय की अभी स्थिति ऐसी नहीं है’ जैसे वाक्य लिखे जाते
5. सुझाव :- इसमें किया जा सकता है’ जैसे वाक्य लिखे जाते हैं।
नमूना
टिप्पण के स्वरूप को स्पष्ट करने के लिए यहाँ एक संचिका का पूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है
परीक्षा नियंत्रक,
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय,
दरभंगा।

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