नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति, हमारे देश के विकास में किस प्रकार से सहायक है, विस्तार से समझाएं। नाभिकीय ऊर्जा किस प्रकार से देश की कुल ऊर्जा के उत्पादन के क्षेत्र में सहायक है, चर्चा करें। नाभिकीय ऊर्जा के सकारात्मक एवं ऋणात्मक पक्ष को स्पष्ट करें।
नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति, हमारे देश के विकास में किस प्रकार से सहायक है, विस्तार से समझाएं। नाभिकीय ऊर्जा किस प्रकार से देश की कुल ऊर्जा के उत्पादन के क्षेत्र में सहायक है, चर्चा करें। नाभिकीय ऊर्जा के सकारात्मक एवं ऋणात्मक पक्ष को स्पष्ट करें।
अथवा
भारत में नाभिकीय ऊर्जा की स्थिति एवं प्रगति का उल्लेख करते हुए देश के विकास में इसके योगदान की चर्चा करें। देश के कुछ ऊर्जा उत्पादन में नाभिकीय ऊर्जा के योगदान की चर्चा करते हुए इसके सकारात्मक व नकारात्मक पक्षों का उल्लेख करें।
उत्तर – भारत विश्व का द्वितीय सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। एक अनुमान के अनुरूप भारत की ऊर्जा आवश्यकता अगले 25 वर्षों में 4.2% तक बढ़ने की संभावना है। ध्यातव्य है कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा आयातक देश है। साथ ही यहां परंपरागत ऊर्जा संसाधनों की अत्यधिक सीमित मात्रा है। ऐसे में, भारत गैर-परंपरागत एवं वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों के विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है। जिनमें से भारत का नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम प्रमुख है। भारत ने अपना परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम वर्ष 1956 से शुरू किया।
भारत के पास वर्तमान में 22 परमाणु रियेक्टर इकाइयाँ कार्यरत हैं जो कुल 6.730MW विद्युत उत्पादन करती हैं। जो भारत की कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 3 प्रतिशत है। इसके साथ ही 11 परमाणु रिऐक्टर निर्माणाधीन है जो ऊर्जा उत्पादन में अतिरिक्त वृद्धि करेंगे। वर्तमान समय में जहाँ विश्व के सभी विकसित देश अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों को बंद कर रहे हैं, वहीं भारत अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों का विस्तार कर रहा है। ऐसा भारत अपनी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं की आपूर्ति हेतु कर रहा है ।
जीवाश्म ईंधनों तथा अन्य वैकल्पिक ऊर्जा ईंधनों की सीमित मात्रा एवं अन्य अवसंरचनात्मक विकास न हो पाने के कारण भी ‘भारत’ अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार कर रहा है । यद्यपि परमाणु ऊर्जा से संबंधित कई चिंताएँ, जैसे-परमाणु विकिरण फैलने का खतरा, अपशिष्टों के निपटान की समस्या, नाभिकीय ईंधन की अपर्याप्तता आदि बनी हुई हैं। फिर भी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार वर्तमान में समय संगत प्रतीत होता है किंतु इसे दीर्घकाल में कम करने की आवश्यकता है। जिसके लिये अन्य वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों के अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना होगा।
• नाभिकीय ऊर्जा के सकारात्मक पक्ष
> नाभिकीय ऊर्जा को स्वच्छ ऊर्जा माना जाता है। अतः इससे वायु प्रदूषण संबंधी समस्या का समाधान होता है।
> नाभिकीय रिएक्टर को एक बार लगाने से उससे दशकों तक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
> नाभिकीय ईंधन की बहुत कम मात्रा से ऊर्जा की पर्याप्त प्राप्ति की जा सकती है।
> वर्ष 2005 में अमेरिका के साथ भारत के असैन्य परमाणु समझौते के बाद भारत ने आस्ट्रेलिया, कजाकिस्तान, कनाडा, जापान, रूस आदि देशों से परमाणु ईंधन (यूरेनियम) की प्राप्ति हेतु समझौते किए हैं। इन देशों से परमाणु ईंधन की प्राप्ति होने पर भारत ऊर्जा के बल पर अपने आर्थिक विकास को गति दे सकेगा।
> भारत में तमिलनाडु तथा केरल की रेत में मोनाजाइट नामक परमाणु खनिज की विशाल मात्रा विद्यमान है। इससे थोरियम प्राप्त होता है जिसे ऊर्जा उत्पादन में उपयोग किया जा सकता है।
• नाभिकीय ऊर्जा के नकारात्मक पक्ष
> नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के दौरान व्यापक स्तर पर नाभिकीय कचरा उत्पादित होता है। इस कचरे के निष्पादन की समस्या का सामना करना पड़ता है तथा कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया में रेडियोएक्टिव प्रदूषण होने की संभावना रहती है।
> भारत में यूरेनियम जैसे मुख्य नाभिकीय ईंधन की सीमित उपलब्धता है। अतः यूरेनियम आपूर्ति हेतु भारत को विदेशों पर विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है। ये देश अनेक मनमानी शर्ते भारत पर लादने का प्रयास करते है।
> नाभिकीय दुर्घटनाओं का भय तथा इन दुर्घटनाओं से पर्यावरणीय एवं मानवीय संसाधनों का ह्रास होता है।
> आस-पास के क्षेत्र में विकिरण फैलने की संभावना।
> यूक्रेन की चैरनोबिल दुर्घटना, जापान की फूकुशीमा दुर्घटना के बाद विश्व स्तर पर अनेक संगठन एवं सिविल सोसाइटी के लोग नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन का विरोध करते है तथा इसे मानवता के लिए घातक मानते है।
> भारत में भी परमाणु ऊर्जा का घरेलू स्तर पर व्यापक विरोध अनेक संगठनों द्वारा किया जाता है।
निष्कर्ष : भारत एक विकासशील देश है तथा इसे अपने नागरिकों का जीवन स्तर ऊपर उठाने तथा देश का आर्थिक विकास हेतु ऊर्जा की आवश्यकता है। ऊर्जा आपूर्ति के लिए भारत को पेट्रोलियम की कुल आवश्यकता का लगभग 70 प्रतिशत आयात करना पड़ता है। जिसके कारण देश की काफी मुद्रा बाहर जाती है साथ ही जीवाश्म ईंधन प्रदूषण भी फैलाता है। अतः भारत को सावधानी के साथ आगे बढ़ते हुए परमाणु ऊर्जा को प्रमुखता देने की आवश्यकता है।
> भारत में नाभिकीय ऊर्जा की स्थिति एवं प्रगति
> देश के विकास में नाभिकीय ऊर्जा का योगदान
> देश के कुल ऊर्जा उत्पादन में नाभिकीय ऊर्जा का भाग
> नाभिकीय ऊर्जा के सकारात्म एवं नकारात्क पक्षों का उल्लेख
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