पाठ्य-पुस्तक एवं सन्दर्भ पुस्तक में क्या अन्तर है?

पाठ्य-पुस्तक एवं सन्दर्भ पुस्तक में क्या अन्तर है?  

उत्तर—  पाठ्य पुस्तक–शिक्षण के कार्य में पाठ्य-पुस्तकें सहायक रही हैं तथा अध्यापक का मार्ग प्रदर्शन करती आ रही हैं। एक विद्वान के शब्दों में—

“पाठ्य पुस्तक ज्ञान को मितव्ययी ढंग से प्रदान करने के लिये आवश्यक है। यह मनुष्यों तथा अध्यापकों का समय बचाती है, एक ही समय में लाखों मनुष्यों के हृदय को प्रभावित करती है। इनके द्वारा स्वाध्याय तथा आत्मविश्वास की वृद्धि की जा सकती है।”
डगलस के शब्दों में “The teacher and the text-book make the school”.
मैक्सवेल के मतानुसार “It is at least the medium through which the teacher presents a’subject to the class”.
सन्दर्भ पुस्तक—सन्दर्भ पुस्तकों से विशिष्ट मामलों या विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त व परामर्श प्राप्त किया जाता है।
परिभाषा—किसी भी सूचना या विशिष्ट जानकारी को प्राप्त करने के लिए जो विशेष विषयों जैसे—मानचित्र, शब्दकोश, निर्देशिका, एनसाइक्लोपीडिया, पुस्तिका, कोश या दूसरे कार्यों को डिजाइन या रूपांकित किया जाता है, ये सब सन्दर्भ पुस्तक के अन्तर्गत आता है। जब हमें शीघ्रता से किसी की विशेष जानकारी की आवश्यकता होती है तो हम सन्दर्भ पुस्तकों का सहयोग लेते हैं। प्रत्येक पृष्ठ को पढ़ने से जानकारी प्राप्त करने की बजाय इन माध्यमों से हम आवश्यकतानुसार एवं शीघ्रता से जानकारी प्राप्त करते हैं।
जिस प्रकार शब्दकोश में शब्दों के अर्थ दिए होते हैं उसी प्रकार ‘सन्दर्भ ग्रन्थों’ में मानव द्वारा संचित ज्ञान को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ कई प्रकार के होते हैं। सन्दर्भ ग्रन्थ का सबसे विशद एवं विश्व ज्ञानकोश है। इसमें मानव द्वारा संचित इस प्रकार की जानकारी और सूचना का संक्षिप्त संकलन होता है।
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