‘चित्रकला’ क्या है?

‘चित्रकला’ क्या है?

उत्तर— मध्यकाल में जिन चित्रों का सृजन हुआ है वे धार्मिकता का रूप लिए हुए हैं और आधुनिक चित्रकला में जो सृजन हुआ है उनमें सृजक की संवेदनशीलता, बौद्धिकता, आत्म-अभिव्यक्ति का भाव अधिक है।
“किसी भी समस्त धरातल पर रेखाओं तथा रंगों की सहायता से लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई को अंकित कर किसी भी रूप को बनाना चित्रकला है।”
एक प्रसिद्ध विद्वान् ने चित्रकला की परिभाषा इस प्रकार दी है, “किसी समतल धरातल पर रंग तथा रेखाओं की सहायता से लम्बाई, चौड़ाई, गोलाई और ऊँचाई को अंकित कर किसी रूप और भाव अभिव्यक्त कर उसकी अनुभूति करना ही चित्रकला है ।
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि चित्रकला में किसी रूप का सृजन समतल धरातल पर हम इस प्रकार करते हैं कि रेखाओं और रंगों द्वारा लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई का आभास लेकर चित्र की रचना होती है उसे हम चित्रकला कहते हैं ।
चित्रकला के रूप – चित्रकला इन रूपों में पायी जाती हैं—
(i) काल्पनिक रूप (कल्पनाओं के आधार पर आलेखन, अलंकरण, सूक्ष्म रूप, भावपूर्ण चित्रण, आधुनिक संवेदनशील चित्रण),
(ii) धार्मिक रूप,
(iii) वास्तविक चित्रण (भूदृश्य, व्यक्ति का चित्रण, जीवन चित्रण, वस्तु का चित्रण, प्राकृतिक चित्रण),
(iv) परम्परागत रूप,
(v) पशु-पक्षी के रूप ।
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