पाठ्य वस्तु लेखन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिये ।

पाठ्य वस्तु लेखन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिये ।

उत्तर— पाठ्यवस्तु लेखन की आवश्यकता – समय-समय पर प्रचलित भाव-प्रकाशन की शैलियाँ तथा मान्य विचार वर्तमान समय में लिखित रूप से ही हमें उपलब्ध हो पाते हैं। भाषा पर अधिकार प्राप्ति के लिये किसी भाषा का सुनना, बोलना तथा पढ़ना आवश्यक होता है। उसी प्रकार लिखना भी महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि लिखा हुआ ही आगे की पीढ़ी को हस्तान्तरित होता है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है—
(1) अभिव्यक्ति का विकास—श्रवण, वाचन तथा पठन की भाँति लेखन भी महत्त्व रखता है। लेखन द्वारा बालक में अभिव्यक्ति कौशल का विकास होता है । कक्षा में किसी विषय, वस्तु, दृश्य या चित्र के सम्बन्ध में अध्यापक द्वारा प्रश्न पूछे जाते हैं और बालक उसके सम्बन्ध में अपने विचारों को व्यक्त करता है। इस प्रकार उसकी लिखित अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास होता जाता है।
(2) तर्क की क्षमता का विकास—कक्षा में छात्रों को विभिन्न प्रकार के प्रश्न दिये जाते हैं या इस निबन्ध लेखन के लिये शीर्षक दिया जाता है। बालक उस पर चिन्तन करता है तत्पश्चात् अपनी तर्कशक्ति के बल पर अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है। इस प्रकार लिखने से उसकी तर्क करने की क्षमता का विकास होता है।
(3) कल्पना शक्ति का विकास—कक्षा में अध्यापक छात्रों से किसी विषय पर निबन्ध लिखने के लिये कहता है। बालक उस विषय के सम्बन्ध में चिन्तन तथा मनन करता है और कल्पना करता है तदुपरान्त निबन्ध रचना करता है। इस प्रकार की लेखन-क्रिया से बालक की कल्पना का विकास होता है।
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