अशुद्ध उच्चारण के कोई पाँच कारण लिखिए।

अशुद्ध उच्चारण के कोई पाँच कारण लिखिए। 

उत्तर— अशुद्ध उच्चारण के कारण- उच्चारण अशुद्धि के निम्नलिखित कारण हैं—

(1) शारीरिक दोष– कभी-कभी शारीरिक विकार- जिवा, ओष्ठ, तालु, दन्त आदि के दोष के कारण भी उच्चारण सम्बन्धी दोष आ जाते हैं। हकलाने व तुतलाने का कारण भी अंग दोष ही है। उच्चारण अंगों के विकार के कारण वे सम्बद्ध ध्वनियों का सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं । “
(2) क्षेत्रीय बोलियों का प्रभाव– भाषा के उच्चारण पर क्षेत्रीय बोलियों का प्रभाव अवश्य पड़ता है। बालक खड़ी बोली के प्रभाव के कारण ‘क’ का उच्चारण ‘के’ करने लगते हैं। इन बोलियों के प्रभाव से हिन्दी भाषा के उच्चारण में दोष आ ही जाता है। भारत में तो हर पग पर बोली बदल जाती है, भाषा बदल जाती है तथा वेश बदल जाता है।
(3) भौगोलिक कारण– उच्चारण पर भौगोलिक प्रभाव भी पड़ता है । भिन्न-भिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाले व्यक्तियों के स्वर तन्तु भिन्न-भिन्न होते हैं। अरब के निवासियों अपने सिर पर सदैव एक कपड़ा लू और धूप के बचाव के लिए बाँधना पड़ता है। दिन-रात गले को कसा रखने से उनकी क ख, ग ध्वनि क ख ज हो गई।
(4) अक्षरों व मात्राओं का अस्पष्ट ज्ञान– बालकों को जब अक्षरों (स्वर तथा व्यंजन) के स्पष्ट उच्चारण का ज्ञान नहीं होता तो वे बोलने तथा पढ़ने में भी अशुद्धियाँ करते हैं । मात्राओं का स्पष्ट ज्ञान भी न होने से उच्चारण की अशुद्धियाँ होती है।
(5) आदत का प्रभाव– कभी-कभीं बन कर बोलने अथवा दुरभ्यास के कारण उच्चारण में अशुद्धि हो जाती है। जैसे”खाना को थाना’, फल को पल’ कहना ।
(6) मनोवैज्ञानिक कारण– कभी-कभी अत्यधिक प्रसन्नता, भय, शंका तथा झिझक के कारण शुद्ध उच्चारण नहीं हो पाता है। कभी-कभी अति शीघ्रता से बोलने के कारण भी उच्चारण में अशुद्धि हो जाती है। ।
(7) भिन्न-भिन्न भाषा भाषियों का प्रभाव– भिन्न-भिन्न भाषा भाषियों के कारण भी उच्चारण में अनेक दोष आ जाते हैं। पंजाब में रहने वाले क, ख, ग, घ को का, खा, गा, घा पश्चिमी उत्तर प्रदेश वाले कै. खै, गै, घै, बंगाली लोग को को, खो, गो बोलते हैं। बंगाली में ‘व’ न न होने के कारण हर स्थान पर ‘ब’ का प्रयोग किया जाता है। गुजरात व मारवाड़ में ऐ, ओ, और न के बदले क्रमश ए, ओ और ण का प्रयोग होता है।
(8) सामाजिक प्रभाव– भाषा अनुकरण से सीखी जाती है। यदि घर या समाज में अशुद्ध उच्चारण किया जाता है तो बालक उन शब्दों का अशुद्ध उच्चारण ज्यों का त्यों अनुकरण कर लेता है। जैसे स्टेशन को सटेशन कहना, डिब्बा को डब्बा, तश्तरी को तस्तरी सीमेन्ट का सिमंट कहना ।
(9) अज्ञान– अज्ञानता के कारण उच्चारण लेखन शब्द-रचना तथा रूप-रचना की भूलें होती हैं। जैसे- ‘औरत का ओरत’, ‘जबरदस्त को जबरजस्त’, ‘कवयित्री को कवित्री, ‘अनुगृहीत को अनुग्रहीत आदि कहना उच्चारण की अशुद्धियाँ हैं।
(10) शिक्षक का अशुद्ध उच्चारण– शिक्षक का अशुद्ध उच्चारण बालकों को अशुद्ध उच्चारण सिखाता है। बालक तो अनुकरण द्वारा सीखते हैं। यदि शिक्षक “शहर को सहर “भाषा को भासा, “शायद को सायद बोलेंगे तो बालक भी अशुद्ध बोलेंगे।
(11) उच्चारण शिक्षण का अभाव– शिक्षक कक्षा में उच्चारण शिक्षण में रुचि नहीं लेते हैं। यदि बालक कक्षा में अशुद्ध बोलता है तो उसका उच्चारण कक्षा में ही शुद्ध कराना चाहिए।
(12) असावधानी– बहुत र उच्चारण की अशुद्धियाँ असावधानी के कारण हो जाती हैं। जैसे- आवश्यकता को अवश्यकता, प्रकट को प्रगट”, “आततायी को आतायी”, “कठिनाई को कठनाई’, ‘कविता को कत्ता’, “ज्योत्स्ना को प्योस्ना’, आदि असावधानी के कारण ही बोले जाते हैं ।
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