प्रतिबल के प्रकारों का उल्लेख कीजिए।

प्रतिबल के प्रकारों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर— प्रतिबल के प्रकार (Types of Stress) — प्रतिबल या तो जैविक होता है या मनोवैज्ञानिक, जिसमें कुण्ठा तथा अन्तर्द्वन्द्व उत्पन्न होता है। अतः प्रतिबल तीन प्रकार का होता है—
(1) जैविक प्रतिबल (Biological Stress )– जब व्यक्ति शारीरिक रूप से ऐसे रोगों से पीड़ित रहने लगे जैसे— कैंसर, दमा, कुष्ठ, अनिद्रा तो वह जैविक तनाव से पीड़ित रहता है क्योंकि उसमें शारीरिक अक्षमता आ जाती है। वह प्रायः उन कार्यों को भी नहीं कर पाता जिसे पहले किया करता था।
(2) मनोवैज्ञानिक प्रतिबल / तनाव (Psychological Stress ) — इस प्रकार के तनाव के कारण व्याकुलता, चिन्ता व अप्रसन्नता के भाव आ जाते हैं। जब व्यक्ति को अपने मित्रों से किसी कार्य में सहयोग नहीं मिलता, परिवार के लोग तथा सहकर्मी किसी कार्य में सहयोग नहीं करते, असुरक्षा की भावना होती है। ऐसे में वह हर समय कुण्ठित रहता है। अपने परिवार के लोगों, मित्रों, भाई-बहनों की तुलना में आत्महीनता की भावना आ जाती है तो व्यक्ति तनाव से पीड़ित हो जाता है। मनावैज्ञानिक तनाव दो प्रकार का होता है—
(i) अहम निहित (Ego involved)– अहम निहित तनाव में व्यक्ति आत्मसम्मान तथा आत्मसुरक्षा समाप्त हो जाने के भय से भयाक्रान्त रहता है तथा सम्बन्धित व्यक्ति का व्यक्तित्व अव्यवस्थित हो जाता है जैसे किसी प्रिय की दवा न कराने से मृत्यु होने से अहम् निहित तनाव उत्पन्न होता है अर्थात्ला परवाही से मृत्यु होना ।
(ii) अहम रहित (Non- Ego involved)— अहम् रहित तनाव में व्यक्ति निहित तनाव की स्थिति वाला व्यवहार नहीं करता वह इसे सामान्य रूप में लेता है तथा इसे जीवन का अस्थायी पक्ष समझता है। जैसे कोई व्यक्ति अपने प्रिय पात्र की लम्बी प्रतीक्षा करते-करते यह सोचकर धैर्य धारण कर लेता है कि सम्भवतः वह बीमार पड़ गया हो इसी कारण नहीं आया और न पत्र दिया। ऐसे तनाव में व्यक्ति का अहम् बाधक नहीं होता। परन्तु यदि उसे यह पता लग जाए कि उसका मित्र किस कारण नहीं आया था, पत्र नहीं दिया कि वह इसे अपना मित्र नहीं मानता तो इससे अहम् को आघात पहुँचता है तथा वह अहम् निहित तनाव से पीड़ित रहने लगता है।
(3) सामाजिक प्रतिबल / तनाव ( Social Stress )– जब तनाव सामाजिक मूल्यों, नैतिकता, सामाजिक दबावों के कारण उत्पन्न हो तथा व्यक्ति उसका प्रतिरोध न कर सके जैसे कोई व्यक्ति सामाजिक मानदण्डों के विपरीत शादी करना चाहता है तथा पारिवारिक मूल्य बाधक हैं तो वह तनाव की स्थिति में रहता है। यदि व्यक्ति समझे कि धन कमाने से उसकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी वहीं धन कमाने के मानक निर्धारित हो और वह धन कमा पाये तो भी वह तनाव की स्थिति में रहेगा क्योंकि ये मानकमूल्य, नैतिकता एवं धन कमाने में बाधक हैं।
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