बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र को समझाइये ।

बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र को समझाइये ।

उत्तर– बाल विज्ञान का क्षेत्र – बाल विकास के क्षेत्र में गर्भधारण अवस्था से युवावस्था तक के मानव की सभी व्यवहार सम्बन्धी समस्याएँ सम्मिलित हैं। इस अवस्था के सभी मानव व्यवहार सम्बन्धी समस्याओं के अध्ययन में विकासात्मक दृष्टिकोण मुख्य रूप से अपनाया जाता है। इन अध्ययनों में मुख्य रूप से इस बात पर बल दिया जाता है कि विभिन्न विकास अवस्थाओं में कौन-कौन से क्रमिक परिवर्तन होते हैं। ये परिवर्तन किन कारणों से, कब और क्यों होते हैं तथा इन क्रमिक परिवर्तनों में कौन-कौन सी अन्तिर्निहित प्रक्रियाएँ हैं, आदि ।

(1) बाल विकास का क्षेत्र दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। यह इस तथ्य से स्पष्ट हो जाता है कि बाल मनोविज्ञान की सीमाओं और सीमित ज्ञान के कारण ही बाल-मनोविज्ञान का नया नाम बाल विकास हो गया है। –
(2) बाल-मनोविज्ञान की अध्ययन और अनुसंधान वस्तु हैगर्भधारण से युवावस्था तक के मानव की विभिन्न व्यवहार समस्याएँ।
(3) बाल-विकास के अध्ययन-क्षेत्र में आज भी अनेक समस्याएँ ऐसी हैं जो अनुसंधान के लिए मनोवैज्ञानिकों की प्रतीक्षा कर रही है।
(4) बाल-विकास में अनेक समस्याएँ होने का मुख्य कारण है कि बालक विकासशील प्राणी है जो स्थानीय दृष्टि से एक भिन्न इकाई है जो विभिन्न वातावरण और मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों में संगठित पूर्ण के रूप में व्यवहार या कार्य करती है। यह इकाई ऐसी पृष्ठभूमि में रहती है जो साधारण न होकर जटिल है और इस इकाई के व्यवहार के विकास
और क्रमिक परिवर्तनों को निरन्तर प्रभावित करती रहती है। यह बाल-इकाई विकास की ऐसी प्रक्रियाओं में व्यस्त है जो प्रक्रियाएँ उत्क्रमणशील नहीं है।
(5) बाल विकास सम्बन्धी अध्ययनों में संलग्न मनोवैज्ञानिकों को आज भी ऐसे सिद्धान्तों और नियमों की खोज करनी है जिनसे गर्भावस्था से युवावस्था तक के बालक की व्यवहार समस्याओं को समझा जा सके, उनके व्यवहार को नियंत्रित किया जा सके तथा उनके व्यवहार को नियंत्रित किया जा सके तथा उनके व्यवहार के सम्बन्ध में पूर्वकथन किया जा सके।
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