भारतवर्ष दुनिया का कोविड- 19 महामारी से सबसे अधिक प्रभावित दूसरा राष्ट्र है। इस जानलेवा वाइरस के उन्मूलन के लिए केवल सामाजिक दूरी एवं मास्क के प्रयोग के साथ-साथ एक तेज टीकाकरण प्रक्रिया आवश्यक है। प्रधानमंत्री प्रतिपादित मेक इन इंडिया अवधारणा को दृष्टिगत रखते हुए हमारे राष्ट्र द्वारा कोविड- 19 उन्मूलन के लिए उठायी गयी गतिविधियों का विस्तार से वर्णन कीजिए ।
भारतवर्ष दुनिया का कोविड- 19 महामारी से सबसे अधिक प्रभावित दूसरा राष्ट्र है। इस जानलेवा वाइरस के उन्मूलन के लिए केवल सामाजिक दूरी एवं मास्क के प्रयोग के साथ-साथ एक तेज टीकाकरण प्रक्रिया आवश्यक है। प्रधानमंत्री प्रतिपादित मेक इन इंडिया अवधारणा को दृष्टिगत रखते हुए हमारे राष्ट्र द्वारा कोविड- 19 उन्मूलन के लिए उठायी गयी गतिविधियों का विस्तार से वर्णन कीजिए ।
उत्तर-11 मार्च, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था जबकि उस समय भारत में इस वायरस के संक्रमित लोगों की संख्या विश्व में संक्रमित लोगों की महज 0.05% ही था, ऐसे में सरकार द्वारा एपिडेमिक डिजीज एक्ट के तहत पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा को इस महामारी से निपटने की केंद्र सरकार की राष्ट्रव्यापी नीतिगत फैसले का पहला प्रयास कहा जा सकता है।
25 सितम्बर, 2014 को प्रारंभ हुआ ‘मेक इन इंडिया’ मुख्यतः निर्माण क्षेत्र पर केंद्रीत है परन्तु उद्यमशीलता को बढ़ाने के साथ-साथ इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना तैयार करना, विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के मध्य एक साझेदारी का निर्माण करना है।
केंद्र सरकार ने विगत कई महीनों में राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों एवं केन्द्रीय संस्थानों को 3.04 करोड़ से अधिक N-95 मास्क और 1.28 करोड़ से अधिक PPE किट वितरित किए, इसके अतिरिक्त 22 हजार से अधिक मेक इन इंडिया विवादास्पद वेंटिलेटर भी उपलब्ध कराए हैं। केंद्र ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर में आमूल-चूल परिवर्तन लाकर कुछ प्रभावी प्रबंधन किया है।
भारत सरकार द्वारा इस जानलेवा वाइरस से बचने हेतु आपूर्ति किए जाने वाले अधिकांश उत्पाद देश में निर्मित न होने के कारण वैश्विक मांग बढ़ने के साथ-साथ विदेशी बाजारों में इनकी उपलब्धता में कमी आयी । परिणामतः देश में इसका निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ जिससे “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” की अवधारणा को बल मिला ।
स्वास्थ्य मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय फार्मास्यूटिकल मंलायल, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) इत्यादि के संयुक्त प्रयासों से घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिला और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों आदि का निर्माण और आपूर्ति प्रारंभ हुआ।
भारत वैक्सीन निर्माण में भी व्यापक क्षमता वाला देश रहा है, पुणे के ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ में निर्मित ब्रिटेन आधारित वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ की मांग सिर्फ एशियाई ही नहीं बल्कि गैर – एशियाई देशों ने भी भारत से गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट के आधार पर समझौते किए हैं।
कार्यक्रम मेक इन इंडिया निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। जनसंख्या घनत्व, गरीबी और अशिक्षा जैसे कारकों के साथ भारत का अपर्याप्त बुनियादी ढांचा भारत को कोविड – 19 के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाता है। इस महामारी से प्रभावित विश्व के दूसरे राष्ट्र भारत में सामाजिक दूरी एवं मास्क के प्रयोग के साथ-साथ भारत सरकार ने कई देशों के वैक्सीन निर्माताओं के परीक्षण पर जोर दिया ताकि “ अंतर अनुशासनात्मक आयुष अनुसंधान एवं विकास कार्यबल” के माध्यम से टीकाकरण की प्रक्रिया को शहरी, अर्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसारित किया जा सके।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार परीक्षा अवधि तक 39.93 करोड़ से ज्यादा टीकाकरण हो चुका है इस हेतु ऑक्सफोर्ड -एंस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड, भारतीय कंपनी भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ एवं रूस की बनी ‘स्पूतनिक वी’ के इस्तेमाल को आदेश प्राप्त है तथा भारतीय फार्मा कंपनी सिप्ला को मॉडर्ना की वैक्सीन आयात करने के लिए अधिकृत किया गया। भारत दुनिया में कोविड वैक्सीन का सबसे बड़ा निर्माता देश है तथा ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान के तहत करीब 20 से अधिक देशों को आंशिक तौर पर कोविड- 19 वैक्सीन उपलब्ध कराया है।
कोविड-19 के प्रबंधन में सरकार और पूरे सामाजिक सहयोग के मिले-जुले प्रयासों से भारत संक्रमण के मामलों और इससे होने वाली बेलगाम मौतों की संख्या को बाद में कंट्रोल करने में सक्षम रहा है।
भारत ने इस प्रकोप की बढ़ती हुई तीव्रता को समय रहते बचाव की सक्रियता से संक्रमण को रोकने, जीवन को बचाने एवं महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई। इस प्रकार सरकार ने उच्चतम स्तर की राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ कोविड- 19 को चुनौती दी।
सरकार के मेक-इन इंडिया कार्यक्रम के तहत किए गए विभिन्न प्रयासों के माध्यम से अतिरिक्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के निर्माण, शोध संस्थानों को बढ़ाने तथा भारत के लिए आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा जैसे उपकरण, आइसोलेशन बिस्तर, आईसी.यू. बिस्तर इत्यादि की संख्या में कई गुना वृद्धि दर्ज की। जबकि उस समय उक्त संसाधनों का अपेक्षित मानकों के अनुरूप कोई स्वदेशी विनिर्माता नहीं था, किंतु अब हम न केवल इसका बड़े पैमाने पर निर्माण कर रहे बल्कि निर्यात करने में भी सक्षम हैं। इस प्रकार यदि देखा जाय तो मेक-इन इंडिया अवधारणा को दृष्टिगत रखते हुए केन्द्र के मार्गदर्शन में हमारे कोविड-19 के उन्मूलन के लिए उठाए गए कुछ कदम निम्नवत हैं
1. आपूर्ति श्रृंखला एवं रसद प्रबंधन
2. निजी क्षेत्र के साथ समन्वय
3. आर्थिक एवं कल्याणकारी उपाय
4. सूचना, संचार और सार्वजनिक जागरूकता
5. प्रौद्योगिकी एवं डेटा प्रबंधन
6. लोक शिकायत प्रणाली तंत्र का निर्माण
7. मानव संसाधन और क्षमता निर्माण में वृद्धि
8. चिकित्सा अपातकालीन योजना बनाना
9. बीमारी से संबंधित मुद्दों की निगरानी एवं परीक्षण हेतु अधिकार प्राप्त समूहों का गठन करना
10. प्रयोगशाला सहायता उपलब्ध कराना
11. अस्पताल संबंधी नैदानिक प्रबंधन
12. कंटोंनमेंट जोन को परिभाषित कर सख्त नियंत्रण लागू करना तथा इसमें बफर जोन को शामिल करना।
13. निष्क्रिय इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी में मजबूती (ILI) या गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (SARI) की निगरानी हेतु यथोचित उपाय उपलब्ध कराना
14. नमूनों की जांच हेतु परीक्षण किट निर्माण की स्वदेशी क्षमता विकसित करना
15. स्वास्थ्य सुविधाओं की त्रि-स्तरीय व्यवस्था को लागू करना जैसे – आइसोलेशन बेड के साथ कोविड देखभाल केंद्र उपलब्ध कराना, कोविड हेल्थ सेंटर (DCHC) उपलब्ध कराना तथा DCH प्रबंधन करना
16. ICMR कोविड पर एक राष्ट्रीय क्लीनिकल रजिस्ट्री की स्थापना
17. वैक्सीन प्रशासन समूह पर एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह का गठन
इस प्रकार मेक-इन इंडिया एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्वस्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए कई नए पहल किए गए जिससे भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया।
मेक इन इंडिया योजना का एक मात्र मकसद भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब मे बदलना है। इसी उद्देश्य से वर्तमान बजट में सरकार ने इस कार्यक्रम हेतु लगभग 651 करोड़ रुपये आवंटित किये ताकि भारत एक आयात करने वाली अर्थव्यवस्था से निर्यात करने वाली अर्थव्यव्था की ओर अग्रसर हो सके। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के नेतृत्व में चलाए जा रहें इस कार्यक्रम में 25 से अधिक क्षेत्र शामिल हैं जो कोविड- 19 जैसी महामारी के व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम में अपना क्षेत्रवार योगदान दे रहे हैं। इसमें मुख्य रूस से जैवप्रौद्योगिकी फार्मास्यूटिकल्स, रसायन निर्माण, ऑटोमोबाइल घटक, आतिथ्य और कल्याण तथा नवीकरणीय उर्जा का उपयोग एवं विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस कारण कई विदेशी कंपनियां भारत में अथवा भारतीय कंपनियों के सहयोग से वैक्सीन निर्माण या इसके निर्यात/आयात में अपना योगदान दे रहे हैं। उदाहरणत: फाइजर, सिनोवेक, रेमडेसिविर, LV-SMENP-DC, AD5-nCov, INO-4800, mRNA-1273, स्पूतनिक-V इत्यादि ।
“दक्षिण एशिया में असमानता का समाधान” पर विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट में मेक इन इंडिया को मेक-फॉर वर्ल्ड के लिए तैयार करने की बात कही गई है ताकि भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता विश्व के अन्य देशों के साथ भी बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करने के लिए अवसर उत्पन्न करे।
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