स्वतंत्रता बाद भारत की जनसंख्या के वृद्धि प्रतिरूप की प्रादेशिक विविधता का विवरण दीजिए तथा आर्थिक विषमता पर उनके प्रभाव को दर्शाइए ।

स्वतंत्रता बाद भारत की जनसंख्या के वृद्धि प्रतिरूप की प्रादेशिक विविधता का विवरण दीजिए तथा आर्थिक विषमता पर उनके प्रभाव को दर्शाइए ।

( 42वीं BPSC/1999 )
उत्तर – स्वतंत्रता के बाद हुए जनगणना (1951) के अनुसार भारत की जनसंख्या 36.10 करोड़ थी जो 1961 में 21.64% की वृद्धि के साथ 43.92 करोड़ हो गई। वर्तमान में (2011) भारत की जनसंख्या 121 करोड़ है लेकिन जनसंख्या वृद्धि के ये आंकड़े भारत के सभी प्रदेशों में एक समान नहीं रहे। कहीं वृद्धि दर काफी ज्यादा रहे, तो कई राज्यों में सामान्य वृद्धि हुई। इनका इन राज्यों के आर्थिक विकास पर प्रभाव पड़ा जो प्रदेशों के मध्य आर्थिक विषमता का एक कारण है।
यदि 1981 के बाद के तीन दशकों की जनगणना आंकड़ों को देखें तो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की जनसंख्या वृद्धि काफी ज्यादा हुई हैं। नगालैण्ड में इन तीन दशकों में क्रमशः वृद्धि दर 56.08%, 64.41%, – 0.47% रहीं। सिक्किम में 28.47%, 32.98%, 12.36% अरुणाचल प्रदेश में 36.83%, 26.21%, 25.92%।
उत्तर भारत के मैदानी भाग के राज्यों की वृद्धि दर इन तीन दशकों में भारत के औसत से सामान्यतः अधिक रही हैं, जैसे- बिहार में क्रमश: 23.38%, 28.43%, 25.07%, उत्तर प्रदेश में 25.55%, 25.74%, 20.09%, मध्य प्रदेश में 27.24%, 24.34%, 20.30% वृद्धि दर रही है ।
दक्षिण भारत के राज्यों की इन तीन दशकों के जनसंख्या वृद्धि दर को देखें तो यह सामान्यतः कम रही हैं, जैसे- केरल में क्रमशः 14.32%, 9.42%, 4.86%, तमिलनाडु में क्रमश: 15.39%, 11.19%, 15.60% वृद्धि दर रही है। भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस दौरान 51.45%, 46.31%, 20.96% जनसंख्या वृद्धि दर रही है ।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़ों के एक सामान्य अध्ययन से यह बात सामने आ रही है कि सामन्यतः उत्तर-पूर्व के राज्यों एवं उत्तर के मैदानी भाग के राज्यों की जनसंख्या की वृद्धि दर तेज है। इनकी आर्थिक स्थिति में स्वतंत्रता के बाद काफी परिवर्तन नहीं आया है। ये राज्य सामान्यतः गरीब हैं तथा यहां की बहुसंख्यक जनसंख्या बेरोजगारी एवं अर्द्धबेरोजगारी की अवस्था में है। अब यदि हम दक्षिण भारत के राज्यों को देखें तो इनकी जनसंख्या वृद्धि दर कम है। खासकर सर्वाधिक साक्षर राज्य केरल की जनसंख्या वृद्धि दर काफी कम है लेकिन ये राज्य ज्यादा विकसित हैं। यहां लोग बेरोजगारी की अवस्था में नहीं के बराबर हैं। अतः जनसंख्या वृद्धि दर में विविधता आर्थिक विषमता से सीधे-सीधे जुड़ा हुआ है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *