भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की उपलब्धियों को आप किस तरह देखते हैं? उनके अगले रोमांचक लक्ष्य क्या हैं?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की उपलब्धियों को आप किस तरह देखते हैं? उनके अगले रोमांचक लक्ष्य क्या हैं?

अथवा
इसरो की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों का वर्णन करते हुए इसके राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के बारे में बताएं तथा इसरो के कुछ अन्य सम्भावित मिशनों के बारे में बताएं।
उत्तर- भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान का उद्देश्य अंतरिक्ष तकनीकी को विकसित करना रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में ‘इसरो’ मुख्य भूमिका निभा रहा है। भारत सरकार द्वारा अंतरिक्ष विभाग और अंतरिक्ष आयोग की स्थापना जून 1972 में की गई थी। अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत स्थापित इसरो देश के विभिन्न भागों में स्थित अपने केन्द्रों के द्वारा अंतरिक्ष कार्यक्रम को निष्पादित करता है।
वर्तमान समय में इसरो दुनिया की सबसे सफलतम अंतरिक्ष एजेन्सियों में से एक है। इसरो ने विश्व में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए। हाल ही में इसरो ने 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित कर एक नया कीर्तिमान गढ़ा है। यह एक विश्व कीर्तिमान है जो पहले रूस के नाम था जिसने 2014 में 37 उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित किया था। भारत ने जिन उपग्रहों को भेजा है, उनमें अधिकतर विदेशी हैं जिनमें से 96 अमेरिका के ही हैं। भारत के उपग्रह प्रक्षेपण की तुलनात्मक लागत कम तथा सफलता दर उच्चतम है जिससे अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में दुनिया की दिशा तय करने वाली एजेंसियां भी अब इसरो को साथ लेकर चलना चाहती हैं तथा कम लागत की वजह से भारत से ही अपने उपग्रह प्रक्षेपण को इच्छुक रहती हैं।
इसरो की स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ भू-स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान के सफल परीक्षण जैसी सफलताएं मिसाल पेश करते हुए यह बताती हैं कि किस तरह कोई संगठन एक-एक लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करते हुए अपने मानव संसाधन के सर्वश्रेष्ठ उपयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां हासिल कर सकता है।
इसरो के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण मिशन मंगलयान मिशन था, क्योंकि अभी तक एशिया में भारत से तकनीकी रूप से ज्यादा सक्षम चीन व जापान जैसे देश कई कोशिशों के बावजूद मंगल अभियान में सफल नहीं हो पाए थे। मंगल तक पहुंचने के लिए अमेरिका की भी छः कोशिशें नाकाम हो गई थीं, जबकि भारत ने इसे पहले ही प्रयास में सफल कर दिखाया तथा इसकी लागत नासा द्वारा भेजे गए मंगलयान की लागत से 10 गुना कम है। भारत से पहले यह कारनामा विश्व में केवल अमेरिका, रूस एवं यूरोपियन यूनियन ही अपने कई कोशिशों के बाद मंगल पर कामयाब मिशन भेज पाए थे।
इसरो की उपलब्धियों की गाथा प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट के साथ शुरू हुई थी और आज भी अनवरत जारी है। यद्यपि इसरो के पास शुरुआती समय में संसाधनों की कमी, समय की कमी, चीन व रूस से प्रतिद्वंद्विता आदि जैसी बाधाएं थीं, परंतु इन बाधाओं को पार करते हुए इसरो ने अपनी उपलब्धियों के माध्यम से भारत को गौरवान्वित किया है। इसरो की ये उपलब्धियां सम्पूर्ण मानव जाति के लिए बेहद खास हैं। शुरुआती समय में जहां नासा ने इसरो का विश्व परिदृश्य पर मजाक उड़ाया था, वहीं नासा आज महत्वपूर्ण अंतरिक्ष परियोजनाओं पर इसरो को साथ लेकर चलना चाहता है ।
भारत उपग्रह प्रक्षेपण के बाजार में एक भरोसेमंद देश बनकर सामने आया है। उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में अब इसरो अंतर्राष्ट्रीय महाशक्तियों को टक्कर देने लगा है। वर्तमान समय तक इसरो ने 226 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं जिनमें से 179 उपग्रह अन्य देशों के थे। अनुमान है कि इससे इसरो को 100 करोड़ से भी अधिक की कमाई हुई है। वर्तमान में इसरो 4 टन के उपग्रह प्रक्षेपण क्षमता के साथ ही वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता जा रहा है। वर्तमान में इसरो का अधिकतर खर्चा इन्हीं वाणिज्यिक प्रक्षेपणों के माध्यम से वसूल होता है।
नेविगेशन के क्षेत्र में भारत का नाविक, GPS के आधार पर विकसित है जिसे भारत ने पड़ोसी देशों के लिए उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है। भारत का इस क्षेत्र में 6वां स्थान है। इसरो के भविष्य के लक्ष्य के लिए G-SAT-6A (संचार उपग्रह), IRNSS-I (नेविगेशन उपग्रह), GSAT-29, GSAT-11, चन्द्रयान-2 आदित्य, सेमी – क्रायोजेनिक लांच ह्वीकल, ह्यूमन स्पेस फ्लाइट आदि हैं।
भारत, रूस के साथ ‘सस्ता’ दुबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले अन्तरिक्ष यान के साझा विकास हेतु इच्छुक है। भारत और रूस वर्तमान समय में चन्द्रयान-2 पर एक साथ काम कर रहे हैं। भारत एवं अमेरिका ने वर्ष 2021 तक इसरो एवं नासा के संयुक्त प्रयासों से विकसित ‘निसार’ उपग्रह को प्रक्षेपित करने की योजना बनाई है। निसार मिशन पृथ्वी की पपड़ी व बर्फ की सतहों की गति से जुड़े पृथ्वी की सतह के आंतरिक परिवर्तन को बेहतर तरीके से मापेगा। इसरो ने सूर्य की बाहरी सतह के अध्ययन हेतु आदित्य मिशन लांच करने की योजना बनाई है। इसके द्वारा सूर्य के बाह्य सतह में हो रही परिवर्तन को रिकॉर्ड कर अध्ययन किया जाएगा।
कार्यक्रम के शुरू से ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए निर्देशक दर्शन, समाज की मूल समस्याओं के समाधान, अंतरिक्ष तकनीकी के विकास और उसके प्रयोग में सर्वोत्तम रहा है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के कारण अब आपदा प्रबंधन काफी आसान हो गया है। मौसम पूर्वानुमान भी अब सटीकता के साथ लगाना सम्भव हो गया है जिससे समुद्र तटीय इलाकों में चक्रवाती तूफानों से हर साल होने वाले जान-माल के नुकसान में कमी आई है। इस प्रकार इसरो ने देश के सामाजिक, आर्थिक और सामरिक विकास के संबंध में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
> इसरो की स्थापना व विकास
> कुछ महत्वपूर्ण वर्तमान उपलब्धियां, जैसे- मंगलयान, चन्द्रयान, 104 उपग्रह, नाविक आदि
> भविष्य के कुछ लक्ष्य
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