प्राकृतिक विविधताओं ने भारत में असमान विकास को जन्म दिया है । ” इसकी व्याख्या उचित उदाहरण सहित कीजिए।

प्राकृतिक विविधताओं ने भारत में असमान विकास को जन्म दिया है । ” इसकी व्याख्या उचित उदाहरण सहित कीजिए।

(48वीं 52वीं BPSC/2009 )
उत्तर – भारत अर्थव्यवस्था के हरेक क्षेत्र में तीव्र विकास कर रहा है; लेकिन इसके कुछ राज्य अथवा क्षेत्र अब भी पीछे हैं। इसके अनेक प्राकृतिक एवं गैर-प्राकृतिक कारण हैं। प्राकृतिक कारणों की बात करें तो हम देखते हैं समुद्रतटीय भारतीय राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में विकसित हैं। उड़ीसा इसमें एकमात्र अपवाद है। इन राज्यों के विकसित होने का मूल कारण इनके समुद्र तट हैं जो प्राचीन काल से ही व्यापार में सहायक रहे हैं। इनका विदेशों से संपर्क रहने के कारण इनके आर्थिक विकास के साथ-साथ इनकी संस्कृति एवं इनके आचार-विचार में भी विकास हुआ है।
दूसरी तरफ भारत के अधिकतर पिछड़े राज्यों का संपर्क समुद्र से नहीं है अर्थात ये राज्य Land Lock हैं, जैसे- बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर-प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर-पूर्व के राज्य । समुद्रतट से संपर्क न होने के कारण इन राज्यों में व्यापार का विकास अवरुद्ध रहा है जो इनके गरीबी का प्रमुख कारण है।
भारत के कुछ राज्य खनिज संपदा की दृष्टि से काफी संपन्न है, जबकि कुछ राज्यों में इसका अभाव है जिसके कारण इन राज्यों की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान हो गई है एवं उद्योगों का विकास कम हुआ है। बिहार एवं उत्तर प्रदेश उदाहरण के रूप में लिए जा सकते हैं ।
भारत के कुछ राज्य में नदियों का जाल बिछा हुआ है जबकि कुछ राज्यों में पानी का अभाव है। बिहार प्रति वर्ष बाढ़ की समस्या से जूझता है, वहीं राजस्थान एवं देश के कुछ हिस्सों में पानी की अत्यंत कमी बनी रहती है जिससे कृषि एवं
उद्योगों के विकास में बाधा उत्पन्न होती है। नदियों पर बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण एवं इससे कृषि के लिए जल प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही जल विद्युत उत्पादन में ये परियोजनाएं सहायक हैं।
पूर्वोत्तर के राज्यों में भी प्राकृतिक संसाधनों की कमी एवं उसके शेष भारत से अलग-थलग पड़ने के कारण विकास में बाधा पहुंची है। यहां यातायात के पर्याप्त साधनों का अभाव है। अतः यहां व्यापारिक विकास काफी कम हुआ है।
देश के अन्य पहाड़ी राज्यों, जैसे- जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में कृषियोग्य भूमि का अभाव है। जल संसाधन की भी कमी है। इन राज्यों में कृषि एवं उद्योग का विकास काफी कम हुआ है। यद्यपि यहां फलों की खेती होती है लेकिन आवश्यक खाद्यान्न के लिए ये राज्य दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं। उसी प्रकार यहां यातायात के साधनों का भी समुचित विकास नहीं हुआ है जिसके कारण व्यापारिक विकास शिथिल है। वैसे यहां के सुन्दर एवं मनोरम प्राकृतिक दृश्यों तथा मौसम के कारण पर्यटन उद्योग का अच्छा विकास हुआ है जो इनके आय का एक मुख्य स्त्रोत है।
इस तरह हम कह सकते हैं कि विविध प्राकृतिक दशाओं ने भारत में असमान विकास को जन्म दिया है।
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