बिम्सटेक संगठन को स्पष्ट कीजिए । बिम्सटेक देशों के संगठन की हाल में हुए काठमाण्डू सम्मेलन के परिणामों पर प्रकाश डालिए। भारत के हित, आशाएं एवं अपेक्षाओं से संबंधित विषयों की विवेचना कीजिए।

बिम्सटेक संगठन को स्पष्ट कीजिए । बिम्सटेक देशों के संगठन की हाल में हुए काठमाण्डू सम्मेलन के परिणामों पर प्रकाश डालिए। भारत के हित, आशाएं एवं अपेक्षाओं से संबंधित विषयों की विवेचना कीजिए।

अथवा

बिम्सटेक संगठन की स्थापना एवं उद्देश्यों को स्पष्ट करें। बिम्सटेक देशों के संगठन के अगस्त, 2018 में काठमांडू सम्मेलन के परिणामों का उल्लेख करें। बिम्सटेक से संबंधित भारतीय हितों, आशाओं तथा अपेक्षाओं का उल्लेख करें।
उत्तर – बिम्सटेक यानी बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टीसेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनामिक कोऑपरेशन (Bay of Bengal Initiative for Multisectoral Cooperation- BIMSTEC ) दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन है जिसकी स्थापना 6 जून, 1997 को बैंकाक घोषणापत्र से हुई थी । आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिये बनाए गए इस संगठन में भारत समेत नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं। सात देशों का यह संगठन मूल रूप से एक सहयोगात्मक संगठन है जो व्यापार, ऊर्जा, पर्यटन, मत्स्यपालन, परिवहन और प्रौद्योगिकी को आधार बनाकर शुरू किया गया था लेकिन बाद में इसमें कृषि, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद, संस्कृति, जनसंपर्क, सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को भी शामिल किया गया।
बिम्सटेक का मुख्यालय ढाका में बनाया गया है। बिम्सटेक के महत्त्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया की लगभग 22 फीसदी आबादी बंगाल की खाड़ी के आस-पास स्थित इन सात देशों में रहती है जिनका संयुक्त जीडीपी 2.7 खरब डॉलर के बराबर है। इन सभी देशों ने 2012 से 2016 के बीच अपनी औसत आर्थिक वार्षिक वृद्धि दर को 3.4 फीसदी से 7.5 फीसदी के मध्य बनाए रखा। समुद्र के रास्ते पूरी दुनिया में होने वाले व्यापार का एक-चौथाई हिस्सा बंगाल की खाड़ी से होकर गुजरता है। बिम्सटेक के मुख्य उद्देश्यों में बंगाल की खाड़ी के किनारे दक्षिण एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग प्रदान करना शामिल है।
बिम्सटेक का इतिहास – एक उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग संगठन के रूप में इसका गठन 6 जून, 1997 को बैंकाक घोषणा के बाद किया गया। शुरू में इस संगठन में बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे और इसका नाम था BIST-EC यानि बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड इकॉनोमिक कोऑपरेशन । दिसंबर 1997 में म्यांमार भी इस समूह से जुड़ गया और इसका नाम पड़ा BIMST-EC इसके बाद फरवरी 2004 में भूटान और नेपाल भी समूह में शामिल हो गए। 31 जुलाई, 2004 में बैंकाक में आयोजित इसके प्रथम सम्मेलन में इसका नाम बिम्सटेक रखने का निर्णय लिया गया जो बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टीसेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनामिक कोऑपरेशन का छोटा रूप है। सदस्य देशों को बिम्सटेक की सदस्यता उनके नाम के प्रथम अक्षर के क्रम के अनुसार मिलती है। बिम्सटेक सदस्य देशों के बीच आपसी बातचीत के लिये उच्च स्तरीय सम्मेलन का आयोजन करता है। शिखर सम्मेलनों, मध्य स्तरीय बैठकों, उच्चाधिकारियों की बैठकों और विशेषज्ञों के बीच वार्ताओं के अलावा बैंकाक स्थित बिम्सटेक वर्किंग ग्रुप के जरिये यह विभिन्न सरकारों के बीच संपर्क स्थापित करने का मंच मुहैया कराता है। बिम्सटेक की अब तक चार शिखर बैठकें और अनेक मंत्री और अधिकारी स्तरीय वार्ताएं हो चुकी हैं।
1. पहला शिखर सम्मेलन (2004) बैंकाक
2. दूसरा शिखर सम्मेलन (2008) नई दिल्ली
3. तीसरा शिखर सम्मेलन (2014) म्याँमार
4. चौथा शिखर सम्मेलन (2018) काठमांडू
बिम्सटेक का काठमांडू सम्मेलन एवं इसके परिणाम – बिम्सटेक का चौथा शिखर सम्मेलन अगस्त, 2018 में नेपाल की राजधानी काठमांडू में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच कई महत्त्वपूर्ण बातों पर चर्चा हुई और उन पर सहमति बनी। बिम्सटेक देशों के नेताओं ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सतत् विकास के लिये सार्थक सहयोग और एकजुटता की प्रतिबद्धता दोहराई है।
> नेपाल की राजधानी काठमांडू में बिम्सटेक सम्मेलन के समापन पर नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने काठमाद घोषणापत्र का मसौदा पेश किया। बिम्सटेक देशों के नेताओं ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सतत् विकास के लिये सार्थक सहयोग और एकजुटता की प्रतिबद्धता दोहराई है साथ ही बिम्सटेक को गतिशील, प्रगतिशील और प्रभावी संगठन बनाने पर जोर दिया गया।
> बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच बिजली ग्रिड को जोड़ने के लिये समझौता भी हुआ। इससे सदस्य देश आपस में बिजली की खरीद और बिक्री कर सकेंगे।
> सदस्य देशों के बीच कनेक्टिविटी, व्यापार, डिजिटल और जनता के बीच जुड़ाव जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का फैसला लिया गया है।
> भारतीय प्रधानमंत्री ने उद्घाटन भाषण में इन मुद्दों पर भारत की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच हर तरह की कनेक्टिविटी बढाई जानी चाहिये।
> भारतीय प्रधानमंत्री ने बिम्सटेक देशों के बीच कई तरह की नई पहलों का खाका पेश किया। इसमें सदस्य देशों के बीच इस साल के आखिर में स्टार्ट अप सम्मेलन, अक्टूबर में भारत- मोबाइल कांग्रेस के दौरान बिम्सटेक देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन, विश्वविद्यालयों द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग के लिये अभ्यास, नालंदा विश्वविद्यालय में सालाना 30 स्कालरशिप, एडवांस मेडिसिन में 12 रिसर्च फेलोशिप, विभिन्न क्षेत्रों में 100 इंडियन टेक्निकल एंड इकोनामिक प्रोग्राम, बिम्सटेक देशों के राजनयिकों के लिये विशेष पाठ्यक्रम और बिम्सटेक देशों की महिला सांसदों का फोरम शामिल है।
> भारतीय प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, मादक द्रव्यों की तस्करी जैसी समस्याओं से एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया।
> भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के अध्ययन के लिये एक सेंटर बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगस्त 2020 में भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन करेगा। उन्होंने इस सम्मेलन में बिम्सटेक के सभी नेताओं को विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया।
> नेपाल के प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के हर रूप की आलोचना की और व्यापार के मामले में सदस्य देशों को सहयोग करने का आग्रह किया।
> बिम्सटेक और भारतीय हित, आशाएं एवं अपेक्षाएं
>  बिम्सटेक के 7 देश बंगाल की खाड़ी के आसपास स्थित हैं जो एकसमान क्षेत्रीय एकता को दर्शाते हैं। भारत ने शुरू से ही इस संगठन को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाई है।
>  बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच एक सेतु की तरह काम करता है। इस समूह में दो देश दक्षिण-पूर्व एशिया के हैं। म्यांमार और थाईलैंड भारत को दक्षिण-पूर्वी इलाकों से जोड़ने के लिहाज से बेहद अहम हैं।
>  इससे भारत के व्यापार को न केवल बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारत और म्यांमार के बीच हाईवे प्रोजेक्ट भारत की पूर्व एशिया नीति को मजबूती प्रदान करेगा।
 > इन सबके अलावा भी भारत के लिये बिम्सटेक काफी महत्त्वपूर्ण है। दरअसल पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका के चलते भारत बिम्सटेक को काफी महत्त्व देता है। इससे भारत की ईस्ट एक्ट पॉलिसी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
>  बिम्सटेक देशों के बीच मजबूत संबंध भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को गति प्रदान कर सकता है। इससे भारतम्यांमार के बीच परिवहन परियोजना और भारत-म्याँमार – थाईलैंड राजमार्ग परियोजना के विकास में भी तेजी आएगी।
> चीन ने भूटान और भारत को छोड़कर लगभग सभी बिम्सटेक देशों में भारी निवेश कर रखा है। ऐसे में हिन्द महासागर तक पहुंचने के लिये बंगाल की खाड़ी तक पहुँच बनाना चीन के लिये जरूरी होता जा रहा है। जबकि भारत बंगाल की खाड़ी में अपनी पहुँच और प्रभुत्व को बनाए रखना चाहता है। इस लिहाज से भी बिम्सटेक भारत के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
> बिम्सटेक न केवल दक्षिण व दक्षिण-पूर्वी एशिया को जोड़ता है बल्कि हिमालय और बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिको को भी शामिल करता है।
> एक दूसरे से जुड़े साझा मूल्यों, इतिहासों और जीवन के तरीकों के चलते बिम्सटेक शांति और विकास के लिये एक समान स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है।
> भारत के लिये बिम्सटेक ‘पड़ोसी सबसे पहले और पूर्व की और देखो’ की हमारी विदेश नीति की प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिये एक स्वाभाविक मंच है।
> दुनिया के हर देश में क्षेत्रीय सहयोग एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा रहा है जिसका मकसद क्षेत्रीय विकास, समृद्धि को बढ़ावा देना है।
> बिम्सटेक सम्मेलन के काठमांडू घोषणा पत्र में आतंकवाद, मादक द्रव्यों की तस्करी जैसी समस्याओं से संयुक्त रूप से निपटने का प्रावधान किया गया है। इससे भारत में पूर्वोत्तर राज्यों में इन समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी तथा इन राज्यों में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
> काठमांडू सम्मेलन के परिणामों में एक प्रावधान यह भी किया गया है कि अगस्त, 2020 में भारत में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इसके माध्यम से इस क्षेत्र के देशों में सांस्कृतिक जुड़ाव का अवसर मिलेगा |
> भारत ने काठमांडू सम्मेलन में सदस्य देशों के लिए आपदा प्रबंधन, एडवांस मेडिसिन में रिसर्च फेलोशिप तथा बिम्सटेक देशों के लिए विशेष पाठ्यक्रम और बिम्सटेक देशों के महिला सांसदो के फोरम के गठन आदि प्रस्ताव रखे है, इनके माध्यम से भारत को इन देशों के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने में मदद मिलेगी तथा इन देशों पर चीन के प्रभाव को प्रतिसन्तुलित करने में भी मदद मिलेगी।
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