भारतीय संविधान को अर्द्धसंघीय (Quasifederal) क्यों कहा जाता है? परीक्षण करें।
भारतीय संविधान को अर्द्धसंघीय (Quasifederal) क्यों कहा जाता है? परीक्षण करें।
अथवा
भारतीय संघीय व्यवस्था की विशिष्टता दर्शाते हुए इसके अर्द्धसंघीय स्वरूप को स्पष्ट करें।
उत्तर – भारत की विशालता एवं विविधता को ध्यान में रखते हुए संविधान निर्माताओं ने भारत में संघीय राजव्यवस्था स्थापित की। यद्यपि भारतीय संघवाद अमेरिका के संघीय व्यवस्था से अलग है। इसके लिए हमारे संविधान में ‘फेडरेशन’ शब्द की जगह ‘यूनियन’ शब्द का प्रयोग हुआ है। हालांकि हिन्दी में फेडरेशन एवं यूनियन दोनों के लिए ‘संघ’ शब्द का प्रयोग होता है लेकिन तकनीकी दृष्टिकोण से इनमें अंतर है। हमारे संविधान में केन्द्रीकरण का बाहुल्य है। सिद्धांततः केन्द्र एवं राज्यों के बीच संबंध सहयोग पर आधारित है परंतु संविधान ने अधिकतर आर्थिक शक्तियां केन्द्र सरकार के हाथ में सौंपी हैं। राज्यों के उत्तरदायित्व बहुत अधिक हैं पर आय के साधन कम, जिससे राज्यों की केन्द्र पर निर्भरता ज्यादा है। अनुच्छेद-3 के अनुसार संसद ‘किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकती है।’ केन्द्र की आपातकालीन शक्तियां केन्द्र को अत्यधिक शक्तिशाली बनाती हैं। ऐसी स्थिति में राज्य-विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार संसद को प्राप्त हो जाता है। आर्थिक नियोजन के फलस्वरूप भी केन्द्र का राज्य के आर्थिक साधनों पर नियंत्रण अधिक है। योजना आयोग राज्यों के संसाधन-प्रबंध की निगरानी करता है। शासन-प्रशासन में भी केन्द्र का राज्यों में हस्तक्षेप होता है। राज्यपाल एक तरह से केन्द्र का एजेंट होता है तथा अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी केन्द्र के नियंत्रण में होते हैं। राज्य न तो उनके विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कारवाई कर सकता है, न ही उन्हें सेवा से हटा सकता है।
अतः सैद्धांतिक रूप से संघीय व्यवस्था व्यवहारतः केन्द्र के ज्यादा शक्ति सम्पन्न होने को प्रदर्शित करता है। अतः कुछ आलोचक इसे ‘अर्द्धसंघीय’ कहते हैं।
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