भारत में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी की वर्तमान स्थिति पर एक टिप्पणी दीजिए। इससे आम व्यक्ति को क्या लाभ मिला है? इस संदर्भ में यह भी बताइये कि सुपर कम्प्यूटर को किन-किन प्रयोजनों के लिए काम में लाया जा सकता है ?

भारत में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी की वर्तमान स्थिति पर एक टिप्पणी दीजिए। इससे आम व्यक्ति को क्या लाभ मिला है? इस संदर्भ में यह भी बताइये कि सुपर कम्प्यूटर को किन-किन प्रयोजनों के लिए काम में लाया जा सकता है ?

( 42वीं BPSC / 1999 )
उत्तर – भारत में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का विकास सन् 1955 से प्रारंभ हुआ परंतु प्रारंभिक वर्षों में इसके उपयोग काफी सीमित थे एवं मुख्यतः वैज्ञानिक गणनाओं में इसका प्रयोग किया जाता था। 1980 तक इसके कार्यक्षेत्र में विस्तार हुआ एवं उच्चस्तरीय प्रबंधन एवं गणना के लिए कार्यालयों में इसका प्रयोग किया जाने लगा। 1990 के दशक के अंत तक भारत में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का काफी विकास हुआ एवं आज भारत कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी है। आज लगभग हर छोटे-बड़े कार्यालयों की कार्य प्रणाली कम्प्यूटर आधारित हो गयी है। सूचना प्रौद्योगिकी विधेयक-2000 के अंतर्गत ई-मेल, इलेक्ट्रोनिक दस्तावेज, डिजिटल हस्ताक्षर आदि को मान्यता प्रदान की गई है। केन्द्र के लगभग हरेक मंत्रालय के बेबसाइट आज उपलब्ध हैं। इस तरह से कम्प्यूटर के विकास ने भारत में सूचना – क्रांति को जन्म दिया है।
 प्रारंभ में हम कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी के विकास एवं अनुसंधान के लिए विदेशों पर निर्भर थे। परंतु पिछले कुछ दशकों में ही हमने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर ली है। C-DAC, C-DOT, NAL, DRDO, BARC आदि अनेक शोध केन्द्र कम्प्यूटर क्षेत्र के अनुसंधान में लगे हैं। MAIT, एवं NASSCOM ने भारतीय लिपियों – देवनागरी, गुजराती एवं गुरुमुखी के लिए ‘शुशा’ नामक एक नई फॉण्ट प्रणाली का विकास किया है। इसी प्रकार IBM का ‘हिन्दी निजी कम्प्यूटर’ एवं CDAC और इजरायली कंपनी FTK टेक्नोलोजी का संयुक्त सॉफ्टवेयर ‘लेखिका 2007’ कम्प्यूटर तकनीक के प्रयोग में अंग्रेजी संबंधी समस्या को दूर करता है। पुणे के C-DAC संस्थान ने ‘मंत्र’ नामक एक प्रणाली विकसित की है जिसकी सहायता से सरकारी गजट, अधिसूचना एवं अन्य दस्तावेजों को अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित किया जा सकता है। भारत ने तीव्र एवं उच्च क्षमता युक्त सुपर-कम्प्यूटर का भी विकास किया है। पहला सुपर कम्प्यूटर बेंगलुरु स्थित नेशनल एयरोनॉटिक्स लेबोरेटरी (NAL) द्वारा ‘फ्लोसॉल्वर’ नाम से विकसित किया गया | BARC द्वारा ‘टेरा फ्लाप’ एवं ‘अनुपम’ नामक सुपर कम्प्यूटर, C-DAC (पूणे) द्वरा ‘परम-10000′, ‘परम-अनंत’, ‘परम पद्म’, ‘परम सरिता’ सुपर कम्प्यूटर विकसित किए गए। टाटा समूह की कंपनी द्वारा ‘एका’ नामक सुपर कम्प्यूटर विकसित की गई है। इनके अलावा भी अनेक सुपर कम्प्यूटर विकसित किए गए हैं एवं और अधिक तीव्र एवं क्षमतावान सुपर कम्प्यूटर की दिशा में भारत के विभिन्न संस्थानों में कार्य चल रहे हैं।
कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी के इस विकास का फायदा हरेक क्षेत्र को मिला है। रेल – आरक्षण, वायुयान – आरक्षण, शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश एवं नौकरियों के लिए आवेदन आदि विभिन्न प्रकार की सूचनाएं प्राप्त करना, मोबाइल एवं अन्य इलेक्ट्रोनिक सामानों का विकास आदि से मिलने वाले फायदे आम आदमी के जीवन में तेजी से बदलाव ला रहे हैं। कम्प्यूटर के विकास से आम आदमी जागरूक हुआ है। आज आम आदमी RTI जैसे कानूनों का फायदा उठा पा रहा है तो उसमें कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण योगदान है। जनता के जागरूकता के फलस्वरूप ही अरब देशों में आज क्रांति की लहर दौर पड़ी है जिसमें ‘इंटरनेट’ का काफी योगदान है। भारत में भी लोग भ्रष्टाचार, काला धन जैसे मुद्दों पर एकजुट हो रहे हैं तो इसमें आधुनिक संचार साधनों का महत्वपूर्ण योगदान है। कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का फायदा चिकित्सा क्षेत्र एवं विभिन्न अनुसंधान में सबसे ज्यादा हुआ है। आशा की जाती है कि कम्प्यूटर भविष्य में समस्याओं के समाधान में और ज्यादा प्रभावकारी भूमिका निभाएगा।
•  सुपर कम्प्यूटर के उपयोग
1. मौसम विज्ञान में – मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए, भूकंप विश्लेषण एवं भविष्यवाणी, चक्रवातों, सुनामी आदि के अध्ययन, विश्लेषण एवं भविष्यवाणी के लिए तीव्र गति एवं उच्च क्षमता की आवश्यकता होती है जिसमें सुपर कम्प्यूटर लाभकारी है।
2. अंतरिक्ष – विज्ञान में उपग्रहों के डिजाइन, दूरस्थ संवेदन (Remote Sensing) से प्राप्त सूचनाओं के विश्लेषण में सुपर-कम्प्यूटर उपयोगी है।
3. रक्षा – विज्ञान में प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम में, लड़ाकू यान के डिजाइन एवं परीक्षण में, नाभिकीय विस्फोट कार्यक्रम में सुपर कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
4. जैव प्रौद्योगिकी में- जैव तकनीकी के विकास एवं अनुसंधान में सुपर-कम्प्यूटर उपयोगी है।
5.  आयुर्विज्ञान में- रोगाणुजनक वायरस बैक्टीरिया या फंगाई की संरचना का अध्ययन करने एवं इससे होने वाले विभिन्न रोगों से लड़ने में सक्षम दवाइयों एवं चिकित्सा प्रणाली के विकास में सुपर कम्प्यूटर उपयोगी है।
6. विज्ञान में – शुद्ध – विज्ञान के क्षेत्र में सुपर कम्प्यूटर की सहायता से अनुसंधान कार्य चल रहे हैं।
• कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी की वर्तमान स्थिति –
> सूचना1- प्रौद्योगिकी विधेयक-2000 के अंतर्गत ई-मेल, इलेक्ट्रोनिक दस्तावेज, डिजिटल हस्ताक्षर आदि को मान्यता प्रदान की गई।
> C-DAC, C-DOT, NAL, DRDO, BARC, MAIT, NASSCOM आदि कम्प्यूटर शोध एवं विकास कार्य में लगे हुए संस्थान हैं।
> भारतीय भाषाओं में कम्प्यूटर प्रयोग के लिए – शुशा फॉण्ट प्रणाली, हिंदी निजी कम्प्यूटर, लेखिका – 2007, मंत्र आदि साफ्टवेयर विकसित किए गए हैं।
• सुपर कप्यूटर के उपयोग –
> मौसम विज्ञान में भूकंप, चक्रवात, सुनामी आदि की भविष्यवाणी एवं विश्लेषण के लिए |
> अंतरिक्ष विज्ञान में – उपग्रहों के डिजाइन, दूरस्थ संवेदन से प्राप्त सूचनाओं के अध्ययन / विश्लेषण के लिए
> रक्षा क्षेत्र में लड़ाकू यान डिजाइन एवं विभिन्न कार्यक्रमों में
>  जैव-प्रौद्योगिकी में
> आयुर्विज्ञान में
> विज्ञान में
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