भारत में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम की विभिन्न समस्याओं का वर्णन करें।
भारत में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम की विभिन्न समस्याओं का वर्णन करें।
(42वीं BPSC/1999 )
उत्तर – भारत में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रमों को प्रारंभ से ही अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इसमें हमारी सबसे बड़ी समस्या रिएक्टर आयात नीति का है। प्रारंभ में तो हमारे पास तकनीक का ही अभाव था, यद्यपि बाद में कुछ स्वदेशी रिएक्टर भी विकसित किए गए लेकिन अधिकतर रिएक्टर अमेरिका एवं रूस से आयात किए गए हैं। भारत में 1969 में स्थापित पहला परमाणु ऊर्जा गृह (तारापुर, महाराष्ट्र) अमेरिका निर्मित है। उसी प्रकार कुडनकुलम प्लांट रूस की मदद से स्थापित किया गया है। इन रिएक्टरों को आयात करने में जहां काफी धन खर्च हुआ, वहीं इनके तकनीकी रख-रखाव के लिए भी इन देशों के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। अभी 36 देशों से नए रिएक्टर आयात किए जाने हैं। जिनके सहारे करीब 30 हजार मेगावाट क्षमता का विस्तार किया जाना है। जापान की नाभिकीय त्रासदी ने यह दिखा दिया है कि सुरक्षा के उपाय कितने अहम हैं। इसलिए अलग-अलग तरह के रिएक्टर और उनके सुरक्षा नियमन के लिए जरूरी तकनीकी विशेषज्ञता जुटाना भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में स्वदेशी रिएक्टर मददगार साबित हो सकते थे, लेकिन इनकी क्षमता कम है तथा इन्हें विश्वस्तरीय बनाने के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता है। इन रिएक्टरों से भी ज्यादा बड़ी समस्या यूरेनियम की है। भारत में प्राकृतिक यूरेनियम अति अल्प मात्रा में पाया जाता है जिसके कारण हमें न्यूक्लियर फ्यूल के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। एक समय भारत पर विकसित देशों द्वारा प्रतिबंध लगा दिए गए थे जिसके कारण हमारे परमाणु कार्यक्रमों को बड़ा झटका लगा था। यद्यपि ये प्रतिबंध अधिकतर देशों द्वारा अब समाप्त कर दिए गए हैं, लेकिन हमें सचेत रहने की आवश्यकता है।
विदेशी मदद से निर्मित हमारे सभी प्लांट लाइट वाटर रिएक्टर हैं जो दुनिया में सबसे अधिक जल का उपयोग करते हैं। अत: भारत में जहां जल संकट पहले से ही विद्यमान है ऐसे में ऊर्जा कार्यक्रम इसे बढ़ा रहे हैं। देश में ऐसे लाइट वाटर रिएक्टरों के लायक तटीय क्षेत्र खाली नहीं है। ऐसे में तटीय इलाकों में परमाणु प्लांट लगाने का मतलब स्थानीय लोगों के जबरदस्त विरोध का सामना करना होगा।
हमारे नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम की और भी समस्याएं हैं, जैसे- नाभिकीय सुरक्षा उपायों की जांच के लिए स्वतंत्र जांच संस्था का अभाव है। वर्तमान में यह कार्य ‘परमाणु ऊर्जा नियमन बोर्ड’ करता है जो परमाणु ऊर्जा आयोग के अधीन है। इसके अलावा परमाणु कार्यक्रम एवं विभिन्न देशों के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग संधि में विभिन्न राजनीतिक दलों में वैचारिक मतभेद है जिसके कारण कार्यक्रम का विकास प्रभावित होता है।
• भारतीय नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रमों की समस्याएं –
> स्वदेशी तकनीक का उच्चस्तरीय न होना जिसके कारण रिएक्टरों का विदेशों से आयात
> रएक्टरों में समरूपता का अभाव जिससे विभिन्न रिएक्टरों के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की कमी
> भारत में प्राकृतिक यूरेनियम की कमी
> हमारे सभी न्यूक्लियर प्लांट अधिक जल उपयोग करने वाले लाइट वाटर रिएक्टर हैं।
> स्थानीय लोगों का विभिन्न कारणों से जबरदस्त विरोध
> नाभिकीय सुरक्षा उपायों की जांच के लिए स्वतंत्र जांच संस्था का अभाव
> राजनैतिक मतभेद
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here