राजनीतिक दलों के गठबंधन से आप क्या समझते हैं ? क्या गठबंधन समय की माँग है?

राजनीतिक दलों के गठबंधन से आप क्या समझते हैं ? क्या गठबंधन समय की माँग है?

उत्तर- जब चुनाव में किसी एक राजनीतिक दल के बहुमत में आने की संभावना नहीं दिखाई देती है तो दो या दो से अधिक विभिन्न सिद्धांतों में विश्वास रखनेवाले राजनीतिक दल गठबंधन बनाकर चनाव लडने का निर्णय लेते हैं, तो उस राजनीतिक दला का गठबंधन कहा जाता है। उदाहरण के लिए नवम्बर 2015 में बिहार विधान सभा के चनाव में जनता दल (य) और राष्टीय जनता दल का गठबधन चुनाव म हआ। कभी-कभी चनाव में किसी एक दल के बहुमत नहीं आने पर सरकार के गठन के उद्देश्य से कुछ राजनीतिक दल आपसी गठबंधन करके सरकार चलाने का निर्णय लेते हैं। इसे गठबंधन की राजनीति कहते हैं। भारत में गठबंधन की राजनीति अब समय की माँग बन गई है। अब केंद्र में तथा कुछ राज्यों में कोई राजनीतिक दल अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रही है। 1989 के बाद से ही भारतीय राजनीति में एक राजनीतिक दल के वर्चस्व का दौर समाप्त हो गया है। उदाहरण के लिए 1991 में पी० वी० नरसिम्हा राव के नेतृत्व में सरकार कुछ सांसदों के खरीद-फरोख्त से बनी। इसी प्रकार राज्यों में भी सरकार बनने लगी। अत: हम कह सकते हैं कि राजनीतिक दलों की गठबंधन को सरकार आज के समय की माँग है।

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