क्षेत्रीय असमानता से आप क्या समझते हैं ? क्षेत्रीय असमानता को दूर करने में शिक्षा की क्या भूमिका है ?

क्षेत्रीय असमानता से आप क्या समझते हैं ? क्षेत्रीय असमानता को दूर करने में शिक्षा की क्या भूमिका है ?

उत्तर— क्षेत्रीय असमानता- -समाज के एक निश्चित क्षेत्र में जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों के मध्य पाई जाने वाली असमानता को क्षेत्रीय असमानता की श्रेणी में रखा जाता है । यह असमानता अव्यवस्था, संघर्ष एवं असन्तुलन की स्थिति को जन्म देती है। किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले धर्मावलम्बी एवं प्रजातियाँ आदि संघर्ष, झगड़े, ईर्ष्या तथा अन्य विघटनकारी स्थितियों को जन्म देने के लिए उत्तरदायी होते हैं ।
शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी असमानताएँ शैक्षिक अवसरों की असमानता को जन्म देती है। यद्यपि समाज में क्षेत्रीय असमानताओं को पूर्णतया समाप्त करना असम्भव है किन्तु इन पर नियन्त्रण किया जा सकता है और शिक्षा को इसके दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है।
क्षेत्रीय असमानता को दूर करने में शिक्षा की भूमिका— क्षेत्रीय असमानता को दूर करने के निम्नलिखित उपाय हैं—
(1) आधार ढाँचे को सुदृढ़ करने की नीति– ऊर्जा, परिवहन, आपूर्ति आदि का समुचित विकास आधार ढाँचे का अंग है। इन्हें उत्पादन एवं सर्वसाधारण के उपयोग, दोनों दृष्टि से विकसित किया जाना अनिवार्य है। ये पूँजी निर्माण में भी सहायता करते हैं। न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (M.N.P.) के अन्तर्गत भी इनको बढ़ाना आवश्यक है इनसे ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएँ उपलब्ध कराने में सरलता रहती है। पिछड़े हुए क्षेत्रों में आधार ढाँचे को सुदृढ़ करना विषमताओं को दूर करने के लिए भी आधार ढाँचा सुदृढ़ होना चाहिए ।
(2) बहुस्तरीय नियोजन प्रणाली– राज्य, जिला तथा अन्य नीचे के स्तर पर नियोजन प्रणाली में कार्यकुशलता लाने के साथ-साथ केन्द्र से राज्यों से जिलों को वित्तीय साधनों का हस्तान्तरण पिछड़ेपन को मुख्य आधार पर किया जाना चाहिए। भौतिक साधनों का सर्वेक्षण कर अज्ञात, आर्थिक साधनों की खोज करने से भी अल्पविकसित क्षेत्र स्वयं को विकसित क्षेत्र के समतुल्य ला सकते हैं ।
(3) केन्द्र प्रवर्तित परियोजनाएँ– केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं को राज्यों को हस्तान्तरित करने तथा विभिन्न विकास कार्यक्रमों की सहायता से भी क्षेत्रीय विषमताएँ दूर की सेवा एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं में केन्द्र से मिले धन का उपयोग कर सकेगा ।
(4) अन्तर्राष्ट्रीय एजेन्सियों का सहयोग– क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने के लिए विदेशों से तकनीकी तथा वित्तीय सहयोग लिया जाना चाहिए। किन्तु उनकी शर्तों को सावधानीपूर्वक जान लेना अनिवार्य होगा। उनके प्रच्छन्न हितों के लिए समझौता राष्ट्रीय विकास के लिए अत्यावश्यक है ।
क्षेत्रीय अन्तराल दूर करना राष्ट्रीय विकास के लिए अत्यावश्यक है। इस दिशा में केन्द्र, राज्य एवं गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को सम्मिलित प्रयास करने होंगे तभी वांछित प्रयास किया जा सकता है। शैक्षिक आर्थिक विकास की जन्मदात्री है। शिक्षा द्वारा इस दिशा में वांछित प्रयास किया जा सकता है। शैक्षिक योजनाओं में इस न्यूनता को दूर करने के प्रयास भी सम्मिलित किये जाने चाहिए।
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