भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिजों की विस्तार से व्याख्या करें | भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में इनके योगदान की चर्चा करें, साथ ही भारत की नई खनिज नीति के प्रमुख बातों को बताएं।

भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिजों की विस्तार से व्याख्या करें | भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में इनके योगदान की चर्चा करें, साथ ही भारत की नई खनिज नीति के प्रमुख बातों को बताएं।

अथवा

भारत में पाये जाने वाले खनिजों का उल्लेख करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था में इसकी योगदान की चर्चा करें । भारत की नयी खनिज नीति, 2016 के प्रमुख प्रावधानों का वर्णन करें।
उत्तर – भारत में खनिज सम्पदा का विशाल भंडार है, जिससे उद्योगों को, विशेषकर लोहा – उद्योग को कच्चा माल मिलता है। भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग के अनुसार भारत में खनिज सम्पदा वाले 50 क्षेत्र हैं और उन क्षेत्रों में लगभग 400 स्थलों पर खनिज मिलते है। भारत में लौह-अयस्क का बहुत विशाल भंडार है। भारत लोहा के अलावा मैंगनीज, क्रोमाईट, टाइटेनियम, मैग्नासाईट, केनाईट, सिलिमनाईट, परमाणु – खजिनों अभ्रक और बॉक्साइट के मामले में न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि इनका बड़ी मात्रा में निर्यात भी करता है।
• भारत में पाये जाने वाले प्रमुख खनिजों का विवरण
> लौह-अयस्क- भारत में लोहे का अनुमानित भंडार 3200 करोड़ टन है, जिसमें 85% हेमेटाइट ( उत्तम ), 8% मैग्नेटाइट एवं 7% अन्य प्रकार के हैं। विश्व का लगभग 20% लौह-अयस्क भारत में संचित है। भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा लौह-अयस्क निर्यातक देश है। इसका सबसे बड़ा आयातक देश जापान (3/4) है। संचित भंडार की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। झारखंड एवं ओडिशा राज्यों से देश का लगभग 75% लोहा प्राप्त किया जाता है। इसके संचित भंडार हैं- ओडिशा (सोनाई, क्योंझर, मयूरभंज), झारखंड (सिंहभूम, हजारीबाग, पलामू एवं धनबाद), छत्तीसगढ़ (बस्तर, दुर्ग, रायपुर, रायगढ़, बिलासपुर), मध्य प्रदेश (जबलपुर), कर्नाटक (बेलारी, चिकमंगलूर, चित्र दुर्ग), महाराष्ट्र (रत्नागिरि एवं चांदा), तमिलनाडु ( सलेम, तिरुचिरापल्ली), गोवा |
> मैग्नीज- मैग्नीज अयस्क में भंडार की दृष्टि से जिम्बाब्वे के बाद भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। भारत उत्पादन की दृष्टि से विश्व का दूसरा बड़ा देश है। देश में मैग्नीज का सर्वाधिक संचित भंडार कर्नाटक में है, जबकि सबसे अधिक उत्पादन ओडिशा में होता है। इसका संचित भंडार है- झारखंड (सिंहभूम), महाराष्ट्र (नागपुर और भण्डारा), ओडिशा (क्योंझर, सुन्दरगढ़), आंध्र प्रदेश (काकुलमणि), कर्नाटक ( शिमोगा एवं बेलारी), गुजरात (पंचमहल), राजस्थान (बांसवारा)।
>  बॉक्साइट- विश्व में बॉक्साइट संसाधन के मामले में भारत का पांचवां स्थान है। भारत में इसका सबसे अधिक उत्पादन ओडिशा (कुल उत्पादन का 50% ) में होता है। इसके संचित भंडार हैं. ओडिशा (पंचपत्तमल्ली), झारखंड (पलामू, राँची, लोहरदगा), बिहार ( गया, मुंगेर), आंध्र प्रदेश (नेल्लोर), महाराष्ट्र (नागपुर, भण्डारा तथा रत्नागिरी), राजस्थान (अजमेर, शाहपुर ) ।
> तांबा- भारत में तांबा की कमी है। देश में यह सल्फाइड (कैल्कोपाइराइट, कैल्कोसाइट, ब्रोनाइट) के रूप में मिलता है। भारत में तांबा प्राचीन खेदार, कुडप्पा एवं अरावली संरचना में पाया जाता है । संचित भंडार हैं. झारखंड ( सिंहभूम, हजारीबाग), राजस्थान (खेतड़ी, झुंझुनू, भीलवाड़ा, अलवर एवं सिरोही), महाराष्ट्र (कोल्हापुर), कर्नाटक (चित्र दुर्ग, हासन, रायचूर), मध्य प्रदेश (बालाघाट), आंध्र प्रदेश (अग्नि गुण्डल) । –
> अभ्रक- भारत विश्व का 60% अभ्रक का उत्पादन करता है। भारत अभ्रक का विश्व में सबसे बड़ा निर्यातक देश है। में 51% अभ्रक का उत्पादन होता है। कोडरमा विश्व की सबसे बड़ी अभ्रक की मंडी है। इसका संचित भंडार है झारखंड (पलामू), गुजरात (खेड़ा), मध्य प्रदेश (कटनी, बालाघाट, जबलपुर), छत्तीसगढ़ (बिलासपुर ) ।
> सोना- भारत में सोना क्वार्ट्ज चट्टानों की नसों में एवं नदियों के बालू में मिलता है। कर्नाटक के कोलार एवं हट्टी क्षेत्र से भारत में कुल सोने के उत्पादन का 98% प्राप्त होता है। अन्य उत्पादन क्षेत्र हैं. आंध्र प्रदेश (अनन्तपुर, वारंगल), तमिलनाडु (नीलगिरि एवं सलेम), झारखंड ( सिंहभूम ) । देश में स्वर्ण का पहला परिशोधन कारखाना निजी क्षेत्र में शिरपुर (महाराष्ट्र) में स्थापित किया गया है ।
> जस्ता- यह सीसा, तांबा आदि के साथ मिश्रित रूप में पाया जाता है। इसके प्रमुख उत्पादन केन्द्र हैं- राजस्थान (देबारी, सबसे बड़ा- चित्तौड़गढ़), केरल (टुण्डू), आंध्र प्रदेश (विशाखापत्तनम)।
> चाँदी- चाँदी सामान्यतः जस्ता, सीसा, तांबा आदि के अयस्कों के साथ मिश्रित रूप में पाया जाता है। इसका संचित भंडार है. कर्नाटक, (कोलार क्षेत्र, चित्रदुर्ग), राजस्थान (जाबर क्षेत्र), आंध्र प्रदेश (कुडप्पा, गुण्टूर तथा कूर्नूल ) ।
> हीरा – इसका मुख्य केंद्र मध्यप्रदेश (पन्ना) है।
> जिप्सम – मुख्य उत्पादक राज्य राजस्थान (95% ) एवं तमिलनाडु ।
>  कोयला- कोयला उत्पादन में चीन व अमेरिका के बाद भारत का विष्ठव में तीसरा स्थान है। कुल विद्युत उत्पादन में कोयले का योगदान 70% है। भारत में एन्थ्रासाइड, बिटुमिनस तथा लिग्नाइट तीनों प्रकार का कोयला पाया जाता है। कोयला उत्पादक प्रमुख केंद्र – झारखंड (धनबाद, सिंहभूम, गिरिडीह), प. बंगाल (रानीगंज, आसनसोल), छत्तीसगढ़ (रायगढ़), ओडिशा (देसगढ़ तथा तलचर), असम (माकूम, लखीमपुर), महाराष्ट्र (चांदा), आंध्र प्रदेश (सिंगरेनी) । अन्य राज्य – मेघालय, जम्मू-कश्मीर, नागालैंड आदि ।
> खनिज तेल- भारत में खनिज तेल मेसोजोइक एवं टर्शियरी काल की परतदार चट्टानों में पाया जाता है। रिलायंस पेट्रोकैमिकल्स का जामनगर रिफायनरी विश्व का सबसे बड़ा रिफायनरी है। खनिज तेल उत्पादक केंद्र असम (डिगबोई, सुरमा घाटी), गुजरात (खम्भातखाड़ी, अंकलेश्वर), महाराष्ट्र (बॉम्बे हाई-भारत का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र)।
> यूरेनियम- यह धारवाड़ एवं आर्कियन चट्टानों में पाया जाता है। इसका संचित भंडार है – झारखंड ( सिंहभूम, जादूगोड़ा), राजस्थान (विसुनडीह, उमरा), आंध्र प्रदेश (संकरा खान – नेल्लोर), केरल में बालू में पाये जाने वाले मोनाजाइट से 0.3% यूरेनियम मिलता है।
> थोरियम – यह मोनाजाइट से प्राप्त होता है। भारत में मोनाजाइट का विश्व में सबसे बड़ा संचित भंडार है, जो हैन झारखंड (हजारीबाग), राजस्थान (उदयपुर), तमिलनाडु (नीलगिरी) एवं केरल का तट है।
भारतीय अर्थव्यस्था के विकास में खनिजों का योगदान – खनन सेक्टर हमारी अर्थव्यवस्था का बुनियादी सेक्टर है। यह विभिन्न महत्वपूर्ण उद्योगों को बुनियादी कच्ची सामग्री उपलब्ध कराता है। सीएसओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खनन सेक्टर (ईंधन, आवणिक, प्रमुख तथा गौण खनिजों सहित) ने वर्ष 2014-15 में सकल घरेलू उत्पाद में 2.4% का योगदान दिया है।
वर्ष 2017-18 के दौरान, अभी तक, इस सेक्टर में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4% की वृद्धि दर्ज की उरी है। भारत में खनिज उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि आई है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान, मार्च तक, प्रमुख खनिजों के उत्पादन में पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 9% की वृद्धि हुई । इस विकास गाथा में प्रमुख योगदान धात्विक सेगमेंट में बॉक्साइट (27%), क्रोमाइट (33%), तांबा सांद्र (30%) लौह अयस्क (21% ) तथा सीसा सांद्र (32%) रहा। यह वृद्धि इस इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था से आ रहे कमजोर संकेतों के चलते अंतर्राष्ट्रीय वस्तु बाजार उथल-पुथल के दौर में है। हमने ‘भारत में विनिर्माण’ को वैश्विक नाम के रूप में स्थापित करने के लिए नया मिशन शुरू किया है। भावी वर्षों में, खनन उद्योग के घरेलू तथा विदेशी निवेशों को जुटाने तथा उससे अतिरिक्त रोजगार पैदा करने के लिए प्रमुख उद्योग के रूप में विकसित होने की उम्मीद है।
भारत की नई खनिज नीति- 29 जून, 2016 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति’ (NMEP) को स्वीकृति प्रदान की गई। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है – निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाकर देश में अन्वेषण गतिविधियों को तेज करना । खनिजों की पूर्ण क्षमता हेतु देश में व्यापक खनिज अन्वेषण की जरूरत है जिससे राष्ट्र के खनिज संसाधनों (गैर-ईंधन, गैर-कोयला) का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल हो सके और भारतीय अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र के अंशदान को बढ़ाया जा सके।
• राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति में देश में अन्वेषण को आसान बनाने के लिए निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं निहित हैं
> खनन मंत्रालय चिह्नित खनिज ब्लॉकों की निजी क्षेत्र में नीलामी कराएगा।
> उत्खनन एजेंसियों द्वारा नीलाम योग्य संसाधनों की खोज नहीं कर पाने पर, उत्खनन व्यय की प्रतिपूर्ति मानकीय लागत आधार पर की जाएगी।
> सरकार लक्षित खनिज भंडारों के स्टेट ऑफ द आर्ट बेसलाइन डाटा को प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय हवाई भू-भौतिक कार्यक्रम चलाएगी।
> एक नेशनल जिओसाइंटिफिक डाटा डिपॉजिटरी (NGDD) की स्थापना का प्रस्ताव है।
> एनजीडीडी केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों व खनिज रियायत धारकों (Concession Holders) से मिलने वाली बेसलाइन भू-वैज्ञानिक डाटा और खनिज उत्खनन से जुड़ी जानकारियों की तुलना करेगी और इनका भू-स्थानिक डाटाबेस (Jiospetial Database) पर इनका रख-रखाव करेगी।
> सरकार का वैज्ञानिक, अनुसंधान संस्थाओं, विश्वविद्यालयों तथा उद्योग की भागीदारी से देश में खनिज उत्खनन की चुनौतियों के समाधान तथा वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के लिए एक स्वायत्त गैर-लाभकारी संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव है।
> यह संस्थान ‘नेशनल सेंटर फॉर मिनरल टारगेटिंग’ (NCMT) के नाम से जाना जाएगा।
> आकर्षक राजस्व साझेदारी मॉडल के माध्यम से उत्खनन में निजी निवेश को आमंत्रित करने के लिए प्रावधान।
>  ऑस्ट्रेलिया की ‘अनकवर’ (UNCOVER) परियोजना के तर्ज पर सरकार की ‘नेशनल जिओफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (NGRI) और प्रस्तावित एनसीएमटी (NCMT) तथा जिओसाइंस ऑस्ट्रेलिया के साथ भागीदारी के माध्यम से देश में गहरे और छिपे हुए खनिज भंडारों की खोज की एक विशेष पहल शुरू करने की योजना है।
> भारत में पाये जाने वाले प्रमुख खनिजों का उल्लेख
> भारतीय अर्थव्यवस्था में खनिजों का योगदान
> भारत की नयी खनिज नीति, 2016
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