भारत के अधिकांश शहर तथा कस्बे, धूल भरी टूटी सड़कों, बड़े-बड़े कूड़े के ढेरों और अस्त-व्यस्त यातायात से भर चुके हैं। वैज्ञानिक प्रबन्धन तथा तकनीकी का इन समस्याओं के निदान में क्या योगदान हो सकता है ? उदाहरण सहित समझाइए |

भारत के अधिकांश शहर तथा कस्बे, धूल भरी टूटी सड़कों, बड़े-बड़े कूड़े के ढेरों और अस्त-व्यस्त यातायात से भर चुके हैं। वैज्ञानिक प्रबन्धन तथा तकनीकी का इन समस्याओं के निदान में क्या योगदान हो सकता है ? उदाहरण सहित समझाइए |

(53-55वीं BPSC/2012)
उत्तर- भारत के शहरों की स्थिति आज की तारीख में बहुत दयनीय हैं। भारत के अधिकांश शहर तथा कस्बे टूटी सड़कों, कूड़े के ढेर तथा अस्त-व्यस्त यातायात के रूप में तब्दील हो चुके हैं।
भारतीय शहरों के उपर्युक्त स्थिति के लिए बहुत सारे कारक उत्तरदायी हैं; जैसे- इनके नियोजित विकास के अभाव साथ ही उनमें नियोजित रूप से आवास व्यवस्था, सार्वजनिक भवन, खेल परिसर, पार्क, वाहन पार्किंग, बाजार तथा धार्मिक स्थलों का विकसित न होना। इसके अतिरिक्त अतिक्रमण की समस्या, सुनियोजित जल निकासी व्यवस्था का न होना, निकास के मार्गों में प्लास्टिक कचरों का जमा होना, नालियों से नियमित गादों (Silt) का नहीं निकाला जाना, सड़कों पर जल जमाव तथा कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था न होना इत्यादि ।
• वैज्ञानिक तकनीक एवं प्रबंधन से शहरों के सुधार हेतु उपाय
> शहरों एवं कस्बों का विकास नियोजित ढंग से किया जाना चाहिए, जिसमें सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों।
> सार्वजनिक स्थानों, बाजारों, पार्कों तथा जल निकासी व्यवस्था आदि पर से अतिक्रमण को तुरंत हटाया जाना चाहिए।
> जल निकासी व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। वर्तमान में जल निकासी के मार्गों पर प्लास्टिक कचरा का अतिक्रमण है। ऐसे में प्लास्टिक को प्रतिबंधित कर उसके स्थान पर जैव-क्षरणीय पदार्थों का उपयोग करना चाहिए। साथ ही साथ नालों से गादों (Silt) को नियमित निकाला जाना चाहिए ।
> यथासंभव सभी भवनों में वर्षाजल संरक्षण (Water Harvesting) तकनीक को अपनाया जाना चाहिए। इससे भूमिगत जल का स्तर भी सही रहेगा और सड़कों पर जल जमाव की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अतिरिक्त अधिक जल जमाव वाले स्थलों पर पम्प हाऊसों की व्यवस्था होनी चाहिए।
> सड़कों का निर्माण टिकाऊ सामाग्रियों से तथा इस प्रकार होना चाहिए कि उन पर जल जमाव की स्थिति उत्पन्न न हो। सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त कराना चाहिए तथा इनकी नियमित सफाई होनी चाहिए। सड़कों पर वाहनों के दबाव को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। बड़े शहरों में मेट्रो रेलवे सेवा बढ़िया माध्यम है। इससे एक ओर जहां धूल-धुएं की समस्या कम होती है, वहीं दूसरी ओर लोगों को आवागमन में सुविधा होती है।
> वाहनों के संदर्भ में सीसा रहित ईंधन, सीएनजी (CNG) एवं यूरो मानक को अनिवार्य करना चाहिए । ऊर्जा के क्षेत्र में गैर-परंपरागत ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
> इलेक्ट्रॉनिक कचरा से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए नैनो तकनीक तथा जैव-क्षरणीय पदार्थों आदि का उपयोग किया जाना चाहिए।
> अवशिष्ट प्रबंधन/कचरा प्रबंधन किसी भी शहर या कस्बे की गंभीर समस्या है। इन अवशिष्टों में औद्योगिक और नगरीय अवशिष्ट सर्वप्रमुख हैं। इन अवशिष्टों को वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करने के लिए भारत के कुछ प्रमुख बड़े शहरों में संयंत्र स्थापित किए गए हैं। इन संयंत्रों से विद्युत उत्पादन कर शहरों के सड़कों को रोशन किया जा रहा है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारतीय शहरों एवं कस्बों की स्थिति अच्छी नहीं है। लेकिन, उपर्युक्त सुझाए गए उपाय यदि अपनाए जाते हैं तो भारत के शहरी जीवन में बदलाव आ सकते हैं ।
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