भारत में सार्वजनिक वस्तु अनुदान, मेरिट वस्तु अनुदान और गैर-मेरिट वस्तु अनुदानों से आपका क्या तात्पर्य है? देश में उर्वरक, खाद्य व पेट्रोलियम अनुदानों की समस्या तथा हाल ही की प्रवृत्तियों को समझाइए ।

भारत में सार्वजनिक वस्तु अनुदान, मेरिट वस्तु अनुदान और गैर-मेरिट वस्तु अनुदानों से आपका क्या तात्पर्य है? देश में उर्वरक, खाद्य व पेट्रोलियम अनुदानों की समस्या तथा हाल ही की प्रवृत्तियों को समझाइए ।

अथवा

सब्सिडी को परिभाषित करते हुए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यमों से सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुदानों का तार्किक विश्लेषण दें। अनुदानों की उपयोगिता एवं दुरुपयोगों की चर्चा करें।
उत्तर – सब्सिडी का मुख्य उद्देश्य बाजार मूल्य को कम करने के साथ-साथ कमजोर तबकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। अनुदान के रूप में सरकार द्वारा बाजार मूल्य को कम करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। भारत में दिए जाने वाले कुछ अनुदान निम्न हैं
1. सार्वजनिक वस्तु अनुदान – सार्वजनिक वस्तु से तात्पर्य ऐसी वस्तु से है जिसे व्यक्तियों द्वारा प्रभावी रूप में उपयोग से बाहर नहीं किया जा सकता है और जहां एक व्यक्ति द्वारा उपयोग दूसरों की उपलब्धता को कम नहीं करता है। सार्वजनिक वस्तुओं के उदाहरण में ताजी हवा, स्वच्छ पेयजल, राष्ट्रीय रक्षा, बाढ़ नियंत्रण प्रणाली, सार्वजनिक परिवहन और सड़क प्रकाश व्यवस्था शामिल हैं। इसलिए वे आमतौर पर उपभोग में गैर-आगमन और गैर- बहिष्कार की विशेषता रखते
हैं। चूंकि ये सेवाएं सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं, इसलिए वे किसी को भी बाहर नहीं निकालती हैं। इस प्रकार इस तरह के सामान की कीमत नहीं ली जा सकती है और अतः सब्सिडी की गणना में इन्हें शामिल नहीं किया गया है।
2. मेरिट वस्तु अनुदान – मेरिट सामान वे सामान होते हैं जिनकी खपत सकारात्मक बाह्यताओं की ओर ले जाती है। उदाहरण के लिए, टीकाकरण, पर्यावरण संरक्षण, न्यूनतम स्तर की शिक्षा (प्राथमिक शिक्षा) आदि। इन वस्तुओं/सेवाओं के परिणामस्वरूप सामाजिक लाभ व्यक्तिगत उपभोक्ताओं के निजी लाभ के योग से कहीं अधिक है। मेरिट सामान के अन्य उदाहरण सड़क, पुल, बाढ़ नियंत्रण और कृषि, परमाणु ऊर्जा, अन्तरिक्ष आदि हैं। इन वस्तुओं पर मूल्य नियंत्रण तथा सभी की उपलब्धता के लिए सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनुदान मेरिट वस्तु अनुदान कहलाता है। वर्ष दर वर्ष सरकारें राजनीति तथा वोट बैंक के लिए अनुदान बढ़ाती जाती हैं। इस प्रकार के अनुदान से सरकार का राजकोषीय घाटा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जाता है।
 3. गैर – मे वस्तु अनुदान – गैर-योग्यता वाले सामान वे सामान हैं जिनकी खपत नकारात्मक बाह्यताओं की ओर ले जाती है। ऐसे सामानों की खपत में ऐसे सामानों पर प्रदान की गई सब्सिडी का लाभ व्यक्तिगत उपभोक्ताओं को प्राप्त होता है। गैर-योग्य वस्तुओं के मामले में समाज का वस्तु / सेवा प्रदान करने की लागत उपभोक्ताओं को प्रदान करने के लिए निर्धारित मूल्य से अधिक है। इन अनुदानों के परिणामस्वरूप व्यक्तिगत उपभोक्ता निम्नानुसार अनुदान प्राप्त करते हैं
> नकद अनुदान
> ब्याज या क्रेडिट अनुदान
 >  कर अनुदान
>  प्रोक्योरमेंट अनुदान
खाद्य अनुदान की समस्या – अनेक अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि खाद्य अनुदान का अधिकतर भाग गरीबों तक नहीं पहुंचता है। खाद्य अनुदान का मुख्य उद्देश्य गरीबों को गरीबी से आराम देना है लेकिन वास्तविकता में गरीब इससे लाभान्वित नहीं हो रहे हैं। अनुदान का एक बड़ा भाग एफसीआई में व्याप्त भ्रष्टाचार और अक्षमता में चला जाता है। इसके साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भी संग्रहण, वितरण, परिवहन आदि की समस्या है।
उर्वरक अनुदान की समस्या- सरकार सभी प्रकार के उर्वरकों पर सभी के लिए एक समान अनुदान देती है। इस प्रकार अनुदान से बड़े व सीमान्त, मंझोले व लघु किसान सभी लाभान्वित होते हैं। इसका मुख्य लाभ बड़े किसान ही पाते हैं जिन्हें अनुदान की कोई आवश्यकता नहीं है। यूरिया पर अनुदान ज्यादा मिलने के कारण अन्य उर्वरकों की अपेक्षा किसान यूरिया का ज्यादा प्रयोग करते हैं जो मृदा व भू-जल दोनों को प्रदूषित कर रहा है।
पेट्रोलियम अनुदान की समस्या – पेट्रोलियम पदार्थों में सर्वाधिक अनुदान केरोसिन पर दिया जाता है, क्योंकि केरोसीन का उपयोग गरीबों में ज्यादा होता है। परन्तु पेट्रोलियम उद्योग में केरोसिन का उपयोग बड़े पैमाने पर पेट्रोल व डीजल में मिलावट के लिए होता है तथा इसे पड़ोसी देशों में लोग चोरी-छिपे बेचते रहते हैं।
उर्वरक, खाद्य व पेट्रोलियम की वर्तमान प्रवृत्तियां – उर्वरक, खाद्य व पेट्रोलियम पर सरकार द्वारा दिया जा रहा अनुदान धीरे-धीरे समय के साथ बढ़ रहा है। उर्वरक पर 1990-91 में अनुदान 4400 करोड़ रु. था, तो वहीं 2017-18 में अनुदान 70,000 करोड़ रु. तथा 2018-19 में अनुदान 70,079 करोड़ रु. रहा। खाद्य पर 1990-91 में अनुदान 2450 करोड़ रु. था, तो वहीं यह बढ़कर 2017-18 में 1,45,338 करोड़ रु. तथा 2018-19 में 1,69,323 करोड़ रु. हो गया है। पेट्रोलियम पर 2002-03 में अनुदान करोड़ रु. था, तो 2017-18 में यह बढ़कर 25,000 करोड़ रु. तथा 2018-19 में 24,933 करोड़ रु. हो गया। इस प्रकार यदि हम गौर करें तो 2017-18 में कुल अनुदान में 3% की वृद्धि (2016-17 की तुलना में) तथा 2018-19 में कुल अनुदान में 15% की वृद्धि की गई है। इस प्रकार इन तीनों पर लगातार अनुदान भारत की राजकोषीय घाटे में लगातार वृद्धि कर रहा है। इन तीनों पर दिए जा रहे अनुदान को तार्किक करने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अनुदान की आवश्यकता भी है। बशर्ते बस इसे तार्किक करने की आवश्यकता है ताकि अनुदान केवल जरूरतमन्दों को ही मिले।
> अनुदान क्या है ?
> सार्वजनिक, मेरिट व गैर मेरिट वस्तु अनुदान
> भारत में उर्वरक, खाद्य व पेट्रोलियम अनुदान की समस्या
> भारत में उवर्रक, खाद्य व पेट्रोलियम अनुदान की वर्तमान प्रवृत्तियां
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *