उच्च ताप वाले अतिचालक (High Temperature Super Conductors) क्या हैं ? इसके (42वीं BPSC/1999 ) महत्वपूर्ण प्रयोग बतलाइये।

उच्च ताप वाले अतिचालक (High Temperature Super Conductors) क्या हैं ? इसके (42वीं BPSC/1999 ) महत्वपूर्ण प्रयोग बतलाइये।

उत्तर- एक ऐसा पदार्थ जिसमें विशेष परिस्थिति में प्रतिरोध शून्य हो जाता है तथा वे विद्युत के पूर्ण चालक बन जाते हैं, अर्थात यदि उनमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो बिना किसी ऊर्जा क्षय के धारा निरंतर प्रवाहित होती रहेगी, अतिचालक (Super Conductor) पदार्थ कहलाते हैं। अतिचालक की खोज 1911 में नीदरलैंड के वैज्ञानिक कैमरलिंघ ओंस ने किया था जिसके लिए उन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला। प्रयोग के दौरान उन्होंने पाया कि तापमान बढ़ने पर पदार्थ का प्रतिरोध बढ़ता है एवं तापमान कम होने से प्रतिरोध घटता है। अति निम्न ताप अर्थात परम शून्य (4-2K.या – 268-8°C) पर पदार्थ का प्रतिरोध समाप्त हो जाता है।
वैज्ञानिक ऐसे अतिचालक को विकसित करने का प्रयास कर रहे थे, जो उच्च ताप पर भी अतिचालकता प्रदर्शित कर सके। ऐसे पदार्थों को उच्च ताप वाला अतिचालक (High Temperature Super Conductor) कहते हैं।
1986 में वैज्ञानिकों ने पहली बार अपेक्षाकृत उच्च तापमान के अतिचालक (High Temperature Super ConductorHTSC) पदार्थ की खोज की। अनेक अनुसंधान के फलस्वरूप अब अतिचालकता के लिए क्रांतिक ताप (वह निम्न तापक्रम जिस पर चालक का प्रतिरोध पूर्णतः समाप्त हो जाता है) को लगभग 240°K तक पहुंचा दिया गया है।
• इसका प्रयोग
> अतिचालकता से ऊर्जा क्षति को कम किया जा सकता है।
> अतिचालक क्वांटम इंटरफेरेन्स डिवाइस का उपयोग हृदय रोग के इलाज के लिए किया जा सकता है ।
> अतिचालक के विद्युत चुंबकीय वलयों का प्रयोग कर किसी वस्तु को पृथ्वी पर अथवा पृथ्वी से आकाश में भेजा जा सकता है।
> मैग्नेटिक रेजोनेन्स इमेजिंग (MRI) मशीन में अतिचालक इलेक्ट्रोमैग्नेट का उपयोग होता है ।
> मैग्नेटिकली लेमिनेटेड ट्रेन्स (MLT) अतिचालकता पर आधारित शक्तिशाली चुंबकों के सहयोग से रेलगाड़ी को पृथ्वी -सतह से लगभग 4 इंच ऊपर चलने में सक्षम बनाता है, जिससे रेलगाड़ी की गति 750 Km/h तक हो सकती है ।
>  सुपर कम्प्यूटर के निर्माण में अतिचालक पदार्थों के प्रयोग से इसके आकार को छोटा एवं ऊर्जा की आवश्यकता कम की जा सकती है।
> अतिचालकों का प्रयोग कर विद्युत सर्किटों को बंद किया जा सकता है।
• अतिचालक
>  ऐसे पदार्थ जिसमें विशेष परिस्थिति में प्रतिरोध शून्य हो जाता है तथा वे विद्युत के पूर्ण चालक बन जाते हैं।
• उच्च ताप वाले अतिचालक
> ऐसे अतिचालक जो उच्च ताप पर भी अतिचालकता प्रदर्शित कर सके।
> 1986 में पहली बार HTSC (High Temperature Super Conductors) पदार्थ की खोज की गई।
>  अनुसंधानों के द्वारा अतिचालकता के लिए क्रांतिक ताप लगभग 240°K तक पहुंचा दिया गया है।
• प्रयोग –
> ऊर्जा क्षति को कम किया जा सकता है।
> MRI में अतिचालक इलेक्ट्रोमैग्नेट का प्रयोग।
> अतिचालक क्वांटम इंटरफेरेन्स डिवाइस का उपयोग हृदय रोग के इलाज के लिए ।
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