QIM में बिहार में ‘आजाद दस्ता’ की क्या भूमिका थी ?

QIM में बिहार में ‘आजाद दस्ता’ की क्या भूमिका थी ?

( 40वीं BPSC/1995 )
अथवा
आजाद दस्ता की स्थापना, कार्यपद्धति, विस्तार एवं उद्देश्य लिखें।
‘आजाद दस्ता’
गठन – जयप्रकाश नारायण ने नेपाल में अपने साथियों श्यामनंदन सिंह, सूरज नारायण, राममनोहर लोहिया के साथ ‘आजाद दस्ता’ का गठन किया।
उद्देश्य –
> तोड़-फोड़ की घटनाओं को अंजाम देकर अंग्रेजों की परेशानी बढ़ाना।
> संचार साधनों को नष्ट करना ।
> बारूद के प्रयोग से सरकारी कारखानों, दफ्तरों आदि को नुकसान पहुंचाना।
> 1943 में नेपाल सरकार द्वारा जयप्रकाश नारायण, लोहिया की गिरफ्तारी जिससे आंदोलन में शिथिलता
उत्तर  – भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार की अग्रणी भूमिका रही। तीव्रता से फैलते आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया जिसका परिणाम ने * हिंसा एवं तोड़-फोड़ की घटना के रूप में सामने आई। इस आंदोलन के दशा एवं दिशा में जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित  ‘आजाद दस्ता’ की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी एवं सरकार की दमनात्मक कार्रवाई ने क्रांतिकारियों को गुप्त एवं छापामार प्रणाली अपनाने के लिए बाध्य किया। 9 नवंबर, 1942 की रात जयप्रकाश नारायण अपने साथियों- श्यामनंदन सिंह, सूरज नारायण, राममनोहर लोहिया आदि सहित हजारीबाग जेल से भाग निकले एवं नेपाल पहुंच गए। नेपाल में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में ‘आजाद दस्ता’ की स्थापना की गई। इसका गठन मुख्यतः तोड़-फोड़ की घटनाओं को अंजाम देने एवं छापामार युद्ध के लिए किया गया था।
राममनोहर लोहिया ने इसके संचालन एवं प्रचार का कार्य संभाला। बिहार के लिए सूरज नारायण के नेतृत्व में एक स्वतंत्र परिषद् स्थापित की गई। प्रशिक्षण का कार्य सरदार नित्यानंद सिंह ने संभाला। संगठन के सदस्यों को निम्न कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता था
> संचार साधनों को नष्ट करना ।
> बारूद के प्रयोग से मिलों, कार्यालयों का विनाश ।
> औद्योगिक प्रतिष्ठानों को क्षति पहुंचाना।
> सरकारी ऑफिस के फाइलों को जलाना आदि।
‘आजाद दस्ते’ के शाखाओं की स्थापना बिहार के भागलपुर एवं पूर्णियां में भी हुई। इसके सदस्यों ने भागलपुर, मुंगेर, पूर्णियां आदि में अनेक विध्वंसक कार्य किए। फाइलों को जलाया, गोला-बारूद से रेल पटरी तथा संचार साधनों को नष्ट किया। ये लोग गुप्त छापामार पद्धति का प्रयोग कर सरकार को परेशान करते थे। सरकार को इसके दमन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। ब्रिटिश सरकार के दबाव में मई 1943 में नेपाल सरकार ने जयप्रकाश नारायण, लोहिया आदि को गिरफ्तार कर लिया, धीरे-धीरे आंदोलन शिथिल पड़ गया । नेपाल से भागकर कलकत्ता जाने के क्रम में इसके नेता दिसंबर 1943 में गिरफ्तार कर लिए गए।
अतः ‘आजाद-दस्ता’ ने काफी कम समय में QIM में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण बिहार में QIM काफी सफल रहा। आजाद दस्ता क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणास्रोत रहा एवं औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध बिहार के प्रतिरोध की नई तस्वीर भी प्रस्तुत की। जेपी जननायक बन गए एवं आजादी के बाद भी जब उन्होंने कांग्रेस की तानाशाही के खलाफ आंदोलन किया तो बिहार के साथ ही लगभग पूरा देश उनके साथ हो गया।
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