भारत को भौतिक प्रदेशों में विभक्त कर मानचित्र सहित उनका वर्णन कीजिए |
भारत को भौतिक प्रदेशों में विभक्त कर मानचित्र सहित उनका वर्णन कीजिए |
(43वीं BPSC/2001 )
उत्तर – भारत के भौतिक प्रदेश
(i) हिमालय पर्वत श्रृंखला,
(ii) उत्तरी मैदान,
(iii) प्रायद्वीपीय पठार,
(iv) भारतीय मरुस्थल,
(v) तटीय मैदान,
(vi) द्वीप समूह
1. हिमालय पर्वत श्रृंखला – भारत की उत्तरी सीमा पर विस्तृत विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी हिमालय भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टिकोण से वलित है। ये पर्वत श्रृंखला पश्चिम-पूर्व दिशा में सिंधु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैली है। हिमालय को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है –
(a) महान या आंतरिक ‘हिमालय या हिमाद्रि – यह सबसे अधिक सत्त श्रृंखला है जिसमें 6000 मीटर की औसत ऊंचाई वाले सर्वाधिक, शिखर हैं। हिमालय का यह भाग क्रोड ग्रेनाइट का बना है। यह शृंखला हमेशा बर्फ से ढंकी रहती है तथा इसमें बहुत सी हिमानियों का प्रवाह होता है ।
(b) लघु या मध्य हिमालय- लघु हिमालय का विस्तार महान हिमालय के दक्षिण में है। इसे हिमालय श्रेणी भी कहते हैं। इनकी ऊंचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किमी. है। पीरपंजाल शृंखला इसकी सबसे लंबी तथा सबसे महत्वपूर्ण श्रृंखला है। इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों के लिए जाना जाता है।
(c) शिवालिक श्रेणी – हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है। इनकी चौड़ाई 10 से 50 किमी. तथा ऊंचाई 900 से 1000 मीटर के बीच है। ये शृंखलाएं उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखलाओं से नदियों द्वारा लायी गयी असंपीड़ित असवादों से बनी हैं।
2. उत्तरी मैदान – उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों – सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों के जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन (द्रोणी) में जलोढ़ों का निक्षेप हुआ, जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ। इसका विस्तार 7 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में है। यह सघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है। समृद्ध मृदा आवरण, पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है।
3. प्रायद्वीपीय पठार – प्रायद्वीपीय पठार पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है। यह गोंडवाना भूमि के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था तथा यही कारण है कि यह प्राचीनतम भू-भाग का एक हिस्सा है। इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियां एवं गोलाकार पहाड़ियां हैं। इस पठार के दो मुख्य भाग हैं- मध्य उच्चभूमि तथा दक्कन का पठार। प्रायद्वीपीय पठार की एक विशेषता यहां पायी जाने वाली काली मृदा है, जिसे ‘दक्कन ट्रैप’ के नाम से भी जाना जाता है। अरावली की पहाड़ियां प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी एवं उत्तर-पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
4. भारतीय मरुस्थल- अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार का मरुस्थल स्थित है। यह बालू के टिब्बों से ढका एक तरंगित मैदान है। इस क्षेत्र में प्रति वर्ष 150 मिमी. से भी कम वर्षा होती है, अतः यहां वनस्पति बहुत कम है। वर्षा ऋतु में ही कुछ नदियां दिखती हैं और उसके बाद वे बालू में ही विलीन हो जाती हैं। लूनी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है।
5. तटीय मैदान – प्रायद्वीपीय पठार के किनारों पर संकीर्ण तटीय पट्टियों का विस्तार है। यह पश्चिम में अरब सागर से लेकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत है। पश्चिमी तट, पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित एक संकीर्ण मैदान है। यह मैदान तीन भाग में बंटा है- कोंकण का मैदान ( मुंबई तथा गोवा), कन्नड़ का मैदान एवं मालाबार तट | बंगाल की खाड़ी के साथ विस्तृत मैदान चौड़ा एवं समतल है। उत्तरी भाग में इसे उत्तरी सरकार तथा दक्षिणी भाग में कोरोमंडल तट कहा जाता है।
6. द्वीप समूह – भारत में दो द्वीपों का समूह – लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार द्वीप स्थित है। केरल के मालाबार तट के पास लक्षद्वीप स्थित है। द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है जिसका कुल क्षेत्रफल 32 वर्ग किमी. है। बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण के तरफ फैले द्वीपों की श्रृंखला को अंडमान एवं निकोबार द्वीप कहते हैं। ये द्वीप विषुवत वृत्त के समीप स्थित हैं एवं यहां की जलवायु विषुवतीय है तथा यह घने जंगलों से आच्छादित है। भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी इसी समूह के बैरन द्वीप पर स्थित है।
• भारत के भौतिक प्रदेश ( 6 ) –
1. हिमालय पर्वत श्रृंखला
> भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट से वलित पर्वत हिमालय को तीन भागों में बांटा जा सकता है
(क) महान या आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि
(ख) लघु या मध्य हिमालय
(ग) शिवालिक श्रेणी
2. उत्तरी मैदान
> 7 लाख वर्ग किमी. में फैले तथा जलोढ़ मृदा से बने इस मैदान का निर्माण सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं सहायक नदियों से हुआ है।
3. प्रायद्वीपीय पठार
> यह पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है
> दो भाग हैं- मध्य उच्चभूमि एवं दक्कन का पठार
4. भारतीय मरुस्थल
> अरावली की पश्चिमी किनारे पर थार मरुस्थल
> लूनी सबसे बड़ी नदी
> वार्षिक वर्षा 150 मिमी. से भी कम
5. तटीय मैदान
> पूर्वी घाट- उत्तरी सरकार,कोरोमंडल तट
> पश्चिमी घाट- कोंकण का मैदान, कन्नड़ का मैदान, मालाबार तट
6. द्वीप समूह
> लक्षद्वीप
> अंडमान एवं निकोबार द्वीप
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