भारत में नदी-जल के बंटवारे को लेकर अन्तर्राज्यीय विवादों के कारणों एवं परिणामों की विवेचना सोदाहरण करें। क्या इस समस्या का समाधान हो सकता है ?

भारत में नदी-जल के बंटवारे को लेकर अन्तर्राज्यीय विवादों के कारणों एवं परिणामों की विवेचना सोदाहरण करें। क्या इस समस्या का समाधान हो सकता है ?

( 42वीं BPSC/1999 )
उत्तर  – भारत में नदियों की बहुलता तथा जल संसाधन की पर्याप्तता है, परन्तु इसके साथ ही जल संसाधन की उपलब्धता में काफी विषमता भी है। जल का उपयोग पहले की अपेक्षा बढ़ा है। सामान्य कार्यों के अतिरिक्त आज हरित क्रांति के बाद कृषि में पानी की आवश्यकता पहले से बढ़ी है। विभिन्न राज्य नहरों का निर्माण कर कृषि को जल उपलब्ध करवाना चाह रहे हैं, साथ ही नदियों के जल का प्रयोग जल विद्युत उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है। भारत में जल संसाधन राज्य – सूची का विषय है। भारत की अधिकतर नदियां एकाधिक राज्यों से होकर गुजरती हैं। ऐसे राज्यों को त्पचंतपंद जंजमे कहा जाता है। इन सभी राज्यों को नदी मार्ग के अनुपात में जल उपयोग करने का अधिकार होता है। परन्तु कई बार किसी – विद्युत परियोजना, नहरों के निर्माण आदि के कारण राज्यों में विवाद पैदा हो जाता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में दूसरे राज्यों को संबद्ध नदी का कम जल प्राप्त होता है। भारत में इन्हीं परिस्थितियों के कारण नदी-जल विवाद पैदा होता है। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल राज्यों के मध्य कावेरी नदी के जल को लेकर विवाद है। उसी प्रकार महाराष्ट्र, कर्नाटक, तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों के मध्य कृष्णा नदी के जल को लेकर विवाद की स्थिति है।
भारत में नदी-जल के अंतर्राज्यीय विवादों के परिणामस्वरूप विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं एवं इनके जल के समुचित उपयोग से अनेक जल विद्युत परियोजनाएं एवं कृषि के लिए नहरों का जितना निर्माण हो सकता था, नहीं हो पाया है।
•   समाधान
1. नदी-जल के बंटवारे की समस्या समाधान के लिए सर्वप्रथम इन विवादों को राजनीति से दूर करना होगा।
2. राजनीतिक पार्टियां अपने लाभ के लिए इन विवादों को जिंदा रखना चाहती हैं। इसके लिए विभिन्न नदियों के लिए आयोग बने जिसके सदस्य गैर-राजनीतिक संबद्ध राज्यों के बुद्धिजीवी एवं इसी प्रकार के केन्द्रीय प्रतिनिधि हों।
3. आयोग के निष्पक्ष निर्णय को सभी राज्यों की सरकारें मान्यता दें ।
4. इसके साथ ही इस समस्या के समाधान के लिए एक दूसरा प्रभावकारी तरीका हिमालय की नदियों एवं प्रायद्वीपीय नदियों के आपस में जोड़ना हो सकता है। इससे जल की कमी कुछ हद तक दूर हो जाएगी ।
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