भारत-पाकिस्तान संबंधों पर आतंकवादी गतिविधियों एवं आपसी अविश्वास के बादल मंडरा रहे हैं। दोनों राष्ट्रों के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने के लिए खेल-कूद एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी सौम्य शक्ति का प्रयोग किस सीमा तक किया जाना चाहिए? उचित उदाहरण सहित समझाइए।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर आतंकवादी गतिविधियों एवं आपसी अविश्वास के बादल मंडरा रहे हैं। दोनों राष्ट्रों के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने के लिए खेल-कूद एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी सौम्य शक्ति का प्रयोग किस सीमा तक किया जाना चाहिए? उचित उदाहरण सहित समझाइए।
अथवा
पठानकोट की घटना का उल्लेख करें। साथ ही जम्मू-कश्मीर को भी रिश्तों का केन्द्र बनाएं।
उत्तर – देश के विभाजन के बाद से ही दोनों देशों के संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। बीच-बीच में प्रधानमंत्री एवं सचिव स्तरीय सम्मेलनों के द्वारा संबंधों में सुधार की कोशिश होती रही है, परन्तु पाक प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों ने परस्पर विश्वास को गहरा धक्का पहुंचाया है। इस दिशा में मैत्री भाव, खेल-कूद एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे कुछ उपायों ने घाव पर मरहम लगाने की कोशिश की है, परन्तु अन्य प्रतिबन्धों के कारण यह नाकाफी है।
भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद के कई बिन्दु रहे हैं, जैसे सिंधु – जल विवाद, सर क्रिक विवाद आदि। इन विवदों को दूर करने एवं आर्थिक संबंधों को बहाल करने के लिए दोनों राष्ट्रों के मध्य कई संधियां एवं सम्मेलन होते रहे हैं। परस्पर विश्वास बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री स्तरीय सम्मेलन तक होते रहे हैं, परन्तु लगातार होते जा रहे आतंकी गतिविधि यों ने दोनों देशों के मध्य स्थापित संबंधों को फिर से बिगाड़ दिया है। आज दोनों देशों के मध्य संबंध अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर है। इस संबंधों को समझने हेतु पाकिस्तान के डायनामिक्स को समझना होगा।
पाकिस्तान में दो ताकतें सक्रिय हैं- इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतें एवं उदार लोकतांत्रिक ताकतें | इस्लामिक चरमपंथी ताकतें भारत विरोधी रूझान रखती हैं। इनके केन्द्र में पकिस्तानी सेना और आई. एस. आई. हैं जिनकी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं और उस राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा होना पाकिस्तानी समाज में उसके सपोर्ट बेस पर निर्भर करता है। जब भी पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार बेहतर भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंध की दिशा में पहल करती है, पाकिस्तानी सेना, आई. एस. आई. और आतंकियों की सहायता से द्विपक्षीय संबंधों को पटरी से उतारने की कोशिश में लग जाती हैं। अक्सर इसके द्वारा पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार भारतीय दबाव के समक्ष झुकने और भारत को लेकर नरम रूख अपनाने का आरोप भी लगाया जाता है।
पाकिस्तान की उदार लोकतांत्रिक शक्तियां भारत के साथ बेहतर संबंध चाहती हैं। लेकिन, इनके साथ समस्या यह है कि ये अभी मजबूत स्थिति में नहीं हैं। इन्हें लगातार सेना के दबाव में काम करना पड़ता है। हालिया पठानकोट एवं उरी संकट के माध्यम से दोनों राष्ट्रों के संबंधों पर गौर किया जा सकता है।
ऐसे हालात में आवश्यक हो गया है कि दोनों देश इससे उपजे तनाव को कम कर शांति प्रक्रिया में हिस्सा लें। इस लिहाज से दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं खेल-कूद को प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है। इस दिशा में एशिया चैम्पियन हॉकी, 2016 एवं विश्व टी-ट्वेंटी क्रिकेट मैच महत्वपूर्ण रहे हैं।
विश्व टी-ट्वेंटी क्रिकेट मैच में कोलकाता में भारत का मुकाबला पाकिस्तान से हुआ। इस मैच के बाद उपजे तनाव में कुछ कमी आने के संकेत मिले हैं। मैच देखने के लिए पाकिस्तानी दर्शकों का कोलकाता में स्वागत देखने लायक था। दोनों देशों के लोगों ने मैच का पूरा आनंद लिया। मैच के बाद दोनों देशों के लोगों में आपसी विचारों का आदान-प्रदान हुआ जिससे परस्पर विश्वास बहाली में थोड़ा सुधार हुआ। परन्तु कबड्डी मैच में पाकिस्तान द्वारा खिलाड़ियों के भाग लेने से मना कर देना दु:खद रहा। इसी सिलसिले में पाकिस्तानी कालाकारों द्वारा भारतीय फिल्म इण्डस्ट्रीज में उपस्थिति परस्पर बहाल होते रिश्तों का संकेत है। परन्तु जम्मू-कश्मीर में पुन: आतंकवादी घटना ने एक बार फिर सब पर पानी फेर दिया। सरकार को चाहिए कि आतंकवादी घटनाओं से उपजे तनाव को कम करने के लिए ऐसे रिश्तों को पुनः बहाल करें।
इस प्रकार भारत-पाकिस्तान के मध्य अपने कुछ विवाद हैं, जिनका मसला हल किया जा सकता है। आतंकवादी घटना को रोकने के लिए पाक को गंभीर होना होगा, जिससे वह भारत को विश्वास में ले सके। जबकि सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं खेल-कूद विषाक्त होते माहौल को कम करने का एक उपाय है, उसे बहाल किया जाना चाहिए।
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