भारत में हो रहे अंतरिक्ष अनुसंधानों का विवरण दीजिए। यह अनुसंधान देश की प्रगति में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुए हैं ?
भारत में हो रहे अंतरिक्ष अनुसंधानों का विवरण दीजिए। यह अनुसंधान देश की प्रगति में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुए हैं ?
(48-52वीं BPSC/2009)
उत्तर – भारत में अंतरिक्ष अनुसंधानों की नींव 1962 में प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई की अध्यक्षता में गठित भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के साथ पड़ी। इस समिति का पुनर्गठन करके 15 अगस्त, 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना की गई।
> 1972 में एक स्वतंत्र एवं स्पष्ट राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम बनाया गया। इसी वर्ष अंतरिक्ष आयोग एवं अंतरिक्ष विभाग का गठन किया गया। इनका कार्य अंतरिक्ष कार्यक्रमों का उचित संचालन है। इसरो (ISRO) को अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत रखा गया।
> भारत ने पहला साउडिंग रॉकेट 1963 में ‘नाइक एपाश’ केरल के ‘थुम्बा – इक्वेटोरियल रॉकेट लांचिंग स्टेशन’ (TERLS) से प्रक्षेपित किया। बाद में इस केन्द्र का नामकरण ‘विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र’ कर दिया गया।
> 1972 को पूर्व सोवियत संघ एवं भारत के मध्य एक समझौता हुआ जिसके तहत यह बात शामिल था कि भारत अपने निर्मित उपग्रहों का प्रक्षेपण सोवियत संघ से कर सकता है। इसी समझौते के तहत 19 अप्रैल, 1975 को प्रथम भारतीय उपग्रह “आर्यभट्ट” का प्रक्षेपण सोवियत संघ के बैकानूर अंतरिक्ष केन्द्र से किया गया। इसके बाद भारत लगातार अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विकास कार्य में प्रगति करता रहा।
>1980 में पूरी तरह भारत में निर्मित पहले उपग्रह रोहिणी का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा (आन्ध्र प्रदेश) से स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (SLV-3 ) से किया गया ।
> भारत में उपग्रह प्रौद्योगिकी के लिए दो प्रणाली का विकास किया गया- भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह ( Indian National Satellite-INSAT) प्रणाली एवं भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (Indian Remote Sensing Satellite-IRS) प्रणाली।
> 2 अप्रैल, 1984 को राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम भारतीय बने ।
> सितंबर 1997 को भारत ने PSLV-C1 से IRS-ID उपग्रह के साथ अपनी पहली उड़ान भरी।
> 2007 में भारत ने उपग्रह पुनर्प्रवेश प्रौद्योगिकी हासिल की।
> 22 अक्टूबर, 2008 को भारत ने PSLV-C11 से अपने चन्द्रयान-I का सफल प्रक्षेपण किया। जबकि 2011-12 में चन्द्रयान-II का प्रक्षेपण अभियान प्रस्तावित है।
अतः अभी तक के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम व्यापक हैं। इससे देश की प्रगति में काफी मदद मिली है। कृषि-क्षेत्र में IRS प्रणाली से अनेक फायदे हुए हैं। जैसे – बाढ़, सूखे का पूर्वानुमान, क्षति का आकलन, जल-प्रबंधन, भूमिगत जल की खोज, मत्स्य पालन आदि से संबंधित जानकारी उपलब्ध होते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने टेलीमेडिसिन तकनीक दी है जो दूर-दराज के क्षेत्रों में उच्च चिकित्सा लाभ के लिए फायदेमंद हैं। उसी प्रकार हमारी मौसम पूर्वानुमान पद्धति मजबूत है। अंतरिक्ष कार्यक्रम का सबसे ज्यादा फायदा हमारे सूचना प्रौद्योगिकी को मिला है। टेलीविजन एवं रेडियो का अभूतपूर्व विकास हुआ जो मनोरंजन के साथ ही ज्ञान-विज्ञान एवं सूचना के वृहत स्रोत हैं। मोबाइल फोन की प्रगति अभूतपूर्व है। इसी प्रकार यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी शिक्षा क्षेत्र में भी अपनी भूमिका निभा रहा है। अंतरिक्ष कार्यक्रम सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं एवं विभिन्न वैज्ञानिक उपग्रह नए अनुसंधान एवं खोजों में लगे हुए हैं। 2008 में भारत के चन्द्रयान-I ने पहली बार चांद पर पानी के साक्ष्य खोजने में सफलता पाई।
> 1962 में डॉ. विक्रम साराभाई की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना।
> भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) का पुनर्गठन करके 1969 में इसरो (ISRO) की स्थापना।
> भारत का पहला रॉकेट 1963 में ‘नाइक एपाश’ केरल के TERLS से प्रक्षेपित किया गया।
> 19 अप्रैल, 1975 को प्रथम भारतीय उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का प्रक्षेपण।
> 1980 में ‘रोहिणी-I’ का प्रक्षेपण।
> 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष जाने वाले प्रथम भारतीय बने ।
> 22 अक्टूबर, 2008 को भारत ने चन्द्रयान-I का सफल प्रक्षेपण किया।
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