राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के स्वरूप एवं उद्देश्यों का वर्णन करें। इससे भारत में | शिशु मृत्यु रोकने में कहां तक सफलता मिली है ?

राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के स्वरूप एवं उद्देश्यों का वर्णन करें। इससे भारत में | शिशु मृत्यु रोकने में कहां तक सफलता मिली है ?

(40वीं BPSC/1995)
उत्तर – भारत में शिशु मृत्यु दर एवं मातृत्व मृत्यु दर में प्रभावी रूप से कमी लाने के लिए समग्र राष्ट्रीय राजनीति के अंग के रूप में 1985 में राष्ट्रीय टीकाकरण मिशन प्रारंभ किया गया। इसके अंतर्गत शिशुओं को छः जानलेवा बीमारियों- गलघोंटू (डिप्थीरिया), काली खांसी, टिटनेस, क्षय रोग (T.B.), पोलियो, खसरा ( मीजल्स) से बचाव हेतु तथा गर्भवती महिलाओं को टिटनेस से बचाव हेतु टीकाकरण करने के उद्देश्य से व्यापक रोग प्रतिरक्षण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme) देश के चुने हुए 31 जिलों में चलाया गया। 1991 से ‘व्यापक रोग प्रतिरक्षण कार्यक्रम’ के तहत शत-प्रतिशत शिशुओं को प्रतिरक्षित करने का लक्ष्य रखा गया।
टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चे को 1 वर्ष का होने से पहले BCG का एक टीका, DPT का 3 टीका, पोलियो की 3 खुराक एवं खसरा का 1 टीका अवश्य दिया जाना चाहिए |
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में सुधार के लिए IDA समर्थित एक विशिष्ट परियोजना 31 जनवरी, 2001 को प्रारंभ की गई। इसके प्रमुख अंग निम्नवत् हैं
1. पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम
2. टीकाकरण सुविधाओं को मजबूत बनाना
3. कार्यक्रम का खाका तैयार करना ।
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से शिशु मृत्यु दर एवं अपरिपक्व मृत्यु दर में काफी कमी आई है। कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकतर राज्यों में पोलियो के मामले लगभग समाप्त हो गए हैं। बच्चों में चेचक, हैजा आदि बीमारियों पर लगभग नियंत्रण कर लिया गया है। टीकाकरण के कारण अन्य जानलेवा बीमारियों- डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, टी.बी. खसरा के मामलों में कमी आई है।
यद्यपि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम बहुत हद तक सफल रहा है परन्तु अभी भी कुछ राज्यों से पोलियो एवं अन्य बीमारियों की खबर आ रही है। इसका कारण जनसामान्य में जागरूकता की कमी है। कुछ समुदाय इसमें रुचि नहीं लेते जिससे पोलियो के कुछ मामले अभी भी सामने आ रहे हैं । यद्यपि कुछ क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी अथवा सरकारी स्तर पर दीले-ढाले रवैये के कारण भी ऐसे मामले आ रहे हैं ।
1985 में राष्ट्रीय टीकाकरण मिशन प्रारंभ | इसके अंतर्गत 6 बीमारियों हेतु टीकाकरण शुरू किया गया, जो निम्नवत् हैं –
> गलघोंटू (डिप्थीरिया), काली खांसी, टिटनेस, क्षय रोग (T.B.), पोलियो, खसरा
> 1997-98 में पोलियो के लिए पल्स पोलियो कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
> 1991 में व्यापक रोग प्रतिरक्षण कार्यक्रम प्रारंभ
> टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चे के 1 वर्ष का होने से पहले
• BCG – 1 टीका
• DPT- 3 टीका
• पोलियो – 3 खुराक
• खसरा- 1 टीका अवश्य दिया जाना चाहिए।
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