इन्टरनेट और कम्प्यूटर सिक्योरिटी (Internet and Computer Security)

इन्टरनेट और कम्प्यूटर सिक्योरिटी (Internet and Computer Security)

इन्टरनेट और कम्प्यूटर सिक्योरिटी (Internet and Computer Security)

इन्टरनेट कम्यूनिकेशन का एक महत्त्वपूर्ण व दक्ष माध्यम है, जिसने काफी लोकप्रियता अर्जित की है। इसका पूरा नाम इन्टरनेशनल नेटवर्क है, जिसे वर्ष 1950 में विंट कर्फ ने शुरू किया। इन्हें इन्टरनेट का पिता कहा जाता है इन्टरनेट ‘नेटवर्कों का नेटवर्क’ है, जिसमें लाखों निजी व सार्वजनिक, लोकल से ग्लोबल स्कोप वाला नेटवर्क होता हैं सामान्यत: “नेटवर्क दो या दो से अधिक कम्प्यूटर सिस्टमों को आपस में जोड़कर बनाया हुआ एक समूह है।”
इन्टरनेट के लाभ (Advantages of Internet) 
इन्टरनेट के लाभ निम्नलिखित है –
(i) दूसरे व्यक्तियों से आसानी से सम्पर्क बनाने की अनुमति देता है।
(ii) इसके माध्यम से दुनिया में कहीं भी, किसी से भी सम्पर्क बनाया जा सकता है।
(iii) इन्टरनेट पर डॉक्यूमेन्ट को प्रकाशित करने पर पेपर इत्यादि की बचत होती है।
(iv) यह कम्पनियों के लिए कीमती संसाधन है। जिस पर वे व्यापार का विज्ञापन तथा लेन-देन भी कर सकते हैं।
(v) एक ही जानकारी को कई बार एक्सेस करने के बाद उसे पुनः सर्च करने में कम समय लगता है।
इन्टरनेट की हानियाँ (Disadvantages of Internet) 
इन्टरनेट की हानियाँ निम्नलिखित है –
(i) कम्प्यूटर में वायरस के लिए यह सर्वाधिक उत्तरदायी है।
(ii) इन्टरनेट पर भेजे गए सन्देशों को आसानी से चुराया जा सकता है।
(iii) बहुत-सी जानकारी जाँची नहीं जाती। वह गलत या असंगत भी हो सकती है।
(iv) अनैच्छिक तथा अनुचित डॉक्यूमेन्ट / तत्व कभी-कभी गलत लोगों (आतंकवादी) द्वारा इस्तेमाल कर लिए जाते हैं।
(v) साइबर धोखेबाज क्रेडिट/डेबिट कार्ड की समस्त जानकारी को चुराकर उसे गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
इन्टरनेट कनेक्शन्स (Internet Connections)
बैण्डविड्थ व कीमत इन दो घटकों के आधार पर ही कौन से इन्टरनेट कनेक्शन को उपयोग में लाना है यह सर्वप्रथम निश्चित किया जाता है। इन्टरनेट की गति बैण्डविड्थ पर निर्भर करती है ।
(i) डायल-अप कनेक्शन (Dial-Up Counection) डायल-अप पूर्व उपस्थित टेलीफोन लाइन की सहायता से इन्टरनेट से जुड़ने का एक माध्यम है।
(ii) ब्रॉडबैण्ड कनेक्शन (Broadband Connection) ब्रॉडबैण्ड का इस्तेमाल हाई स्पीड इन्टरनेट एक्सेस के लिए सामान्य रूप से होता है। यह इन्टरनेट से जुड़ने के लिए टेलीफोन लाइनों को प्रयोग करता है। ब्रॉडबैण्ड उपयोगकर्ता को डायल-अप कनेक्शन से तीव्र गति पर इन्टरनेट से जुड़ने की सुविधा प्रदान करता है। ब्रॉडबैण्ड में विभिन्न प्रकार की हाई स्पीड संचरण तकनीकें भी सम्मिलित हैं, जोकि इस प्रकार हैं –
◆ डिजिटल सब्स्क्राइबर लाइन (Digital Subscriber Line – DSL)
◆ केबल मॉडम (Cable Modem )
◆ फाइबर ऑप्टिक (Fiber Optic)
◆ ब्रॉडबैण्ड ऑवर पावर लाइन (Broadband Over Power Line)
(iii) वायरलेस कनेक्शन (Wireless Connection) वायरलेस ब्रॉडबैण्ड ग्राहक के स्थान और सर्विस प्रोवाइडर के बीच रेडियो लिंक का प्रयोग कर घर या व्यापार इत्यादि को इन्टरनेट से जोड़ता है।
वायरलैस ब्रॉडबैण्ड स्थिर या चलायमान होता है। इसे केबल या मॉडम इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती व इसका प्रयोग हम किसी भी क्षेत्र में, जहाँ DSL व केबल इत्यादि नहीं पहुँच सकते, वहाँ करते हैं।
◆ वायरलैस फिडेलिटी (Wireless Fidelity- Wi-Fi)
◆ वर्ल्ड वाइड इण्टरऑपरेबिलिटी फॉर माइक्रोवेव एक्सेस (WiMAX-World Wide Interoperability for Microwave Access)
◆ मोबाइल वायरलेस ब्रॉडबैण्ड सर्विसेज (Mobile Wireless Broadband Services)
◆ सेटेलाइट (Satellite)
हाइपरलिंक और हाइपरटैक्स्ट (Hyperlink and Hyper Text)
हाइपरलिंक लेखक या वेब डिजाइनर वेब पेज में प्रस्तुत लेख में अतिरिक्त जानकारी युक्त शब्दों को स्क्रीन पर उभरा हुआ या रंगीन प्रदर्शित करता है, जिससे पाठक द्वारा क्लिक किए जाने पर लिंक हुई सामग्री पर प्रस्तुत हो जाए।
हाइपरटैक्स्ट एक सूचना प्रस्तुतिकरण की ऐसी प्रणाली है जिसमें इमेज टेक्स्ट, ध्वनि एवं क्रियाओं के परस्पर जुड़े हुए लिंक रहते हैं।
वायरलैस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल (Wireless Application Protocol)
वैप (WAP) ब्राउजर, मोबाइल डिवाइसों में प्रयोग होने वाले वेब ब्राउजर हैं। यह प्रोटोकॉल Web Browser को सेवाएँ प्रदान करता है।
इन्टरनेट टेलीफोनी या वॉयस ऑवर इन्टरनेट प्रोटोकॉल (Internet Telephony or Voice Over Internet Protocol)
संचरण माध्यम के रूप में, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का एक वर्ग लोगों को इन्टरनेट द्वारा टेलीफोन कॉल की सुविधा प्रदान करता है। इन्टरनेट टेलीफोनी सॉफ्टवेयर अनिवार्य रूप से दुनिया में कहीं भी फ्री टेलीफोन कॉल प्रदान करता है। कभी-कभी इन्टरनेट टेलीफोनी प्रोडक्ट्स को IP टेलीफोनी, वॉयस ओवर इन्टरनेट (VOI) या वॉयस ओवर IP (VOIP) प्रोडक्ट्स कहा जाता हैं।
इन्टरनेट प्रोटोकॉल वर्जन 6 ( Internet Protocol Version 6)
इन्टरनेट प्रोटोकॉल-6, इन्टरनेट प्रोटोकॉल-4 का नया संशोधित रूप है जो डेटा को तेजी से भेजने में सक्षम है। इसकी खोज जनसंख्या डेटा को तीव्रता से भेजने के लिए की गई है।
इन्टरनेट से सम्बन्धित जानकारी (Internet Related Terms)
इन्टरनेट से सम्बन्धित जानकारी इस प्रकार है –
वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) विशेष रुप से हाइपरटेक्स्ट डॉक्यूमेन्टस का समर्थन करने वाले इन्टरनेट सर्वर की एक प्रणाली है। इसे 13 मार्च 1989 को पेश किया गया था।
वेब पेज (Web Page) वेब बहुत सारे कम्प्यूटर डॉक्यूमेन्टों या वेब पेजों का संग्रह है। ये डॉक्यूमेण्टस HTML में लिखे जाते हैं तथा वेब ब्राउजर द्वारा प्रदर्शित किए जाते है। ये दो प्रकार के होते हैं- स्टैटिक (Static) तथा डायनेमिक (Dynamic) ।
वेबसाइट (Website) एक वेबसाइट वेब पेजों का संग्रह होता है, जिसमें सभी वेब पेज हाइपरलिंक द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। किसी भी वेबसाइट का पहला पेज होम पेज कहलाता है। उदाहरण- Http://iete.org इत्यादि।
वेब ब्राउजर (Web Browser) वेब ब्राउजर एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है, जिसका प्रयोग वर्ल्ड वाइड वेब के कन्टेन्ट को ढूँढने, निकालने व प्रदर्शित करने में होता है जैसे नेटस्केप, इन्टरनेट एक्स्प्लोरेर, गूगल क्रोम, आदि।
वेब सर्वर (Web Server) यह एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है, जोकि HTML पेजों या फाइलों की जरूरतों को पूरा करता है।
वेब एड्रेस या यू आर एल (Web Address or URL) इन्टरनेट पर वेब एड्रेस किसी विशिष्ट वेब पेज की लोकेशन को पहचानता है। वेब एड्रेस को URL (Uniform Resource Locater) भी कहते हैं | URL इन्टरनेट से जुड़े होस्ट कम्प्यूटर पर फाइलों के इन्टरनेट एड्रेस को दर्शाता हैं। टिम बर्नर्स ली ( Tim Berners Lee) ने वर्ष 1991 में पहला URL बनाया, जोकि वर्ल्ड वाइड वेब पर हाइपरलिंक्स को प्रकाशित करने में इस्तेमाल होता है।
डोमेन नेम (Domain Name) डोमेन नेटवर्क संसाधनों का एक समूह है, जिससे उपयोगकर्ता के समूह को आवण्टित किया जाता है। डोमेन नेम इन्टरनेट पर जुड़े हुए कम्प्यूटरों को पहचानने व लोकेट करने के काम में आता है।
वेब सर्च इंजन (Web Search Engine)
सर्च इंजन इन्टरनेट पर किसी भी विषय के बारे में सम्बन्धित जानकारियों के लिए प्रयोग होता है। जो वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) द्वारा बनाया गया है।
◆ गूगल (Google) सर्वाधिक लोकप्रिय सर्च इंजन है। यह सर्च किए जाने वाले शब्दों को एक्सेप्ट कर उन्हें अपने इण्डेक्स डेटाबेस में सर्च करता है तथा परिणाम के रूप में URLs की एक सूची रिटर्न करता है। गूगल निम्नलिखित सर्विस भी प्रदान करता है
◆ गूगल प्लस (Google + ) सोशल नेटवर्किंग के क्षेत्र में गूगल का नवीनतम प्रयास है। गूगल प्लस वर्तमान में इनविटेशन-ओनली (आमन्त्रण मात्र) सेवा है, जिसकी अधिकांश खूबियाँ फेसबुक जैसी हैं।
◆ गूगल अर्थ (Google Earth) एक वर्चुअल ग्लोब मानचित्र तथा भौगोलिक सूचना प्रोग्राम है, जोकि मूल रूप से अर्थ वीवर 3D कहलाता था और इसका निर्माण कीहोल इंक (Keyhole-Inc) नामक कम्पनी ने किया था, जिसे गूगल ने वर्ष 2004 में अधिगृहित कर लिया था।
◆ जीमेल (Gmail) गूगल द्वारा प्रदत्त एक निःशुल्क ई-मेल सेवा है, जो अपनी कई विशिष्ट खूबियों के कारण अत्यन्त लोकप्रिय है।
◆ यू ट्यूब (You Tube) यू ट्यूब पर प्रति मिनट 36 घण्टे अवधि के विडियो अपलोड होते हैं। यह वीडियों शेयररिंग वेबसाइट ग्लोबल सर्च अग्रणी गूगल इन्कॉर्पोरेशन के अधीन आती है। यह वेबसाइट हिन्दी फिल्मों को ऑनलाइन लाने के प्रयास में जुटी है।
◆ याहू (Yahoo) यह विभिन्न विषयों की सूची को श्रेणीबद्ध रूप में बनाए रखता हैं और आपको वांछित इनफॉर्मेशन को खोजने के लिए किसी भी श्रेणी को सेलेक्ट करने की सुविधा देता है।
अन्य सर्च इंजन (Other Search Engines )
◆ लाइकॉस (Lycos) यह सभी वेबसाइट्स के प्रत्येक पेज के महत्त्वपूर्ण शब्दों की सूची को बनाए रखता है।
◆ अल्टाविस्टा (Altavista) यह आपको किसी भी भाषा में बाधित इन्फॉर्मेशन को सर्च करने की सुविधा देता है।
◆ हॉट बॉट (Hot Bot) इसका प्रयोग विशेष रूप से मल्टीमीडिया फाइलों को सर्च करने तथा भौगोलिक आधार पर वेबसाइट्स को तलाशने के लिए किया जाता है।
◆ बिंग (Bing) यह एक ऐसा सर्च इंजन है जो माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन द्वारा बनाया गया है।
इन्टरनेट सेवाएँ (Internet Services)
इन्टरनेट से उपयोगकर्ता कई प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक मेल, मल्टीमीडिया डिस्ले, शॉपिंग, रियल टाइम ब्रॉडकास्टिंग, इत्यादि ।
इनमें में कुछ महत्त्वपूर्ण सेवाएँ इस प्रकार हैं-
चैटिंग (Chatting) यह वृहत स्तर पर भी उपयोग होने वाली टेक्स्ट आधारित संचारण है, जिससे इन्टरनेट पर आपस में बातचीत कर सकते हैं।
ई-मेल (E-mail) ई-मेल के माध्यम से कोई भी उपयोगकर्ता किसी भी अन्य व्यक्ति को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सन्देश भेज सकता है तथा प्राप्त भी कर सकता है।
वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग (Video Conferencing) वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी अन्य व्यक्ति या समूह के साथ दूर होते हुए भी आमने-सामने वार्तालाप कर सकते हैं। इस कम्यूनिकेशन में उच्च गति इन्टरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है व इसके साथ एक कैमरे, एक माइक्रोफोन, एक विडियो स्क्रीन तथा एक साउण्ड सिस्टम की भी जरूरत होती है।
सोशल नेटवर्किंग (Social Networking) 
सोशल नेटवर्किंग ऐसी वेबसाइट्स होती है, जहाँ दो या दो से अधिक व्यक्ति एक-दूसरे के साथ विभिन्न तरह की सूचनाएँ एवं विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
कुछ प्रमुख नेटवर्किंग वेबसाइटें निम्नलिखित हैं—
◆ फेसबुक (Facebook) यह दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट है, जोकि फरवरी, 2004 में लॉन्च की गई। वर्तमान में इसके एक अरब से अधिक सक्रिय यूजर हैं। फेसबुक की स्थापना मार्क जुकेरबर्ग एवं उनके मित्रों ने की थी ।
◆ लिंकड इन (Linkedin) यह पेशेवर व्यवसाय के लोगों के लिए एक सामाजिक नेटवर्किंग वेवसाइट है।
◆ मायस्पेस (Myspace) यह एक विशिष्ट प्रकार की सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है जो मीडिया LLC तथा पॉप संगीतकार और नाटककार जस्टिन टिम्बर लेक के अधीन है।
◆ ट्विटर (Twitter) की स्थापना 21 मार्च 2006 को की गई थी। इस सोशल नेटवर्किंग साइट् का उपयोगकर्ता केवल 140 शब्दों में अपने संदेश को सम्प्रेषित कर सकते हैं, जिसे टूवीट्स (Tweets) कहते हैं। वर्तमान में इस सोशल नेटवर्किंग साइट्स के उपयोगकर्ताओं की संख्या पूरे विश्व में लगभग 500 मिलियन है।
◆ टम्बलर (Tumbler) डेविस कार्प ने वर्ष 2007 में टम्बलर (Tumbler) की स्थापना की थी। यह ब्लॉगिंग साइट सोशल नेटवर्किंग की सुविधा भी देती है। इसके 10 करोड़ से अधिक बलॉग हैं।
साइबर क्राइम (Cyber Crime )
कम्प्यूटर एवं इससे सम्बन्धित नेटवर्क से संलग्न किसी भी प्रकार के अपराध को साइबर क्राइम कहते हैं, इसके अन्तर्गत अपराध को एक वृहद लक्ष्य के रूप में अपनाया जा सकता है। इसमें अपराध करने हेतु इन्टरनेट का प्रयोग किया जाता है।
साइबर अपराध को उस अपराध के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो किसी व्यक्ति विशेष या समूह के विरुद्ध उसे मानसिक या शारीरिक क्षति पहुँचाने हेतु किया जाता है। इस तरह के अपराध को इन्टरनेट का प्रयोग करके चैटिंग, ई-मेल, एस एम एस, एम एम एस आदि के माध्यम से सम्पन्न किया जाता है।
साइबर क्राइम में अपराधिक क्रियाएँ जैसे चोरी, धोखाधड़ी जालसाजी, मानहानि, नुकसान, आदि सभी भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के अधीन हैं।
हम साइबर क्राइम को दो भागों में बाँट सकते हैं
√ एक लक्ष्य के रूप में कम्प्यूटर; एक कम्प्यूटर का उपयोग अन्य कम्प्यूटरों पर हमला करने के लिए जैसे कि हैकिंग, वायरस / वार्म, आदि ।
√ एक हथियार के रूप में कम्प्यूटर; असली दुनिया में अपराध के लिए कम्प्यूटर का उपयोग जैसे साइबर आतकंवाद, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, आदि ।
इन्टरनेट टेलीविजन (Internet Television)
यह एक टेलीविजन सेवा है, जो आई पी टी वी का उपयोग कर इन्टरनेट के माध्यम से वितरित की गई है। इन्टरनेट टी वी उपयोगकर्ताओं को कार्यक्रम अभिलेखागार अथवा चैनल निर्देशिका से उस कार्यक्रम के चयन की अनुमति देता है, जो कार्यक्रम अथवा टी वी शो देखना चाहते हैं ।
इन्टरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन (Internet Protocol Television)
आई पी टी वी एक प्रणाली है, जिसके द्वारा इन्टरनेट टेलीविजन सेवाएँ इन्टरनेट प्रोटोकॉल साइट के नेटवर्किंग तरीकों/ढाँचों/प्रारूपों एवं वास्तुकला का प्रयोग कर लोगों को उपलब्ध कराई गई हैं। आई पी टी वी सेवाओं को मुख्य तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
◆ लाइव टेलीविजन ( Live Television )
◆ समय स्थानान्तरित टेलीविजन (Time-Shifted Televison)
◆ माँग पर वीडिया (Video on Demand)
थ्री-डायमेन्शनल ( 3D) टेलीविजन
यह एक ऐसा टेलीविजन सेट है, जो त्रिआयामी प्रस्तुति की तकनीकों का अपने में समाहित किए होता है; जैसे स्टीरियो स्कोपिक कैप्चर, मल्टीन्यूकैप्चर अथवा 2D प्लस डेप्थ और एक त्रिआयामी डिस्प्ले, जो एक विशेष दृश्य उपकरण है, जो टेलीविजन कार्यक्रम को वास्तविक त्रिआयामी क्षेत्र के साथ पेश करता है।
सूचना प्रोद्योगिकी (Information Technology)
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग ने एक ज्ञान के रूप में अपनी पहचान हासिल की है। आई टी का क्षेत्र भारत में बहुत अच्छे से जाना जाता है। डेटा सूचना एवं डेटा संसाधन आदि सभी कम्प्यूटर से सम्बन्धित विभिन्न पद हैं, जो सूचना प्रोद्योगिकी के मजबूत आधार स्तम्भ माने जाते हैं।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (National Informatics Centre)
यह भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख संगठन है। देश में केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों को तथा अन्य शासकीय निकायों को कम्प्यूटर और नेटवर्किंग सहायता देने वाला, यह देश का अकेला संस्थान है। NIC ने वेब एनेबल्ड सिस्टम, ई-कोर्ट लेखांकन, ग्रामीण सूचना पंचायती राज का कम्प्यूटरीकरण, ई-खरीद, उपयोगी नक्शे बनाने, भौगोलिक सूचनाएँ आदि क्षेत्रों में अनेक राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम सफलतापूर्वक चलाए हैं।
जैव प्रोद्यौगिकी सूचना प्रणाली नेटवर्क (Bio-Technology Information System Network-BTISN)
इसकी स्थापना भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने नेटवर्क संगठन और डाटाबेस के तौर पर की थी। नई दिल्ली में स्थापित इनका शीर्ष केन्द्र बीटिसनेट इन गतिविधियों में तालमेल कायम करता है। यह नेटवर्क बायोटेक्नोलॉजी के अन्तर विषयक विभिन्न पहलुओं पर समन्वित सूचना संसाधन उपलब्ध कराता है। ये सुविधाएँ निकनेट के जरिए उपलब्ध कराई जाती हैं।
एन आई सी नेटवर्क (NIC Network-NICNET)
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (National Informatics Centre) ने उपग्रह पर आधारित निकनेट नामक राष्ट्रव्यापी कम्प्यूटर संचार नेटवर्क स्थापित किया है। निकनेट के 1400 से अधिक केन्द्रों (नोड्स) के माध्यम से देश की राजधानी नई दिल्ली को सभी राज्यों की राजधानियों तथा जिला मुख्यालयों से जोड़ा है। यह लेह से अण्डमान निकोबार द्वीप समूह तक अपना जाल बिछाकर राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्रोतों से सूचनाएँ उपलब्ध करा रहा है। निकनेट, 1988 से पूर्णतः कार्य कर रहा है और देश में इसे वी-सैट के उपयोग के योग्य बनाया गया है।
सॉफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्कस ऑफ इण्डिया (Software Technology Parks of India-STPI)
वर्ष 1991 में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अन्तर्गत भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (Software Technology Park of India-STPI) को एक स्वायत्त संस्था के रूप में स्थापित किया गया। एस टी पी आई का मुख्य उद्देश्य देश के सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देना है। यह सांविधिक सेवाएँ, आँकड़ा, संचार सेवाएँ, निर्माणाधीन सुविधाएँ, प्रशिक्षण तथा मूल्य संवर्द्धन जैसी सेवाएँ प्रदान करता है।
नेशनल ई-गवर्नेस योजना (National e-Governance Plan – NeGP)
प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने मिलकर सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम की प्राथमिकताओं के आधार पर एन ई जी पी का निर्माण किया, जिसका उद्देश्य आम आदमी की जरूरत के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर ई-गवर्नेस को बढ़ावा देना है।
◆ ई-लर्निंग (E-learning) इसके अन्तर्गत कम्प्यूटर आधारित प्रशिक्षण, ऑनलाइन शिक्षा, इत्यादि सम्मिलित हैं जिसमें उपयोगकर्ता को किसी विषय पर आधारित जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रदान जाता है।
◆ ई-गवर्नमेंट (E-Government) यह इलेक्ट्रॉनिक सरकार (Government) के लिए अभी कम ही विकसित हुआ है। इन्टरनेट पर उपलब्ध सरकारी सेवाओं के प्रावधान ई-सरकार के रूप में जाने जाते है।
◆ ई-पार्लियामेण्ट (E-Parliament) ग्लोबल ई-पार्लियामेण्ट के तहत विभिन्न देशों की संसदों के सदस्य एक-दूसरे से इलेक्ट्रॉनिक सम्पर्क कायम कर सकेंगे और विश्वव्यापी मुद्दों से बेहतर ढंग से निपट सकेंगे।
सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (Information and Library Network-INFLIBNET)
इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तहत एक स्वतन्त्र और स्वायत्त अन्तर विश्वविद्यालय बना दिया गया है। भारत में अनुसन्धानकर्ताओं और शिक्षाविदों के बीच विद्वतापूर्ण संचार को बढ़ावा देने में इनफ्लिबनेट की भूमिका है।
डिजिटल पुस्तकालय ( Digital Library)
भविष्य में ज्ञान नेटवर्क इस प्रकार कार्य करेंगे कि समुदायों को जानकारी स्वतः ही सूचनाबद्ध हो जाएगी, ताकि उपभोक्ता करोड़ों की तादाद के विभिन्न गठजोड़ों का प्रभावी रूप से विश्लेषण कर सके। इस दिशा में उठाई गई मुख्य पहल यूनीवर्सल डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना है, जिसका उद्देश्य इन्टरनेट पर 10 लाख पुस्तकों (अधिकतर अंग्रेजी में) को सभी के पढ़ने के लिए उपलब्ध कराना है।
मल्टीमीडिया (Multimedia )
मल्टीमीडिया एक बहुआयामी सूचना प्रौद्योगिकी है। जहाँ मल्टीमीडिया का अर्थ दो से अधिक माध्यमों को आपस में मिलाना है वहीं यह एक ऐसी तकनीकी अवधारणा है, जो एक ही संयोजित सी डी-रोम (CD-ROM) में लिपि, स्वर, संगीत, रेखांकन, चित्र, चलचित्र और एनीमेशन को एक साथ लाती है।
फजी लॉजिक (Fuzzy logic )
अपूर्ण सूचना के आधार पर अनेक मान अथवा बहुत सम्भाव्यता वाला तर्क ‘फज्जी लॉजिक’ कहलाता है। इसका कार्यान्वयन कम्प्यूटर प्रणाली के माध्यम से ही होता है। इसका सम्बन्ध कृत्रिम बुद्धि से भी है, क्योंकि मनुष्य अस्पष्ट परिस्थितियों में अपूर्ण जानकारी के आधार पर निर्णय करने की क्षमता रखता है।
आभासी विश्वसनीयता (Virtual Reality)
आभासी विश्वसनीयता का तात्पर्य एक कम्प्यूटर सिम्युलेटेड वातावरण है। वर्चुअल रियलिटी किसी व्यक्ति को कम्प्यूटर की मदद से तैयार त्रिआयामी (3D) छवियों की दुनिया में ले जाती है। वर्चुअल रियलिटी अन्य कम्प्यूटर ग्राफिकों से भिन्न है।
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता संगणक विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जोकि यन्त्रों के बौद्धिक कुशल संचालन, शिक्षण तथा रूपान्तरण का अध्ययन करती है। यह बौद्धिक व्यवहार हेतु अपेक्षित कार्यों को स्वचालित करने के लिए यन्त्रों को उत्पादित / निर्मित करने के कार्य से सम्बन्धित है।
रोबोटिक्स (Robotics)
रोबोटिक्स तकनीक की वह शाखा है, जोकि रोबोट तथा कम्प्यूटर प्रणाली के नियन्त्रण, संवेदी पुर्नानवेशन तथा सूचना प्रक्रमण हेतु उनके अभिकल्प, निर्माण, संक्रिया कार्य प्रणाली, संरचनात्मक विन्यास, उत्पादन तथा अनुप्रयोग की व्याख्या करती है। पूर्ण स्वचालित रोबोट 20वीं शताब्दी के मध्य में प्रस्तुत हो पाए।
रोबोट (Robot)
रोबोट एक ऐसी प्रणाली है जो सेंसर, नियंत्रण प्रणाली, ऑपरेटर, बिजली की आपूर्ति और अन्य सॉफ्टवेयर के सब कार्य एक साथ करने की क्षमता रखती है।
महत्त्वपूर्ण रोबोट और उनके कार्य (Important Robot and their Functions)
◆ एडवांस स्टेपस इन इनोवेशन मोबिलिटी (AEIMO) यह होंडा द्वारा बनाया गया मानवीय रोबोट है। यह लोगों के लिए एक सहायक के रूप में बनाया गया था।
◆ फेमी सेपीएन (Femisapien) यह एक महिला मानवीय रोबोट है। यह ध्वनि का जवाब, स्पर्श, गति का क्रम आदि आसानी से कर सकता है।
◆ एचआरपी- 2M करोमेट (HRP-2M Choromet) यह आर्ट-लाइनक्स (Art-Linux) पर कार्य करता है जो कि हार्ड रीयल टाइम आपरेटिंग सिस्टम है जिसे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांसड इंडस्ट्रिल (जापान) में बनाया गया।
◆ आइ बी एन सिना रोबोट (Ibn Sina Robot) यह संसार का पहला एन्ड्रॉइड (Android) रोबोट है जिसमें अरेबिक भाषा में वार्तालाप करने का गुण पाया जाता है।
◆ स्वार्म रोबोटिक्स (Swarm Robotics) यह मल्टीपल – रोबोट (Multiple-Robot) सिस्टम से मिलकर बना है। इसमें एक से अधिक प्राकृतिक रोबोट जुडे हुए होते है।
कम्प्यूटर सिक्योरिटी के लिए खतरा : मालवेयर (Threates to Computer Security : Malware)
मालवेयर का अर्थ है द्वेषपूर्ण (दुष्ट) सॉफ्टवेयर (Malicious Software)। ये उस प्रकार के प्रोग्रामों का सम्मिलित रूप हैं, जिनका प्रमुख कार्य होता है कम्प्यूटर को हानि पहुँचाना जैसे वायरस, वामर्स, स्पाईवेयर, इत्यादि। इनमें से कुछ प्रमुख तत्त्वों का विवरण इस प्रकार है
वायरस (Virus)
वायरस वो प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ये पी सी पर कण्ट्रोल हासिल करके उनसे असामान्य व विनाशकारी कार्यों को करवाते हैं।
वायरस स्वतः ही अपने आप को सिस्टम में कॉपी कर लेते हैं व आगे संक्रमण हेतु अन्य प्रोग्रामों के साथ स्वतः ही जुड़ जाते हैं। वायरस कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के किसी भी हिस्से; जैसे कि बूट ब्लॉक, ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम एरिया, फाइल्स, अन्य एप्लीकेशन प्रोग्राम, इत्यादि को क्षति पहुँचा सकते हैं।
कुछ सामान्य वायरसों के प्रकार निम्नलिखित हैं
(i) रेजिडेंट वायरस (Resident Virus)
(ii) डायरेक्ट एक्शन वायरस (Direct Action Virus)
(iii) ओवर राइट वायरस (Over Right Virus)
(iv) बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus)
(v) मैक्रो वायरस (Macro Virus)
वॉर्मस (Worms)
कम्प्यूटर वॉर्म एक अकेला ऐसा मालवेयर प्रोग्राम है, जोकि दूसरे कम्प्यूटरों में अपने आप को फैलाने के लिए कॉपी करता हैं। वॉर्मस को ढूँढ पाना अत्यन्त कठिन है, क्योंकि ये अदृश्य फाइलों के रूप में होते हैं। ये कम्प्यूटर नेटवर्क में बैण्डविड्थ को नष्ट करके भी क्षति पहुँचाते हैं। उदाहरण Bagle, I love you, Morris, Nimda, आदि ।
ट्रॉजन (Trojans)
ट्रॉजन या ट्रॉजन हॉर्स (Trojan Horse) एक प्रकार का नॉन-शेल्फ रेपलिकेटिंग मालवेयर है। जोकि किसी भी इच्छित कार्य को पूरा करते हुए प्रतीत होता है पर ये उपयोगकर्ता के कम्प्यूटर सिस्टम पर अनाधिकृत उपयोग (Unauthorized Access) की सुविधा प्रदान करता है। ये सॉफ्टवेयर इंटरनेट चालित ऐप्लिकेशनों द्वारा टारगेट कम्प्यूटरों तक पहुँच सकते हैं। उदाहरण Beast, Sub 7. Zeus, Zero Access Rootkit, आदि।
स्पाईवेयर (Spyware)
यह प्रोग्राम किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम पर इन्स्टाल्ड होता है, जोकि सिस्टम के मालिक की सभी गतिविधियों की निगरानी तथा गलत तरीके से आगे प्रयोग होने वाली सभी जानकारियों को एकत्रित करता है। इनका प्रयोग हम कानूनी या गैरकानूनी उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं। स्पाईवेयर व्यक्तिगत सूचनाओं को दूसरे व्यक्ति के कम्प्यूटर पर इंटरनेट के माध्यम से संचरित कर सकते हैं। उदाहरण Cool Web Search, Zango, Keyloggers, Zlob Trojan, आदि।
हैकिंग (Hacking)
नेटवर्क से जुड़े कम्प्यूटर में घुसपैठ करने की प्रक्रिया को हैकिंग कहते हैं। हैकिंग DoS (Denial of-Service) अटैक का परिणाम भी हो सकता है। यह कम्प्यूटर के सभी संसाधनों को वैध यूजरों द्वारा इस्तेमाल करने से दूर रखती है। इस प्रक्रिया को अन्तिम चरण तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को हैकर कहते हैं।
क्रैकिंग (Cracking)
यह कम्प्यूटर में किसी भी प्रकार के सॉफ्टवेयर या उनके घटकों को तोड़ने की प्रक्रिया है। इसमें पासवर्ड क्रैकर, ट्रोजन्स, वायरसेज, वार डायलर, इत्यादि सम्मिलित हैं।
एण्टीवायरस सॉफ्टवेयर (Antivirus Software)
ये उस प्रकार के सॉफ्टवेयर होते हैं, जिनका प्रयोग कम्प्यूटर को वायरस, स्पाईवेयर, वॉर्मस, ट्रोजन, इत्यादि से बचाना होता है। इसमें वे प्रोग्राम भी सम्मिलित होते हैं, जिनका कार्य वायरस या अन्य मालवेयर को ढूँढकर खत्म करना होता है। Avast, Avg, Kaspersky, Symantec, Norton, Mcfee, आदि लोकप्रिय एण्टीवायरस सॉफ्टवेयर हैं।
फायरवॉल (Firewall)
फायरवॉल या तो सॉफ्टवेयर या फिर हार्डवेयर आधारित हो सकता है, जोकि नेटवर्क को सुरक्षित रखने में सहायताप्रद होता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य इनकमिंग तथा आउटगोइंग नेटवर्क ट्रैफिक को, डेटा पैकेट्स विश्लेषण द्वारा नियन्त्रित करना है।
फायरवॉल में प्रॉक्सी सर्वर के साथ कार्य करना या सम्मिलित होना भी उल्लेखनीय है, ताकि वह नेटवर्क की सभी जरूरतों को वर्कस्टेशन यूजर्स के लिए पूरा कर सके ।
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Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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