ई-शासन से आप क्या समझते हैं? ई-शासन को लागू करने में बिहार की स्थिति का वर्णन कीजिए।

ई-शासन से आप क्या समझते हैं? ई-शासन को लागू करने में बिहार की स्थिति का वर्णन कीजिए।

उत्तर- ” ई-शासन अखंड पहुंच, अंतर्विभागीय अवरोधों को पार करने वाले सुरक्षित और प्रामाणिक सूचना प्रवाह तथा नागरिकों को निष्पक्ष और पूर्वाग्रहरहित सेवा प्रदान करने वाला पारदर्शी, स्मार्ट शासन है ”  – ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
ई-शासन सरकार और नागरिकों के बीच सघन संपर्क – संवाद उपलब्ध कराता है। आज प्रायः दुनिया में हर दिन नये तकनीकी आधारित कार्य शैलियों में परिवर्तन हो रहा है। वर्तमान की वैश्विक महामारी (कोविड-19) ने तो पूरी दुनिया को ई-तकनीक के सहारे चलने पर विवश कर दिया है। ऐसे में बिहार भी विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान एवं तकनीक के साथ कदमताल मिलाकर चलने का हरसंभव प्रयास कर रहा है। इस प्रकार ई-शासन मूल रूप से स्मार्ट (SMART) गवर्नेस की तरफ एक प्रयास है जिससे शासन में सरलता, नैतिकता, जवाबदेही, उत्तरदायित्व और हर तरह से पारदर्शी शासन बनाने में सहायता मिलती है। भारत में ई-शासन योजना की शुरुआत 2006 में हो गई थी।
SMART शासन से तात्पर्य
> सरल (Simple) – सरकारी नियमों तथा विनियमों का सरलीकरण ।
> नैतिक (Moral)- सरकार तथा शासन के अंगों में नैतिकता के माध्यम से निर्णय निर्माण ।
>  जवाबदेह (Accountable)- सरकारी राजनेता तथा अधिकारियों की जवाबदेही तथा प्रभावी सूचना प्रबंधन प्रणाली और अन्य प्रदर्शन माप तंत्र विकसित करना ।
> उत्तरदायी (Responsive) – सभी सरकारी सेवाओं को सू-व्यवस्थीत कर प्रक्रियाओं को गति देना जिससे शासन को जनता की आवश्यकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाया जा सके।
> पारदर्शी शासन (Transparent) – वेबसाइटों या विभिन्न पोर्टल्स पर सार्वजनिक रूप से जानकारी प्रदान करना जिससे शासन में पारदर्शीता को बनाया जा सके।
> ई-शासन को लागू करने में बिहार की स्थिति
बिहार प्राचीन काल से ही विज्ञान एवं तकनीक के कई क्षेत्रों में आगे रहा है। वर्तमान परिदृश्य में प्रशासनिक सुधारों की कुंजी अर्थात ई-प्रशासन के क्षेत्र में भी बिहार काफी सराहनीय कार्य किया है। बिहार के कई पंचायत एवं गांव सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर ई-शासन की दिशा में एक नया आयाम को जोड़ा है। कई पंचायतें अब हाईटेक हो गई हैं। कई पंचायतों की सभी प्रकार की जानकारियां अब वेबसाइट पर उपलब्ध होने लगी हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास
का नया आयाम स्थापित करता हुआ बिहार ने फरवरी 2014 में ई-बिहार समिट का आयोजन किया था, जिसमें ग्रामीण विकास एवं प्रशासनिक सुधार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं को संचालित किया गया था। इसके परिणामस्वरूप 2017 में बिहार के कृषि विभाग ने ई-गवर्नेन्स प्रोग्राम के तहत संचालित ‘ई-एग्रीकल्चर स्कीम मोनिटरिंग इंफोरमेशन सिस्टम’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया था। उल्लेखनीय है कि जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे ई-शासन सेवाओं का दायरा और गहराई में तेजी से विस्तार हो रहा है। इस प्रकार ई-शासन के क्षेत्र में बिहार ने कई आयाम गढ़ा है, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण निम्नवत हैं
बिहार आधार ऑथेंटिकेशन फ्रेमवर्क (बाफ ): यह एक अम्ब्रेला फ्रेमवर्क है जो निवासियों की पहचान को सुरक्षित और तेजी से इलेक्ट्रॉनिक आधार पर प्रमाणित करने के लिए आधार आधारित सारी लेनदेन को सक्षम बनाता है जिससे सेवा अदायगी अधिक प्रभी और कुशल बनाती है।
बिहार जन शिकायत निवारण प्रणाली: बिहार जन शिकायत निवारण प्रणाली के तहत जनता के दरबार में मुख्यमंत्री में कार्यक्रम में आये आवेदनों को निष्पादित करने में सहूलियत हुई है। इससे विभिन्न विभागों एवं जिला प्रशासन से जुड़े आवेदनों को निष्पादित समय पर कराने में सहायता मिली है। उल्लेखनीय है कि यह प्रणाली वेब आधारित एक कंप्यूटरीकृत जन शिकायत निवारण प्रणाली है।
ई-शक्ति परियोजना: ई-शक्ति परियोजना के माध्यम से मनरेगा परियोजना में पारदर्शिता आयी है। उल्लेखनीय है कि यह प्रणाली वायोमेट्रिक आधारित एक सत्यापन प्रणाली है, जिसके द्वारा मजदूरी भुगतान की प्रणाली में सुधार किया गया है।
ई-प्रीजन: यह 2017-18 में शुरू की गई क्लाउड आधारित ई-शासन परियोजना है जिसमें कारा और कारा प्रबंधन से संबंधित सारे क्रियाकलापों को समेकित कर दिया गया है। यह कारा अधिकारियों और आपराधिक न्याय प्रणाली से जुड़ी अन्य हस्तियों को वास्तविक समय की स्थिति में बंदियों के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराती है। यह ऑनलाइन अनुरोध और शिकायत निवारण में भी सहायता करती है।
जानकारी कॉल सेंटर: जानकारी कॉल सेंटर के माध्यम से बिहार सरकार ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आम जनता को सूचना उपलब्ध कराने का एक अभिनव प्रयोग की है। इसके तहत आइसीटी का उपयोग कर आम नागरिक को सहज रूप से जानकारी दी जाती है। उल्लेखनीय है कि देश में अपने आप में इस अनोखी योजना के लिए बिहार को वर्ष 2008-09 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेस पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। इसके तहत किसी भी कार्यालय आदि की सूचना आसानी से पा सकते हैं।
ई-डिस्ट्रिक्ट योजना : ई-डिस्ट्रिक्ट योजना के तहत सॉफ्टवेयर के माध्यम से लोक सेवाओं को एक ही जगह निष्पादित करने का काम किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि यह योजना केंद्र सरकार द्वारा पहले पायलट परियोजना के रूप में राज्य के चार जिलों (गया, औरंगाबाद, मधुबनी और नवादा) में लागू किया गया, जिसे सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। इस योजना को पूरे राज्य में लागू हो जाने से लोग कागज के इस्तेमाल किये बिना अर्थात इंटरनेट के माध्यम से अपनी समस्याओं से संबंधित आवेदन दे सकेंगे तथा प्रशासन भी इंटरनेट के माध्यम से मंजूरी प्रदान कर उस पर कार्रवाई करेगी।
बिहार के कई गांव ई-गांव बनने की राह पर हैं। बिहार का पहला ई-ग्राम का दरजा नवादा जिले के नरहट प्रखंड के खनवा गांव को मिला है। यह बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह का गांव है। यहां के सभी लोग सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। इस गांव की हर गतिविधि गांव के वेबसाइट पर उपलब्ध है। जब चाहें, देख सकते हैं। इस तरह खनवा गांव वर्तमान में विश्व से जुड़ गया है और वहां के सभी लोग ग्लोबल हो गये हैं।
बिहार लोक सेवा के अधिकार : बिहार लोक सेवा के अधिकार के तहत 15 से अधिक सेवाओं को शामिल कर निष्पादन का समय निश्चित किया गया है। इसके जरिये आम नागरिकों को एकल खिड़की के माध्यम से कई सेवाओं का लाभ प्रदान किया जा रहा है। यह प्रशासनिक सुधार एवं पारदर्शिता का एक उत्तम माध्यम बन कर लोगों के बीच चर्चित है।
वैट मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम : सुविधा योजना के तहत वैट मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर व्यावसायियों को ऑनलाइन सेवा प्रदान किया जा रहा है। इसके तहत तत्काल रोड परमिट, ई-रिटर्न एवं ई-भुगतान आदि का ऑनलाइन सेवा प्रदान किया जा रहा है।
बिहार स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क: बिहार स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क अर्थात विस्वान से सभी 38 जिलों एवं 495 प्रखंडों को जोड़ा गया है। इसके तहत डीएचक्यू एवं बीएचक्यू स्तर के सभी सरकारी कार्यालयों में वॉयस, वीडियो एवं डाटा के आदान-प्रदान करने हेतु नेटवर्क कनेक्टिविटी किया गया है। इससे 49 वाणिज्य कर कार्यालय एवं पांच चेक पोस्ट को भी कनेक्ट किया गया है। इस प्रकार विस्वान के कारण राज्य मुख्यालय, जिला एवं प्रखंड मुख्यालय आपस में जुड़ गये हैं, जिससे प्रशासनिक कार्य में आसानी हो गयी है। इससे वीडियो कांफ्रेसिंग के द्वारा आपस में विभिन्न प्रकार की जानकारियां हासिल की जा रही हैं।
ई-प्रोक्योरमेंट : ई-प्रोक्योरमेंट के तहत ऑनलाइन निविदा किये जा रहे हैं जिससे निविदा प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता आयी है। उल्लेखनीय है कि 25 लाख से ऊपर के राज्य सरकार की सभी निविदाओं के लिए ई-प्रोक्योरमेंट प्रक्रिया अनिवार्य बना दिया गया है। इससे संवेदकों को निविदा भरने में काफी आसानी हो गयी है।
इंटेगरेटेड वर्कफ्लो एंड डाक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम : इंटेगरेटेड वर्कफ्लो एंड डाक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम स्वचालित कार्यालय प्रबंधन का एक सिस्टम है। इससे प्रशासन में क्षमता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित हुआ है। इस प्रणाली के लागू हो जाने से मुकदमा दायर होने के कुछ ही घंटों के अंदर इस स्वचालित प्रणाली के द्वारा संबंधित विभाग एवं प्रशासन को याचिका की स्कैन प्रतिलिपि ऑन लाइन उपलब्ध हो जाती है। इस प्रणाली का उपयोग सभी विभागों एवं जिला प्रशासन द्वारा अनुश्रवण हेतु किया जा सकता है।
कंप्रिहेंसिव ट्रेजरी मैनेजमेंट एवं इंफॉरमेशन सिस्टम : कंप्रिहेंसिव ट्रेजरी मैनेजमेंट एवं इंफॉरमेशन सिस्टम एक ऐसा एकीकृत सॉफ्टवेयर है, जिसके माध्यम से ऑनलाइन बजटिंग, आवंटन एवं खर्च का ऑनलाइन अनुश्रवण किया जाता है। है। इस सॉफ्टवेयर के द्वारा सभी 71 कोषागारों एवं 59 फैसीलीटेशन सेंटरों को जोड़ा गया है।
स्टेट सर्विस डिलीवरी गेटवे : स्टेट सर्विस डिलीवरी गेटवे के द्वारा राज्य के आठ सेवाओं को ऑनलाइन किया गया है। इसके द्वारा राज्य के सभी प्रकार के गवर्नमेंट-टू-सिटिजन एवं गवर्नमेंट-टू- बिजनेस सेवाओं के पेमेंट, एसएसएस एवं ई-मेल जैसे सेवा प्रदान किया जाता है।
इस तरह बिहार में नेटवर्कयुक्त समाज का निर्माण हो रहा है। सरकार और आम नागरिकों के बीच परस्पर वार्तालाप एवं संचार के लिए एक मंच तैयार किया है तथा इससे निर्णय करने की प्रक्रिया में नागरिकों का योगदान बढ़ा है। सरकार में लोगों का विश्वास बढ़ा है और शासन एवं शासित के बीच संबंध प्रगाढ़ हुए हैं। अतएव ई-प्रशासन नौकरशाही की अकर्मणयवादी प्रवृत्तियों को रोकने तथा सरकार की व्यवस्था को आम नागरिकों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही है, लेकिन सरकार को इसके लिए और कदम उठाने होंगे।
 सारथी एवं वाहन सॉफ्टवेयर : सारथी एवं वाहन सॉफ्टवेयर के माध्यम से वाहनों का ई-रजिस्ट्रेशन कराना, करना तथा अनुज्ञप्ति बनवाना आसान हो गया है। इसके कारण अब जिला परिवहन कार्यालयों में लंबी कतारों में इंतजार नहीं करना पड़ता है। स्मार्ट कार्डयुक्त लाइसेंस बहुत ही कम समय में प्राप्त हो जा रहा है।
आवास सॉफ्टवेयर : इसके अलावा इंदिरा आवास योजना का अनुश्रवण के लिए केंद्र सरकार द्वारा विकसित आवास सॉफ्टवेयर को राज्य के सभी जिलों में लागू किया गया है। इसके तहत अब तक के लाभार्थी की विवरणी की प्रविष्टि करायी जा रही है। प्रिया सॉफ्ट के माध्यम से पंचायती राज संस्थानों के द्वारा क्रियान्वित योजनाओं एवं लेखा की भी प्रविष्टि करायी जा रही है।
ई-पंचायत एवं ई-ग्राम: बिहार के कई पंचायत एवं गांव सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर ई-प्रशासन की दिशा में एक नया आयाम को जोड़ा है। कई पंचायतें अब हाईटेक हो गयी हैं। कई मुखिया, जो पहले कंप्यूटर का माउस तक नहीं
पकड़ते थे, अब धड़ल्ले से इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। कई पंचायतों की सभी प्रकार की जानकारियां वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। देश में पहली बार महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण देने वाला बिहार ई-पंचायत एवं ई-ग्राम के द्वारा ई-शासन को बढ़ावा देने में भी आगे आ रहा है।
कई पंचायतों के अपने वेबसाइट एवं पोर्टलः राज्य के कई पंचायतों ने अपने पंचायत का वेबसाइट एवं पोर्टल बनाया है। पश्चिमी चंपारण की एक दर्जन से अधिक पंचायतों ने अपना वेबसाइट और पोर्टल तैयार किये हैं, जैसे बैकुंठा, झकरा, जगदीशपुर, शिवराजपुर आदि। इन पंचायत के वेबसाइट पर लॉगइन करते ही सभी प्रकार की सूचनाएं, चाहे वहां का इतिहास हो, भूगोल हो या आर्थिक विकास हो, आसानी से मिल जा रही हैं। मुखिया से बात करने के लिए लोगों को फोन या मोबाइल का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं है। वे इंटरनेट के जरिये अपना सुझाव और अपनी शिकायत उन्हें भेज सकते हैं।
ई-शासन के अन्य उपाय : इस प्रकार राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से नयी-नयी परियोजनाओं को लागू कर सरकार ने ई-प्रशासन को बढ़ावा देने का काम किया है, जिससे आम नागरिक को काफी सहूलियत हुई है। प्रशासनिक एवं योजनागत लागत में कमी आयी है, कार्यक्षमता में बढ़ोतरी हुई है। व्यापार जगत और ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण सेवा का लाभ मिल रहा है। योजनाओं एवं सेवाओं में पारदर्शिता आयी है, भ्रष्टाचार विरोधी आवाज तेज हुई है, प्रशासन एवं आम जनता दोनों में जवाबदेही आयी है।
अतः हम कह सकते हैं कि 21वीं सदी में ई-शासन हमारे संविधान के उद्देश्यों जैसे स्वतंत्रता, समानता, जवाबदेही, आदि को सुनिश्चित करने में एक मिल का पत्थर साबित हो रहा है। तथा साथ ही साथ सरकार को नागरिकों के प्रति जवाबदेही बनाकर भारतीय लोकतंत्र को मजबूत कर रहा है। तथा वैविक आकांक्षाओ जैसे सतत विकास लक्ष्यो की पूर्ती में भी सहायक बन रहा है।
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Sujeet Jha

Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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