तत्वों का वर्गीकरण (Classification of Elements)

तत्वों का वर्गीकरण (Classification of Elements)

तत्वों का वर्गीकरण (Classification of Elements)

तत्वों को उनके गुणों में समानता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। वर्तमान में अब तक 118 तत्व ज्ञात हैं जिनमें से 98 तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं जबकि शेष तत्व मानव निर्मित हैं। तत्वों के वर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य 118 तत्वों के अध्ययन को सुविधाजनक, क्रमबद्ध और व्यवस्थित बनाना है।
आवर्ती वर्गीकरण (Periodic Classification)
तत्वों को इस प्रकार व्यवस्थित करना कि समान गुणधर्मों वाले तत्व एक नियमित अन्तराल के पश्चात् पुनः प्रकट हों, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण या आवर्ती व्यवस्था (periodic arrangement) कहलाती है।
डॉबेराइनर (Dobereiner) ने तत्वों को त्रिक (triads) में वर्गीकृत किया और बताया कि प्रत्येक त्रिक में बीच वाले तत्व का परमाणु भार तथा गुणधर्म शेष दोनों तत्वों के परमाणु भार तथा गुणों के औसत है।
न्यूलैण्ड्स (Newlands) ने अष्टक सिद्धान्त (law of octaves) दिया और बताया कि जब तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो प्रत्येक आठवाँ तत्व गुणों में प्रथम तत्व के समान है जैसा कि संगीतिक स्वर। लेकिन सभी ज्ञात तत्वों को व्यवस्थित करने में ये असफल रहे। इस दिशा में प्रथम प्रभावी प्रयास मेण्डेलीफ ने किया ।
मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleef’s Periodic Table)
मेण्डेलीफ ने विभिन्न तत्वों के ऑक्साइडों तथा हाइड्राइडों के सूत्र और गुणधर्मों का अध्ययन किया तथा उनके तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर एक नियम दिया जिसे मेण्डेलीफ का आवर्त नियम (Mendeleef’s periodic law) कहा जाता है। इसके अनुसार, “तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।” अर्थात् यदि तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया जाए तो एक नियमित अन्तराल के पश्चात् समान गुणधर्म वाले तत्व पुनः प्रकट होते हैं। मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी, मेण्डेलीफ के आवर्त नियम का सारणी रूप में निरूपण है। इसमें ऊर्ध्व स्तम्भों को समूह (groups) तथा क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त (periods) कहा गया है। मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी में 8 समूह और 7 आवर्त थे।
मेण्डेलीफ ने परमाणु भार के सम्बन्ध के साथ समान प्रकृति के तत्वों को समान समूह में रखा।
मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी के लक्षण (Characteristics of Mendeleef’s Periodic Table) 
(i) रासायनिक गुणों की दृष्टि से कुछ तत्वों को सही समूह में रखने के लिए मेण्डेलीफ ने तत्वों के कुछ युग्मों के क्रम को पलट दिया। उदाहरण कोबाल्ट (परमाणु द्रव्यमान 58.9), निकैल (परमाणु द्रव्यमान 58.7) से पहले दिखाई पड़ता है।
(ii) मेण्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान नए तत्वों के लिए छोड़ दिए थे, जो उस समय खोजे नहीं गए थे। उदाहरण एका-बोरॉन, एका ऐलुमिनियम और एका सिलिकॉन जिनके गुणधर्म बाद में खोजे गए तत्वों स्केण्डियम, गैलियम और जर्मेनियम के समान थे।
मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी के लाभ (Advantages of Mendeleef’s Periodic Table)
यह सारणी सहायक पाई गई
(i) तत्वों के सुविधाजनक अध्ययन में।
(ii) नए तत्वों के गुणों की भविष्यवाणी करने में।
(iii) तत्वों की संयोजकता ज्ञात करने में |
(iv) वास्तविक परमाणु भारों को ज्ञात करने में।
मेण्डेलीफ के वर्गीकरण की सीमाएँ (Limitations of Mendeleef’s Classification)
(i) वह अपनी आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को उचित स्थान नहीं दे सके।
(ii) तत्वों के समस्थानिकों के लिए आवर्त सारणी में कोई निश्चित स्थान नहीं था ।
(iii) एक तत्व से दूसरे तत्व की ओर बढ़ने पर परमाणु द्रव्यमान नियमित रूप से नहीं बढ़ते । अतः यह अनुमान लगाना कठिन हो गया कि तत्वों के बीच कितने तत्व खोजे जा सकते हैं।
(iv) कुछ समान गुणधर्मों वाले तत्वों को विभिन्न समूहों में रखा गया (जैसे Cu और Hg; Ag और Tl; Au और Pt को अलग रखा गया)। इसी प्रकार कुछ तत्व जो गुणों में भिन्नता रखते हैं उन्हें एक साथ रखा गया है जैसे समूह – 8 में तीन-तीन तत्वों को एक साथ रखा गया है, जो गुणधर्मों में भिन्न हैं। इसी प्रकार कॉपर, सिल्वर और गोल्ड को क्षार धातुओं के साथ समान समूह-1 में रखा गया है जो रासायनिक रूप से भिन्न हैं।
(v) धातुओं और अधातुओं को इस आवर्त सारणी में अलग से नहीं रखा गया है।
◆ मेण्डेलीफ के समय तक केवल 63 तत्व ज्ञात थे, जब उन्होंने आवर्त सारणी की संरचना की उस समय तक अक्रिय गैसों की खोज नहीं हुई थी।
आधुनिक आवर्त सारणी ( Modern Periodic Table)
इसे मोज़ले ने सन् 1913 में प्रस्तुत किया। यह मोज़ले की खोज कि परमाणु क्रमांक तत्व का अधिक मौलिक गुण है, पर आधारित है। यह आधुनिक आवर्त नियम (modern periodic law) का सारणी रूप है जिसके अनुसार, “तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।” यह सारणी मेण्डेलीफ की सारणी के सभी दोषों को दूर करती हैं।
समय-समय पर आवर्त सारणी के विभिन्न स्वरूप प्रस्तुत किए गए हैं। परन्तु इसका आधुनिक स्वरूप जिसे आवर्त सारणी का दीर्घ स्वरूप कहते हैं बहुत सरल और उपयोगी है।
आवर्त सारणी का दीर्घ स्वरूप (Characteristics of Long Form of Periodic Table) 
(i) इस आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त (periods) तथा ऊर्ध्वाधर स्तम्भों को वर्ग (groups) कहते हैं।
(ii) आवर्त सारणी में कुल 18 समूह और 7 आवर्त हैं।
(iii) समान बाह्य इलेक्ट्रॉन विन्यास वाले तत्वों को ऊर्ध्वाधर स्तम्भों ( समूहों या परिवारों) में रखा गया है। यही कारण है कि एक समूह के तत्वों के समान रासायनिक गुणधर्म होते हैं।
(iv) आवर्त संख्या आवर्त में तत्व की अधिकतम मुख्य क्वाण्टम संख्या (n) को दर्शाती है। प्रत्येक आवर्त यह दर्शाता है कि एक नया कोश इलेक्ट्रॉनों से भरा गया है।
(v) प्रथम आवर्त में 2 तत्व उपस्थित हैं इसके बाद के आवर्तों में क्रमशः 8, 8, 18 और 32 तत्व हैं। सातवाँ आवर्त अपूर्ण है। सैद्धान्तिक रूप से इसमें भी तत्वों की अधिकतम संख्या 32 होगी।
(vi) इस आवर्त सारणी में छठवें एवं सातवें आवर्त के क्रमशः लैन्थेनॉइड और ऐक्टिनॉइड के 14-14 तत्व नीचे अलग से रखे गए हैं।
आवर्ती के लक्षण (Characteristics of Periods)
(i) किसी आवर्त में बाईं से दाईं जाने पर संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 से 8 तक बढ़ती है।
(ii) किसी आवर्त में तत्वों के क्रमवार परमाणु क्रमांक हैं।
(iii) किसी आवर्त में बाई से दाई जाने पर हाइड्रोजन के प्रति तत्वों की संयोजकता पहले 1 से 4 तक बढ़ती है फिर शून्य तक घटती है।
(iv) परमाणु त्रिज्या विद्युत धनात्मक लक्षण, धात्विक गुण, तत्वों की अपचायक प्रवृत्ति तथा ऑक्साइड़ों की क्षारीय प्रकृति, ये सभी गुण आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर घटते हैं।
(v) ऋणविद्युती लक्षण, अधात्विक गुण, ऑक्साइडों की अम्लीय प्रकृति, आयनन विभव में किसी आवर्त में बाई से दाईं ओर जाने पर वृद्धि होती हैं। किसी आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर विद्युत ऋणात्मकता और इलेक्ट्रॉन बन्धुता में भी वृद्धि होती है।
समूहों के लक्षण (Characteristics of Groups)
(i) आवर्त सारणी में किसी समूह के सभी तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
(ii) किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या, धनविद्युती लक्षण, धात्विक प्रकृति, तत्वों की अपचायक प्रकृति तथा ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति में वृद्धि होती है।
(iii) आवर्त सारणी में किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ऋणविद्युती प्रकृति, आयनन विभव, इलेक्ट्रॉन बन्धुता, विद्युत ऋणात्मकता, अधात्विक प्रकृति और ऑक्साइडों की अम्लीय प्रकृति में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ कमी आती है।
(iv) समूह में नीचे जाने पर धातुओं की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है लेकिन अधातुओं की क्रियाशीलता घटती है।
तत्वों के प्रकार (Types of Elements)
तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास आवर्ती वर्गीकरण के लिये सैद्धान्तिक मूलाधार उपलब्ध कराता है। एक ही समूह या परिवार में उपस्थित तत्वों के रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं क्योंकि इनके बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या और वितरण एक ही प्रकार का होता है।
संयोजी इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले कक्षकों के प्रकार के आधार पर तत्वों को निम्न चार ब्लॉक में वर्गीकृत किया गया है
s-ब्लॉक तत्व (s-Block Elements)
(i) इन तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रॉन s- कक्षक में प्रवेश पाते हैं।
(ii) आवर्त सारणी के समूह 1 और 2 (IA और II A) इस ब्लॉक के तत्व हैं।
(iii) आवर्त सारणी का समूह 1 (IA) सामूहिक रूप से क्षारीय धातुएँ (alkali metals) कहलाते हैं।
(iv) आवर्त सारणी का समूह 2 (IIA) सामूहिक रूप से क्षारीय मृदा धातुएँ (alkaline earth metals) कहलाते हैं।
(v) 8-ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्षारीय धातुओं के लिए [उत्कृष्ट गैस] ns2 तथा क्षारीय मृदा धातुओं के लिए [उत्कृष्ट गैस] [ns है।
(vi) ये तत्व नर्म धातुएँ धनविद्युती हैं तथा क्षारीय ऑक्साइड बनाती हैं।
p-ब्लॉक तत्व (p-Block Elements) है। 
(i) p-ब्लॉक तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रॉन p-कक्षक में प्रवेश पाते हैं।
(ii) इनके संयोजी कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np1-6  हैं।
(iii) आवर्त सारणी में समूह-13 से 18 (III A से VIII A) p-ब्लॉक तत्व हैं।
(iv) यह अकेला ब्लॉक है जिसमें धातु, अधातु तथा उपधातु सभी हैं।
(v) इस ब्लॉक के भारी सदस्य अक्रिय युग्म प्रभाव (inert pair effect) दर्शाते हैं, अर्थात् इनमें निम्न संयोजकता अधिक स्थायी है जैसे लैड के लिए + 4 संयोजकता की अपेक्षा + 2 संयोजकता अधिक स्थायी है। इसी प्रकार Tl में + 3 संयोजकता की अपेक्षा + 1 संयोजकता अधिक स्थाई है।
अनअनसेप्टियम, हाल ही में खोजा गया एक सबसे भारी रासायनिक तत्व है जिसका परमाणु क्रमांक 117 है तथा जिसे आवर्त सारणी में समूह-17 का सदस्य माना गया है और पाँच हैलोजनों (फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन व ऐस्टेटीन) के नीचे रखा गया है। इसका संश्लेषण सर्वप्रथम डुबना, रूस में, अमेरिका और रूस के संयुक्त प्रयासो से 2010 में किया गया था।
सन् 2014 में जर्मनी के जीएसआई हैल्महोल्ट्ज सेंटर में भी 2010 के प्रयास को दोहराने का दावा किया है। अनअनसेप्टियम तत्व का अस्थायी नाम है। इसे सामान्यत: “117-तत्व” भी कहते हैं।
d-ब्लॉक तत्व (d-Block Elements)
(i) इन तत्वों को संक्रमण तत्व कहा जाता है (जिंक, कैडमियम और मर्करी के अतिरिक्त) ।
(ii) d-ब्लॉक तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रॉन d-कक्षक मे प्रवेश पाते हैं।
(iii) संयोजी कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 1) d1-10 ns1-2  होता है।
(iv) आवर्त सारणी के इस ब्लॉक में समूह 3 से 12 तक के तत्व हैं।
(v) संक्रमण धातुओं की तीन श्रेणियाँ, 3d श्रेणी (Se से Zn), 4d श्रेणी (Y से Ca) और 5d श्रेणी (La से Hg, Ce से Lu को निकालकर) से जानी जाती है।
ƒ-ब्लॉक तत्व (ƒ-Block Elements)
(i) आवर्त सारणी का ƒ-ब्लॉक दो श्रेणियों लैन्थेनॉइडों (लैन्थेनम से आगे वाले 14 तत्व ) तथा ऐक्टिनॉइडों (ऐक्टिनियम से आगे वाले 14 तत्व) से मिलकर बना है।
(ii) लैन्थेनॉइडों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 6s2 5d0-1-24ƒ1-14 होता है।
(iii) ऐक्टिनॉइडों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अनियमित है।
(iv) इस ब्लॉक के तत्व आन्तरिक संक्रमण तत्व (inner transition elements) भी कहलाते हैं।
(v) यूरेनियम ( परमाणु क्रमांक-92) के बाद वाले तत्व मानव निर्मित हैं अर्थात् मानव द्वारा कृत्रिम रूप से संश्लेषित किए गए हैं। अतः इन्हें परायूरेनियम या संश्लेषित तत्व (transuranium or synthetic elements) भी कहते हैं। ये सभी तत्व रेडियों सक्रिय तत्व है।
उदाहरण नेप्टूनियम (Np), प्लूटोनियम (Pu),ऐमेरिशयम (Am), क्यूरियम (Cm), बर्केलियम (Bk), कैलिफोर्नियम (Cf), आइन्सटाइनियम (Es) तथा मेण्डेलीवियम (Md), आदि।
◆ s और p- ब्लॉक के तत्व सामूहिक रूप से निरूपक तत्व (representative elements) कहलाते हैं।
◆ Hg, Zn, Cu, Sc, आदि d- ब्लॉक तत्व हैं लेकिन संक्रमण तत्व नहीं हैं ।
◆ केवल हाइड्रोजन को छोड़कर s, d और f- ब्लॉक के सभी तत्व धातुएँ हैं।
आधुनिक आवर्त सारणी में प्रवृत्तियाँ अथवा आवर्ती गुण (Trends in the Modern Periodic Table: Periodic Properties)
गुण जो नियमित अन्तराल पर आवर्तित (बार-बार होते हैं) होते हैं, आवर्ती गुण (periodic properties) कहलाते हैं। ये गुण समूह या आवर्त में एक नियमित क्रम दर्शाते हैं।
(i) संयोजकता (Valency) किसी आवर्त में हाइड्रोजन के साथ तत्वों की संयोजकता सामान्यतः 1 से 7 तक बढ़ती हैं परन्तु ऑक्सीजन के साथ यह पहले 1 से 4 तक बढ़ती है फिर शून्य तक घटती है। क्षार धातुओं (जैसे सोडियम, पोटैशियम) के लिए यह एक है, क्षारीय मृदा धातुओं (जैसे मैग्नीशियम, कैल्सियम, आदि) के लिए यह दो है, ऐलुमिनियम के लिए यह तीन और नाइट्रोजन के लिए यह -3 से + 5 तक है।
(ii) परमाणु आकार (Atomic Size) यह परमाणु की त्रिज्या से सम्बन्धित है। समूह में ऊपर से नीचे जाने पर यह सामान्यता बढ़ता है क्योंकि नीचे जाने पर नया कोश जुड़ता जाता है, नाभिक और बाह्य कोश के बीच की दूरी बढ़ती जाती है।
आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर यह घटता है क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ता है। जिसके कारण यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का आकार घटता जाता है। इस प्रकार आवर्त में क्षारीय धातुओं का आकार सबसे बड़ा और हैलोजनों का आकार सबसे छोटा होता है। उत्कृष्ट गैसों के आकार इनके संगत हैलोजनों की अपेक्षा बड़े होते हैं।
(iii) आयनन ऊर्जा (Ionisation Energy ) तलस्थ अवस्था में विलगित गैसीय परमाणु से बाह्यतम इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने में जो ऊर्जा लगती है उसे तत्व की आयनन ऊर्जा कहते हैं ।
सामान्यता यह आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर बढ़ती है ऐसा प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण होता है। लेकिन समूह 2 के तत्वों (Be, Mg, Ca, Sr) की आयनन ऊर्जा समूह 13 के तत्वों (B, Al, Ga, In) की अपेक्षा अधिक होती है। इसी प्रकार समूह 15 के तत्वों (N, P, As) की आयनन ऊर्जा समूह 16 के तत्वों (O, S, Se, Te) की अपेक्षा अधिक होती है। क्योंकि समूह 13 (ns2 np1 ) तथा समूह 16 (ns2 np4) के तत्वों की अपेक्षा समूह 2 के तत्वों (ns2) तथा समूह 15 के तत्वों (ns2 np3) के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थायी होते हैं। समूह में नीचे जाने पर सामान्यता यह घटती है।
(iv) इलेक्ट्रॉन लब्धि ऐन्थैल्पी Δeg H (Electron Gain Enthalpy) जब कोई उदासीन गैसीय परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन में परिवर्तित होता है, तो इस प्रक्रिया में हुए ऐन्थैल्पी परिवर्तन को ‘इलेक्ट्रॉन लब्धि ऐन्थैल्पी’ कहते हैं। इस प्रक्रम के दौरान मुक्त ऊर्जा इलेक्ट्रॉन बन्धुता (electron affinity) कहलाती है। सामान्यता आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर यह बढ़ती है, लेकिन समूह 2, समूह 15 और समूह 18 (अर्थात् समूह-शून्य) के तत्वों के लिए इलेक्ट्रॉन बन्धुता (EA) का मान शून्य या धनात्मक होता है।
वर्ग में नीचे जाने पर यह घटती है। क्लोरीन के लिए इसका मान सर्वाधिक होता है।
(v) विद्युत ऋणात्मकता (Electronegativity) परमाणु के रासायनिक यौगिक में सहसंयोजक आबन्ध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की योग्यता की गुणात्मक माप विद्युत ऋणात्मकता है। आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर विद्युत ऋणात्मकता बढ़ती है। वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर यह घटती है। यह फ्लुओरीन के लिए सर्वाधिक है।
(vi) धात्विक गुण (Metallic Character) किसी तत्व द्वारा इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाने की प्रवृत्ति उसका धात्विक गुण है। यह आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर घटता है परन्तु वर्ग में नीचे की ओर जाने पर बढ़ता है। अतः धातुएँ आवर्त सारणी में बाईं ओर के समूहों में स्थित हैं।
(vii) अधात्विक गुण (Non-Metallic Character) किसी तत्व द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति उसका अधात्विक गुण है। यह आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर बढ़ता है परन्तु वर्ग में नीचे की और जाने पर घटता है।
(viii) घनत्व (Density) द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को घनत्व कहते हैं। यह आवर्त सारणी में नीचे जाने समूह पर तथा आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर बढ़ता है। लेकिन गोल्ड का घनत्व मर्करी की अपेक्षा अधिक होता है। स्टील, मर्करी तथा गोल्ड के घनत्वों का क्रम इस प्रकार है स्टील < मर्करी < गोल्ड।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *