नौटंकी क्या है ?

नौटंकी क्या है ?

उत्तर— नौटंकी— नौटंकी का इतिहास कुछ सौ साल पुराना है। 16 शताब्दी में, अकबर के दरबारी अबुल फजल ने आइन-ए-अकबरी लिखा था, उसमें नौटंकी का उल्लेख मिलता है। उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृन्दावन और राजस्थान के ख्याल में नौटंकी की जड़ें मिलती हैं। 19वीं शताब्दी में जब भारत में प्रिंटिंग प्रेस आया तो नौटंकी का इतिहास स्पष्ट हुआ। 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस, मथुरा और मध्य भारत में कानपुर, लखनऊ, नौटंकी प्रदर्शन कला शिक्षण के प्रमुख केन्द्र बने। हाथरस की शैली में गायन पर विशेष बल दिया जाता है, कानपुर की शैली में गायन के साथ-साथ अभिनय की भी विशेष छटा होती है । इस शैली का विकास अंग्रेजी के शासन काल, 19वीं तथा 20वीं शताब्दी के मध्य हुआ। कानपुर शैली में गद्य डायलॉग पारसी थियेटर की देन है और इसको मिलाकर हाथरसी गायन में एक नया तरीका उभरा । हाथरसी की अपेक्षा कानपुरी में गायन तीव्रता से होता है।
20वीं शताब्दी के आरम्भ में नौटंकी बहुत लोकप्रिय हुआ, कुछ विशिष्ट समूह उभरे जो नौटंकी का सुन्दर प्रदर्शन करते थे इन्हें मण्डली और अखाड़ा के नाम से जाना जाता था। नौटंकी की मण्डली को अखाड़ा के नाम से इसलिए भी जाना गया, क्योंकि नौटंकी प्रदर्शन में बहुत शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है। भारत के छोटे नगरी और गाँवों में नौटंकी मनोरंजन का मुख्य साधन होता था । परन्तु इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उदय के बाद नौटंकी का प्रभाव कम हो गया। नौटंकी के प्रसंग पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ हैं। 20वीं शताब्दी के आरम्भ में अंग्रेजी सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा उभर रहा था, उस समय सुल्ताना डाकू, जलियाँवाला बाग और अमर सिंह राठौर नौटंकी बहुत लोकप्रिय रहे ।
वर्तमान समय में नौटंकी ‘बोली’ के तनाव में है। अब दर्शकों की आकांक्षाएँ परिवर्तित हो गयी हैं, उनका झुकाव सिनेमा और टेलीविजन की ओर हो गया है ।
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