मौखिक अभिव्यक्ति के विकास हेतु विद्यालय में कौन-कौन सी क्रियाओं का आयोजन किया जाना चाहिए ?

मौखिक अभिव्यक्ति के विकास हेतु विद्यालय में कौन-कौन सी क्रियाओं का आयोजन किया जाना चाहिए ? 

                                             अथवा
विद्यार्थियों की मौखिक अभिव्यक्ति का विकास करने के लिए किन क्रियाकलापों को अपनाना चाहिए?
                                            अथवा
मौखिक अभिव्यक्ति को सशक्त करने के साधन लिखिये ।
उत्तर— मौखिके रचना की कला में निपुण होने पर सभी छात्र लिखित रचना में कुशलता प्राप्त कर लेते हैं। मौखिक अभिव्यक्ति का उद्देश्य छात्रों की झिझक मिटा कर उनमें सरल, रुचिकर तथा मधुर व्याख्यान देने की योग्यता उत्पन्न करना है। छात्रों की अभिव्यक्ति में शुद्धता, सरलता, स्पष्टता, मधुरता, सुबोधता, स्वाभाविकता, शिष्टता तथा प्रवाहिकता आ जाये इसके लिए शिक्षक को निम्नलिखित विधि का उपयोग करना चाहिए—
(1) प्रश्नोत्तर– प्रश्नोत्तर मौखिक शिक्षा देने की एक उत्तम विधि है। किसी विषय अथवा पाठ्यवस्तु को पढ़ाते समय बीच-बीच में प्रश्न पूछने चाहिए। छात्रों से शुद्ध व स्पष्ट भाषा में पूर्ण वाक्यों में उत्तर स्वीकार करने चाहिए। अशुद्ध उत्तरों को छात्रों द्वारा ही शुद्ध कराया जाना चाहिए।
(2) वार्तालाप– मौखिक कार्य के लिए बालक के विचारों की द्योतक भाषा को स्पष्ट एवं क्रमबद्ध रखने की आवश्यकता होती हैं । प्रारम्भ में बालकों का पारस्परिक वार्तालाप एवं शिक्षक तथा कक्षा से वार्तालाप होना चाहिए। प्रत्येक छात्र को वार्तालाप के लिए प्रेरित करना चाहिए । वार्तालाप का विषय बालकों के ज्ञान व अनुभव के दायरे में ही होना चाहिए। वार्तालाप में छात्रों से प्रश्न पूछकर उनसे उत्तर निकलवाने चाहिए।
(3) वाद-विवाद– वाद-विवाद प्रतियोगिता मौखिक भाव प्रकाशन का उत्तम साधन है। वाद-विवाद में बालक पूर्व निर्धारित विषय पर विचार विनिमय करते हैं। इससे बालक कक्षा के समस्त छात्रों के सम्मुख विषय के पक्ष तथा विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। इसमें भाग लेने वाले सभी छात्र बड़े ओज तथा उत्साह से बोलना सीख जाते हैं।
(4) सस्वर वाचन– पाठ्यपुस्तक पढ़ाते समय सर्वप्रथम शिक्षक को प्रस्तुत अनुच्छेद का वाचन करना चाहिए तथा फिर बालकों से सस्वर वाचन कराना चाहिए। सस्वर वाचन प्रभावोत्पादक होना चाहिए ताकि श्रोतागण प्रभावित हो सके । सस्वर वाचन में स्पष्ट तथा शुद्ध रीति से उच्चारित करना, स्पष्ट शब्दोच्चारण, प्रत्येक ध्वनि को मधुरता के साथ निकालना, प्रत्येक शब्द को अन्य शब्दों से अलग कर उचित बल व विराम चिह्नों के साथ पढ़ना आदि आते हैं। सस्वर वाचन करने से बालकों की मौखिक अभिव्यक्ति सम्बन्धी शंकाएँ तथा संकोच दूर हो जाते हैं।
(5) चित्रवर्णन– बालक चित्र देखने में बड़ी रुचि रखते हैं । वह चित्रों से आकर्षित होता है, उन्हें बनाना चाहता है तथा चित्रों को देखकर कुछ बोलना चाहता है। मौखिक अभिव्यक्ति के लिए बालकों से वर्णन करवाया जाये तथा चित्रों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर पूछे जायें। चित्रों द्वारा बालकों से मौखिक कहानी कहलवायी जाये। चित्र कक्षा के स्तर के अनुकूल होने चाहिए।
(6) भाषण– भाषण का विषय पूर्व निर्धारित कर दिया जाता है। इस विषय पर शिक्षक द्वारा छात्रों को भाषण करने का अवसर प्रदान किया जाता है। भाषण का विषय छात्रों के मानसिक स्तर के अनुकूल होना चाहिए। छोटे-छोटे बालक अपना भाषण तैयार करते हैं तथा बड़ी प्रसन्नता से बोलते हैं। आवश्यकतानुसार बालकों का उचित मार्ग-दर्शन भी करना चाहिए। लैम्बोर्न (Lamborn) के अनुसार, “व्याख्या में केवल रुचि और स्वतंत्रता सबसे महत्त्वपूर्ण है, इन अवस्थाओं और इस प्रकार के अभ्यास में अपेक्षाकृत व्याकरण पर तत्त्वों की शुद्धता के शिक्षक को केवल अति आवश्यक त्रुटियों पर संकेत बनाने चाहिए और उन्हें औपचारिक पाठ के साथ कुशलता से बताना चाहिए।”
(7) कहानी सुनाना व सुनना– छोटे बच्चे कहानी सुनना बहुत पसन्द करते हैं। प्रारम्भ में बच्चों को परियों की कहानी, जानवरों की कहानी तथा किसी घटना की कहानी सुनानी चाहिए। अध्यापक को पहले स्वयं कहानी सुनानी चाहिए। उसके पश्चात् बालकों से सुननी चाहिए। इससे श्रवण कौशल तथा मौखिक अभिव्यक्ति कौशल का विकास होगा।
(8) कविता पाठ– बालकों की संगीत व कविता में स्वाभाविक अभिरुचि होती है। छोअी कक्षा में बच्चे की अवस्था के अनुकूल छोटेछोटे गीतों का समावेश करना चाहिए। पहले बालकों से सामूहिक गान कराया जाए। बाद में व्यक्तिगत गान के लिए प्रोत्साहित किया जाये । प्राथमिक स्तर पर बालगीत कंठस्थ कराये जायें—
उदाहरण—
जिसने सूरत चाँद बनाया,
जिसने तारों को चमकाया,
जिसने फूलों को महकाया,
जिसने चिड़ियों को महकाया,
जिसने सारा जगत बनाया,
हम उस ईश्वर के गुण गायें ।
उसे प्रेम से शीश झुकायें ।
(9) सत्संग– संत्सग के द्वारा बालक अच्छी-अच्छी बातें सीखता है। सत्संग का बालक की मौखिक अभिव्यक्ति पर बहुत प्रभाव पड़ता है सामान्यतः बालक जैसे वातावरण में रहेगा, उस पर उस वातावरण का तथा भाव अभिव्यक्ति का वैसा ही प्रभाव पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य विधियाँ व साधन हैं जिनके द्वारा बालक में मौखिक अभिव्यक्ति कौशल का विकास किया जा सकता है । इनमें नाटक, पाठ्क्रम, सहभागी क्रियाएँ कवि सम्मेलन, अन्त्याक्षरी, अनुच्छेद सार लिखना, शब्द प्रयोग, टेलीफोन पर संभाषण आदि प्रमुख हैं।
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