यू.पी.पी.एस.सी. 2022 मुख्य परीक्षा (सामान्य अध्ययन हल प्रश्न-पत्र -1)

यू.पी.पी.एस.सी. 2022 मुख्य परीक्षा (सामान्य अध्ययन हल प्रश्न-पत्र -1)

खंड – अ
1. मौर्यकालीन कला एवं स्थापत्यकला की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर : मौर्य कला चौथी और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मध्य मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत विकसित एक कला है। बौद्ध और जैन धर्म की लोकप्रियता के कारण कई स्तूपों और विहारों का निर्माण किया गया। स्तूपों में एक बेलनाकार ड्रम होता है जिसके ऊपर एक गोलाकार अण्डा, एक हार्मिका और एक छत्र होता है। उत्तर प्रदेश का पिपरहवा स्तूप सबसे पुराना है।
मौर्य स्तंभ शैल-कीर्ति स्तंभ हैं। इनमें मुख्य रूप से यष्टि, शीर्ष, फलक और शीर्ष आकृति शामिल हैं। स्तंभ के शीर्ष भाग पर बैल, शेर, हाथी आदि की आकृतियाँ उकेरी जाती थीं। मौर्य स्थलों पर यक्ष-यक्षिणी की बड़ी मूर्तियाँ एवं टेराकोटा के टुकड़े पाए गए हैं। मौर्य काल के दौरान उत्तरी काले पॉलिशदार बर्तन लोकप्रिय थे। इस प्रकार, प्राचीन भारत के ऐतिहासिक विकास में मौर्य कला और वास्तुकला की महत्त्वर्ण भूमिका है।
2. उन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए ।
उत्तरः राजा राममोहन राय भारतीय सांस्कृतिक जागृति से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति थे। उन्हें ‘भारतीय पुनर्जागरण का जनक’ कहा जाता था। भारत के पुनर्जागरण का प्रथम चरण सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों में सन्निहित था। दूसरे चरण को आधुनिकता हेतु सामाजिक खोज के उपनिवेशवाद विरोधी राजनीति के साथ सामंजस्य बिठाने के प्रयास द्वारा परिभाषित किया गया था।
उत्तर प्रदेश में, सर सैय्यद अहमद खान ने 1860 के दशक में अलीगढ़ आंदोलन की शुरुआत की। इसका उद्देश्य भारत की मुस्लिम जनता के बीच पश्चिमी वैज्ञानिक शिक्षा का प्रसार करना था। देवबंद आंदोलन की शुरुआत 1867 में उत्तर प्रदेश के देवबंद में धर्मशास्त्रियों मुहम्मद कासिम नानोत्वी और राशिद अहमद गंगोही ने की थी। यह एक ब्रिटिश विरोधी आंदोलन था, जिसका उद्देश्य मुसलमानों के उत्थान हेतु उन्हें शिक्षित करना था।
भारतीय समाज और संस्कृति के हो रहे साम्राज्यवादी विघटन के दौरान, भारतीय पुनर्जागरण ने आत्म-सम्मान और नवीन आत्मविश्वास की भावना पैदा की।
3. प्रेस की आजादी के लिये संघर्ष में राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक के योगदान का वर्णन कीजिए। 
उत्तर : वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट (1878) भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने और ब्रिटिश नीतियों के प्रति आलोचना की अभिव्यक्ति को रोकने के लिए ब्रिटिश भारत में
अधिनियमित किया गया था। बाल गंगाधर तिलक ने उदारवादी तरीकों और विचारों का विरोध किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अधिक कट्टरपंथी और आक्रामक रुख अपनाया। तिलक ने मराठी में ‘केसरी’ और अंग्रेजी में ‘मराठा’ दो समाचार पत्रों की शुरुआत की। दोनों अखबारों ने सक्रिय रूप से राष्ट्रीय स्वतंत्रता का प्रचार-प्रसार किया और भारतीयों को आत्मनिर्भरता के प्रति जागरूक होने पर बल दिया। उन पर कई बार देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। उन्होंने प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बचाव में लेख लिखने के लिए 1908 से 1914 तक मांडले जेल में 6 साल बिताए ।
तिलक ने शासकों का सामना करने की ‘पुरानी’ शैली के अंतर्गत साहस और बलिदान का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। इस कठोर अधिनियम को बाद में लॉर्ड रिपन ने निरस्त कर दिया था।
4. भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारणों का उल्लेख कीजिए तथा इस समस्या से निपटने के लिए सुझाव दीजिए। 
उत्तर : यूएन वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (WPP), 2022 के अनुसार भारत 2023 तक 140 करोड़ आबादी के साथ चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। वर्तमान में इसकी जनसंख्या वैश्विक आबादी का 17.5% है।
> जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारण:
> जन्म दर में वृद्धि
> मृत्यु दर में कमी
> अल्पायु में विवाह
> धार्मिक और सामाजिक कारण
> गरीबी
> निरक्षरता
> भारत में जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय:
> शिक्षा का प्रसार
> गर्भ निरोधकों के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना
> पुरुष नसबंदी को बढ़ावा
> परिवार नियोजन
> महिलाओं के कल्याण और उनकी स्थिति में सुधार सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश में वृद्धि करनी चाहिए। जन जागरूकता बढ़ाने और सरकार द्वारा सख्त जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों को लागू करने से देश की आर्थिक समृद्धि और जनसंख्या नियंत्रण का मार्ग प्रशस्त होगा।
5. सामाजिक सशक्तिकरण में सूचना प्रौद्योगिकी एवं अन्तरजाल ( इंटरनेट) की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। 
उत्तर: सामाजिक सशक्तिकरण स्वायत्तता और आत्मविश्वास की भावना विकसित करने की प्रक्रिया है एवं यह व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उन सामाजिक संबंधों, संस्थानों व विचारों में परिवर्तन करता है जो निर्धनों को वंचित रखते हैं और उन्हें गरीबी में रखते हैं। इंटरनेट और आईटी ने लोगों और समुदायों को सशक्त बनाया है, उन्हें ज्ञान से लैस किया है और अवसर प्रदान किए हैं। अब लोग स्थानीय और वैश्विक बाजारों के बारे में बेहतर जानते हैं एवं सेवाओं, नए बाजारों व नवाचारों का लाभ उठा सकते हैं। इंटरनेट ने अगली पीढ़ी की डिजिटल सेवाओं और उद्योगों जैसे ई-गवर्नेस, ई-एजुकेशन, सोशल मीडिया, एग्रोटेक, ई-कॉमर्स, फिनटेक, टेलीहेल्थ आदि का मार्ग प्रशस्त किया है। घृणास्पद भाषण और अफवाहें, फेक न्यूज, ऑनलाइन ट्रोलिंग और महिला सुरक्षा सोशल मीडिया पर कुछ प्रमुख चिंताएं हैं। व
भारतनेट परियोजना को ग्रामीण आबादी के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सस्ती लागत पर ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए समय पर पूरा किया जाना चाहिए ।
6. जब निर्धनता कई पीढ़ियों तक हस्तांतरित होती है, तो वह एक संस्कृति का रूप ले लेती है। स्पष्ट कीजिए। 
उत्तरः समाजशास्त्री डेनियल पैट्रिक के अनुसार लोगों के गरीबी के जाल से बाहर नहीं निकल पाने का कारण उनके मूल्य हैं।
जब हम एक गरीब परिवार में बड़े होते हैं तो हम कुछ मानदंड सीखते हैं और यह हमारे जीवन के विकल्पों और अवसरों को आकार देता है। हम उन मूल्यों को आत्मसात करते हैं, जिनके साथ हम बड़े होते हैं, जो बताता है कि गरीब अक्सर गरीब ही क्यों रह जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई बेहतर परिणाम के लिए पुराने तरीकों को छोड़कर नई तकनीकों को अपनाने की कोशिश करता है तो यह भविष्य में अनहोनी का कारण बनता है।
इस प्रकार, निरंतर व्याप्त गरीबी ने सांस्कृतिक दृष्टिकोणों, विश्वासों, मूल्यों और प्रथाओं का एक समूह उत्पन्न किया है और गरीबी की यह संस्कृति समय के साथ अस्तित्व में रहेगी, भले ही मूल रूप से इसे जन्म देने वाली संरचनात्मक स्थितियों को बदलना पड़े।
7. ‘हेरिटेज आर्क’ क्या है? पर्यटन संभावनाओं की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में इसके महत्व को रेखांकित कीजिए। 
उत्तर : उत्तर प्रदेश हेरिटेज आर्क का प्रारंभ 24 फरवरी 2015 को किया गया था। इसके अंतर्गत आगरा, लखनऊ और वाराणसी को बड़े पैमाने पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बुनियादी ढाँचे में सुधार करके ‘हेरिटेज आर्क’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि आगरा आने वाले लोग लखनऊ और वाराणसी भी आएंगे।
लखनऊ में नवाबी शासन का एक समृद्ध इतिहास रहा है और आज भी यह नवाबी शिष्टाचार के मामले में अग्रणी है। वाराणसी को हिंदू धर्म का पालना माना जाता है और यही कारण है कि विदेशी हिंदू और संस्कृत की ज्ञान की तलाश में इस पवित्र शहर में आते हैं।
पर्यटन का अर्थव्यवस्था, राज्य की छवि, रोजगार सृजन और निवेश पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, इस पहल से उत्तर प्रदेश में पर्यटकों की आमद बढ़ने की अपेक्षा है।
8. ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ क्या है ? पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस योजना हेतु चुने गये नगरों की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिये। 
उत्तर: स्मार्ट सिटी मिशन जून 2015 में शुरू किया गया एक शहरी नवीनीकरण मिशन है, जो 100 शहरों में ‘स्मार्ट सॉल्यूशंस’ अनुप्रयोग के जरिए नागरिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण जीवन सक्षम करने हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचा और स्वच्छ एवं सतत वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है ।
इस योजना के अंतर्गत चयनित यूपी के कुछ शहर वाराणसी, लखनऊ, कानपुर आदि
> कानपुर चमड़े के सामान, मसालों, होजरी आदि के लिए प्रसिद्ध है।
> लखनऊ सरकार, शिक्षा, वाणिज्य, एयरोस्पेस, वित्त, फार्मा, प्रौद्योगिकी आदि का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है।
> वाराणसी सदियों से एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र रहा है, जो अपने मलमल और रेशमी कपड़े और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है।
ऐसे शहरों की आवश्यकता है जो शहरी जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें और निवेश भी आकर्षित कर सकें। 100 स्मार्ट शहरों की घोषणा इसी दृष्टिकोण के अनुरूप है।
9. उत्तर प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं का सोदाहरण सहित विस्तृत विवरण दीजिये। 
उत्तर: एक सिंचाई परियोजना एक कृषि संस्थापन है जो फसल उगाने के लिए भूमि को नियंत्रित मात्रा में जलापूर्ति कर सकती है। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, अर्जुन सहायक नहर परियोजना और बाणसागर परियोजना उत्तर प्रदेश में किसानों को लाभान्वित करने वाली सिंचाई परियोजनाएँ हैं।
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना की लंबाई 318 किमी है, जबकि 6623 किमी लंबी नहर प्रणालियों का निर्माण किया गया है, जो इस परियोजना से जुड़ी हुई हैं। यह परियोजना क्रमश: घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदियों को जोड़ती है। इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर और महाराजगंज जिलों के 6,227 गांवों के 30 लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे।
किसानों की आय दोगुनी करने और राज्य में जल संकट को कम करने के लिए सरकार को आसन्न सिंचाई परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना चाहिए ।
10. उत्तर प्रदेश में मनाये जाने वाले विभिन्न त्योहारों का उल्लेख कीजिये |
उत्तरः अपनी धार्मिक विरासत के अलावा, उत्तर प्रदेश कई उत्सवों और समारोहों की भूमि है। यहां हिंदू और बौद्ध धर्मों के अनुसार कई उत्सव भव्य रूप से मनाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में रक्षा बंधन, वैशाखी पूर्णिमा, दशहरा, कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, गणेश चतुर्थी, दीपावली, शिवरात्रि, होली, ईद, शब-ए-बरात, क्रिसमस, बुद्ध पूर्णिमा, गुरु नानक जयंती आदि त्योहार गर्मजोशी एवं सांप्रदायिक सौहार्द्र के साथ मनाए जाते हैं। लठ मार होली एक और त्योहार है जो केवल मथुरा में मनाया जाता है। ताज महोत्सव पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई एक पहल है। उत्तर प्रदेश में भारत के सभी प्रमुख त्योहार और धार्मिक प्रयोजन भव्यता से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों के माध्यम से यह बाहरी दुनिया में धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रतिष्ठा एवं विरासत को उत्कृष्ट रूप से संप्रेषित करता है।
खंड – ब
11. गुप्तकाल को प्राचीन भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है ।
उत्तर: मौर्यों के पतन के 500 वर्षों की लंबी अवधि के पश्चात गुप्त काल के दौरान भारत का राजनीतिक एकीकरण हुआ। गुप्त साम्राज्य की अवधि 320 ईस्वी से 550 ईस्वी तक थी। इसने कला, विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में व्यापक योगदान दिया जिसने भारतीय समाज के विकास में सहायता की।
> गुप्तों का योगदान:
> आर्यभट्ट उस युग के सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञों और वैज्ञानिकों में से एक थे, जिन्होंने यह सिद्ध किया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर भी घूमती है।
> आर्यभट्ट ने शून्य प्रणाली और दशमलव प्रणाली की भी विवेचना की।
> महान कवि कालिदास ने अभिज्ञानशाकुंतलम, कुमारसंभवम, मेघदूतम आदि महाकाव्यों की रचना की।
> इस काल के दौरान शूद्रक द्वारा प्रसिद्ध संस्कृत नाटक मृच्छकटिकम् की रचना की गई थी।
> वराहमिहिर एक ज्योतिषी थे। उन्होंने बृहतसंहिता की रचना की थी।
> दिल्ली के महरौली में स्थित लौह स्तंभ इस काल की अद्भुत रचना है।
> जातक कथाओं के अनुसार बुद्ध के जीवन को दर्शाने वाले अजंता के भित्ति चित्र इसी काल में बनाए गए थे।
चीनी यात्री फाह्यान के अनुसार, मगध, जो गुप्त साम्राज्य की शक्ति का केंद्र था, शहरों और धनाढ्य लोगों से भरा हुआ था। इस प्रकार, भारतीय समाज के व्यापक विकास में गुप्त काल की भूमिका के कारण इसे भारतीय इतिहास के स्वर्णिम युग की संज्ञा दी जाती है।
12. भगत सिंह द्वारा प्रतिपादित ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : आधुनिक भारतीय इतिहास, राजनीति और सामाजिक चिंतन के पटल पर भगत सिंह सबसे प्रसिद्ध और गौरवशाली क्रांतिकारी सितारों में से एक के रूप में चमकते हैं। वे एक आधुनिक राजनीतिक विचारक थे, जिन्होंने क्रांतिकारी प्रगतिवाद की विचारधारा को अपनाया और अपनी राजनीतिक गतिविधियों में अक्षरशः इसका पालन किया। भगत सिंह ने क्रांति की परिभाषा और दायरे को व्यापक बनाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की। शब्द ‘क्रांति’ अब केवल उग्रवाद या हिंसा से जुड़ा नहीं रह गया था। ‘इंकलाब’ के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक भी थी क्योंकि वे न केवल भारत को बंधनों से मुक्त करने के लिए बल्कि जाति, पंथ, धर्म और अंधविश्वास की सदियों पुरानी भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए भी एक क्रांति चाहते थे।
असेंबली बम केस के संदर्भ में भगत सिंह के अनुसार, “जरुरी नहीं है कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो और न ही व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए इसमें कोई स्थान है। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं है । ‘क्रांति’ से हमारा तात्पर्य है कि चीजों का वर्तमान क्रम, जो कि प्रकट अन्याय पर आधारित है, को बदलना । ” एक बार उन्होंने लिखा था, “किसानों को न केवल विदेशी जुए से, बल्कि जमींदारों और पूंजीपतियों के जुए से भी खुद को मुक्त करना होगा । “
इस प्रकार, भगत सिंह का क्रांतिकारी दर्शन एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, वास्तव में स्वतंत्र, न्यायसंगत और समतावादी भारत के लिए था, जिसमें मनुष्यों द्वारा मनुष्यों का शोषण हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।
13. प्राचीन भारतीय ज्ञान के उन बिन्दुओं को स्पष्ट करिये जिनके आधार पर भारत को ‘विश्वगुरु’ अभिहित किया गया। 
उत्तरः प्राचीन भारत वराहमिहिर, आर्यभट्ट और नागार्जुन जैसे वैज्ञानिकों की उपस्थिति में गणित, चिकित्सा, भौतिकी आदि के क्षेत्र में तकनीकी रूप से उन्नत था। यह तकनीकी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर था और विश्वगुरु के रूप में पूरे विश्व में अग्रणी था ।
> कुछ प्राचीन भारतीय ज्ञान इस प्रकार हैं :
> वर्तमान विश्व में दशमलव प्रणाली (0 से 9) की सर्वाधिक प्रचलित संख्याओं का आविष्कार भारत में हुआ था। यजुर्वेद में 10 खरब तक की संख्या का वर्णन है।
> वेदांग साहित्य में ज्यामिति का वर्णन मिलता है।
> त्रिकोणमिति का ज्ञान वराहमिहिर के ‘सूर्य सिद्धांत’ (छठी शताब्दी) में दिया गया है।
> आर्यभट्ट ने पृथ्वी की वृत्ताकार आकृति और अपनी धुरी पर चक्कर लगाने के सिद्धांत की विवेचना की। उसके बाद प्रसिद्ध जर्मन खगोलशास्त्री कोपरनिकस ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया।
> वेदांग साहित्य में ज्योतिष का प्रयोग खगोल विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित था।
> सर आइजैक न्यूटन से भी पहले ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की पुष्टि की थी।
> ‘सुश्रुत संहिता’ और ‘चरकसंहिता’ प्राचीन भारत के चिकित्सा विज्ञान के विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ हैं।
> कणाद ऋषि ने सिद्ध किया था कि संसार का प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं से बना है। शिक्षा और अवधारणाओं के क्षेत्र में अपना अग्रणी स्थान पुनः प्राप्त करने के लिए हमें आँख बंद करके पश्चिम की नकल करना बंद करना होगा। हमें अपनी बौद्धिक विरासत की समझ को बढ़ाना चाहिए।
14. भारतीय समाज में निरन्तरता एवं परिवर्तन के कारकों पर प्रकाश डालिए | 
उत्तर: भारतीय समाज का सार विविध और विशिष्ट पहचानों, जातीयताओं, भाषाओं, धर्मों और पाक वरीयताओं को बनाए रखने में निहित है।
> भारतीय समाज ने इस प्रकार निरंतरता बनाए रखी है:
1. अनुकूलनशीलता: अनुकूलनशीलता समय, स्थान और अवधि के अनुसार बदलने की प्रक्रिया है। भारतीय समाज ने तरलता दिखाते हुए बदलते समय के साथ स्वयं को समायोजित किया है।
2. अनेकता में एकताः अन्तर्निहित भिन्नताओं के बावजूद अनेकता में एकता भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता है जो देश के संवैधानिक आदशों में परिलश्चित होता है।
3. सहिष्णुताः भारतीय समाज ने विभिन्न धर्मों को स्वीकार किया है और उनका सम्मान किया है एवं यह सुनिश्चित किया है कि धर्मों का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व हो ।
4. समाजीकरण: परिवार की संस्था ने यह सुनिश्चित किया है कि समाजीकरण के माध्यम से पारंपरिक मूल्य एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाते हैं।
5. विवाह, जो कभी-कभी अंतर्जातीय भी होते हैं, ने सामुदायिक मूल्यों को संरक्षित करने में सहायता की है।
हालाँकि, भारतीय समाज तकनीकी, राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों के प्रभाववश बदल रहा है। शिक्षा ने न केवल लोगों के दृष्टिकोण, विश्वासों, मूल्यों और विचारधाराओं में परिवर्तन किया है, बल्कि व्यक्तिवादी भावनाओं को भी उत्पन्न और जागृत किया है।
पारिवारिक संबंधों के प्रतिरूप पर औद्योगीकरण का प्रभाव परिवार की आत्मनिर्भरता में गिरावट और उसके प्रति दृष्टिकोण में बदलाव से भी स्पष्ट है। सर्व धर्म सम भाव ( सभी धर्मों के लिए समान सम्मान) का सिद्धांत भारत की परंपरा और संस्कृति में निहित है। हालाँकि, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भारत और इसके लोग तेजी से सामाजिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं।
15. वैश्वीकरण एवं निजीकरण को परिभाषित कीजिये इन दोनों के उद्देश्यों पर भी प्रकाश डालिये। 
उत्तर : वैश्वीकरण विभिन्न देशों के लोगों कंपनियों और सरकारों के परस्पर संपर्क और एकीकरण की एक प्रक्रिया है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश द्वारा संचालित और सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित है। वैश्वीकरण शब्द का प्रयोग आम तौर पर वस्तुओं और सेवाओं, उत्पादन के साधनों, वित्तीय प्रणालियों, प्रतिस्पर्धा, निगमों, प्रौद्योगिकी और उद्योगों हेतु बाजारों के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीयकरण का वर्णन करने के लिए किया जाता है। वैश्वीकरण के उद्देश्य वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, रोजगार सृजित करना, कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना, उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम करना और दुनिया भर में परस्पर संपर्क के जरिए अर्थव्यवस्था की प्रगति में सहायता करना आदि हैं। स्वामित्व, संपत्ति या व्यवसाय को सरकार से निजी क्षेत्र में हस्तांतरण को निजीकरण कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि निजीकरण कंपनी में अधिक दक्षता और निष्पक्षता सुनिश्चित करती है, जिससे एक सरकारी कंपनी का कोई सरोकार नहीं होता है। निजीकरण का उद्देश्य FDI की आमद को गति प्रदान करना और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) की दक्षता में सुधार करना है। FDI में वृद्धि से अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिति में सुधार होता है। इसके जरिए सार्वजनिक उपक्रमों को निर्णय लेने की स्वायत्तता देकर उनकी दक्षता में सुधार किया जाता है।
भारत की नई आर्थिक नीति की घोषणा 24 जुलाई 1991 को की गई, जिसे LPG या उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण मॉडल के रूप में जाना जाता है। वैश्वीकरण में राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ निहित होती हैं एवं इन सभी को मान्यता दी जानी चाहिए।
16. जातीय गठजोड़ धर्मनिरपेक्ष तथा राजनीतिक कारकों से उत्पन्न होते हैं न कि आदिम पहचान से चर्चा कीजिये ।
उत्तर: जाति के धर्मनिरपेक्षीकरण ने विभिन्न जातियों के लिए राजनीतिक गठबंधन करना संभव बना दिया है। ऐसी संरचनाएँ बनाने वाली जातियाँ भिन्न-भिन्न सामाजिक श्रेणी की हो सकती हैं, लेकिन उनके धर्मनिरपेक्ष हित – राजनीतिक सत्ता में हिस्सेदारी, आर्थिक अवसर या सामाजिक न्याय उन्हें अंतर जातीय संरचना बनाने के लिए प्रेरित करते हैं । भारतीय संविधान के अनुसार, लोकतांत्रिक संस्थाओं की शुरूआत के बाद भारतीय समाज काफी हद तक बदल गया है। जाति और राजनीति में एक ऐसा संबध बन गया है, जिसने दोनों को बदल दिया है। परिणामस्वरूप, जाति का धर्मनिरपेक्षीकरण हुआ जो यह दर्शाता है कि इसकी भूमिका शुद्धता और अशुद्धता के सिद्धांतों द्वारा परिभाषित अपनी पारंपरिक भूमिका तक ही सीमित नहीं है। यह सत्ता और रोजगार जैसे धर्मनिरपेक्ष हितों के लिए भी जातियों को लामबंद करने में सहायता करता है।
अपनी राजनीतिक भागीदारी के माध्यम से जाति का धर्मनिरपेक्षीकरण परंपरागत रूप से निर्मित कठोर विशेषताओं को बदलकर मौलिक समरूपता के विखंडन का कारण बनता है। यह विभिन्न स्तरों के संरेखण और पुनर्संरेखण की प्रक्रिया एवं धीरे-धीरे सामाजिक गतिशीलता की प्रक्रिया को अपनाने में सहायता करता है ।
इस प्रकार, जातिगत गठबंधन धर्मनिरपेक्ष और राजनीतिक कारकों से उत्पन्न होते हैं और मौलिक समरूपता से नहीं। जिस बात की सराहना की जानी चाहिए वह ये है कि ये हित इतने शक्तिशाली होने चाहिए कि जातियां एक-दूसरे के प्रति अपने स्वाभाविक प्रतिकर्षण को दूर कर संयुक्त मोर्चे का निर्माण कर सकें।
17. उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति के कारण, संरचना तथा सम्बन्धित मौसम का वर्णन कीजिए।
उत्तरः उष्णकटिबंधीय चक्रवात प्रचंड तूफान होते हैं जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में महासागरों से उत्पन्न होते हैं और तटीय क्षेत्रों में चले जाते हैं, जिससे तेज हवाओं, भारी वर्षा और तूफान के कारण बड़े पैमाने पर विनाश होता है।
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात उष्ण कटिबंधीय महासागरों के ऊपर उत्पन्न और गहन होते हैं। उष्णकटिबंधीय तूफानों की उत्पत्ति के कारण हैं: 
> 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाली विशाल समुद्री सतह । कोरिओलिस बल की
 उपस्थिति ।
> ऊर्ध्वाधर हवा की गति में छोटे परिवर्तन ।
> पहले से विद्यमान कमजोर निम्न दबाव का क्षेत्र या निम्न स्तर का चक्रवाती परिसंचरण।
> समुद्र तल प्रणाली के ऊपर ऊपरी विचलन।
एक परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवात की विशेषता केंद्र, जिसे आँख (अक्षु) कहा जाता है, के चारों ओर तेज सर्पिल रूप से परिसंचारी हवा होती है। परिसंचारी प्रणाली का व्यास 150 और 250 किमी के बीच हो सकता है। यह एक शांत मौसम और उतरती हवा वाला एक क्षेत्र होता है।
आँख (अक्षु) के चारों ओर अक्षुभिति (Eyewall) होती है, जहाँ वायु का प्रबल व वृत्ताकार रूप में आरोहण होता है, यह आरोहण क्षोभसीमा की ऊँचाई तक पहुँचता है। इस क्षेत्र में वायु का वेग अधिकतम होता है, जो 250 किमी प्रति घंटे तक हो सकता है। यहां मूसलाधार बारिश होती है। अक्षुभिति से वर्षा का प्रसार हो सकता और क्यूम्यलस एवं क्यूम्यलोनिम्बस बादलों की लहरें बाहरी क्षेत्र की ओर गमन कर सकती हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवात बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर के ऊपर उत्पन्न होते हैं।
18. भारत में ग्रामीण अधिवासों के प्रतिरूप को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए |
उत्तर : ग्रामीण अधिवास के प्रतिरूप घरों के निर्माण के तरीके, गाँव के आकार, आसपास की स्थलाकृति और गाँव के आकार और माप को प्रभावित करने वाले इलाके को दर्शाते हैं। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत की 68.84 प्रतिशत या दो-तिहाई से अधिक आबादी 6.4 लाख से अधिक गांवों में रहती है। इनकी सर्वाधिक संख्या ( 16.6% से अधिक) अकेले उत्तर प्रदेश में है।
प्रतिरूप से तात्पर्य बस्ती के ज्यामितीय रूप और आकार से है। भारत में पाई जाने वाली ग्रामीण बस्तियों के सबसे सामान्य प्रतिरूप हैं- रैखिक, बिसातनुमा, आयताकार, अर्धव्यास के समान, तारकीय, त्रिकोणीय, वृत्ताकार, अर्ध-वृत्ताकार, तीरनुमा, नेबुलर, टैरेस एवं टी – आकार प्रतिरूप,
 आदि ।
> ग्रामीण अधिवास के प्रतिरूप को प्रभावित करने वाले कारक हैं:
1. स्थलरूपों की आकृति: पहाड़ी ढलान, पहाड़ी और लहरदार क्षेत्र, बहती नदी या झील का नुकीला मोड़, चापाकार झीलें, तालाब का गोलाकार आकार, झील या ज्वालामुखी विवर, उत्तर भारत के मैदान ।
2. भौतिक कारकः इनमें जलवायु, जल निकासी, उच्चाव, ऊंचाई, मिट्टी क्षमता, भूजल की स्तर आदि शामिल हैं।
3. संचार तंत्र: सड़क, रेलवे, नदियाँ ।
4. सामाजिक कारकः जाति आधारित अधिवास, धर्म आधारित अधिवास ।
ग्रामीण जीवन के रूप और प्रतिरूप निरंतर बदल रहे हैं। प्रकार और प्रतिरूप स्थापत्य और ज्यामितीय परिवर्तन एवं समाज के प्रतिमान और जीवन के सांस्कृतिक तरीके में परिवर्तन के साक्षी हैं।
19. भारत में भूकम्प पेटियों का वर्णन कीजिए।
उत्तरः सरल शब्दों में, भूकंप पृथ्वी का कंपन है। यह ऊर्जा मुक्त होने के कारण होता है, जो सभी दिशाओं में गमन करने वाली तरंगें उत्पन्न करता है। ‘सीस्मोग्राफ’ नामक एक उपकरण सतह पर पहुंचने वाली तरंगों को रिकॉर्ड करता है। भारतीय मानक ब्यूरो ने देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों अर्थात् जोन-II, जोन-III, जोन-IV और जोन-V में बांटा है। इनमें से जोन V भूकंपीय रूप से सबसे अधिक जबकि जोन II सबसे कम सक्रिय है।
> जोन-V में संपूर्ण पूर्वोत्तर भारत, जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार व अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के भाग शामिल हैं।
> जोन-IV में जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के शेष हिस्से केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के निकट महाराष्ट्र के कुछ भाग और राजस्थान शामिल हैं।
> जोन-III में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीप समूह, उत्तर प्रदेश के शेष हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब के कुछ हिस्से, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।
> जोन-II के अंतर्गत भारत का शेष भाग आता है ।
भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है, इसलिए जान-माल के नुकसान को कम करने का एकमात्र उपाय इसके विरूद्ध प्रभावी तैयारी है।
20. उत्तर प्रदेश के ‘पूर्वाचल क्षेत्र’ में प्रचलित को उल्लिखित कीजिए | लोकगीतों का विवरण प्रस्तुत करते हुये उनकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए । 
उत्तरः पूर्वाचल उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग का एक भौगोलिक क्षेत्र है। यह एक समृद्ध विरासत और संस्कृति वाला क्षेत्र है।
पूर्वांचल संस्कृति की मुख्य विशेषता लोकगीतों की परंपरा है। धोबिया, कहारवा, आल्हा, पवनरिया, विदेशिया, बिरहा, चनैनी, स्वांग और चैती पूर्वाचल के लोकप्रिय लोकगीत हैं। वर्ष के दौरान विभिन्न त्योहारों पर लोकगीत गाए जाते हैं। कहरवा दीपावली पर, आल्हा, कजरी और बारहमासी बरसात और सर्दियों की रातों में और फाग होली के अवसर पर एवं चैती होली के बाद गाया जाता है। लोकगीतों की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:
> लोक संगीत के गीतों में दोहराव होता है। गीत की पहली पंक्ति महत्त्वपूर्ण होती है और आमतौर पर, अन्य पंक्तियाँ इसके साथ तुकबंदी के लिए निर्धारित की जाती हैं ।
> कुछ लोक गीतों के बोल प्रश्नावली के प्रारूप में हैं। पहले छंद में एक प्रश्न पूछा जाता है और उसके बाद के छंद प्रश्न के उत्तर होते हैं ।
> लोकगीत विभिन्न देवताओं के पौराणिक पात्रों को वास्तविक जीवन से जोड़ते हैं।
> लोक गीत अत्यंत पिछड़े वर्ग के लोगों को खड़े होने और लड़ने के लिए प्रोत्साहितकरते हैं।
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Sujeet Jha

Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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