वाद-विवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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उत्तर— वाद-विवाद—आधुनिक शैक्षिक विचारधारा के अनुसार बालक को केवल निष्क्रिय श्रोता नहीं माना जाना चाहिए, वरन् उनको सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय बनाए रखने पर जोर दिया जाना चाहिए। बालक जिस ज्ञान को क्रिया करके प्राप्त करता है वह ज्ञान स्थायी होता है। बालक को सक्रिय बनाए रखने के दृष्टिकोण से विभिन्न क्रियात्मक शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाता है उनमें से एक वाद-विवाद है। वाद-विवाद में शिक्षक और छात्र मिलकर किसी प्रकरण, प्रश्न या समस्या के सम्बन्ध में सफलतापूर्वक सामूहिक वातावरण में विचारों का आदानप्रदान करते हैं।
वाद-विवाद के रूप—विद्यालयों में वाद-विवाद दो रूपों में प्रयोग में लाए जाते हैं—
(1) अनौपचारिक वाद-विवाद–इसके संचालन हेतु किन्हीं निर्धारित नियमों या किसी पूर्व निर्धारित पद्धति की आवश्यकता नहीं है। इसमें छात्र या भाग लेने वाले किसी प्रकरण या समस्या पर स्वतन्त्रतापूर्वक विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। सामान्यत: इसमें शिक्षक ही नेतृत्व करता है।
शिक्षक के नेता के रूप में निम्नलिखित दायित्व होते हैं—
(i) वाद-विवाद के लिए प्रयुक्त की गई समस्या या प्रकरण हमेशा सम्मुख बनाए रखना, जिससे इसमें भाग लेने वाले पथभ्रष्ट न हो सकें ।
(ii) छात्रों का अधिकाधिक सहयोग प्राप्त करना ।
(iii) वाद-विवाद को संचालित करके उसे गतिशील बनाए रखना ।
(2) औपचारिक वाद-विवाद—इसमें प्रत्येक कार्य विधिवत् ढंग से किया जाता है। इसका संचालन पूर्व निर्धारित नियमों या विशिष्ट पद्धति के अनुसार किया जाता है। इस प्रकार के वाद-विवाद के लिए छात्र स्वयं में से सभापति, मन्त्री तथा अन्य पदाधिकारी चुनते हैं। वादविवाद में भाग लेने वाले सभी छात्र इन पदाधिकारियों के निर्देशन में समस्त कार्यों को करते हैं।
औपचारिक वाद-विवाद के निम्नलिखित रूप प्रचलित हैं—
(i) पैनल चर्चा (Panel)
(ii) परिसंवाद (Symposium)।
(i) पैनल चर्चा—जहाँ अधिक संख्या के कारण आपसी वादविवाद नहीं हो सके वहाँ पैनल चर्चा का उपयोग किया जा सकता है। इसमें पैनल के सदस्य अपने-अपने दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करते हैं और अपने मत का प्रतिपादन करते हैं। इस प्रकार इसमें भाषण को स्थान नहीं दिया जाता है। पैनल चर्चा की समाप्ति पर श्रोतागण अपनी शंकाओं को प्रस्तुत करते हैं। इन शंकाओं का निवारण पैनल सदस्यों द्वारा किया जाता है।
(ii) परिसंवाद—इसमें भी पैनल की भाँति चार से आठ तक छात्र किसी विषय पर विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करते हैं। इसमें प्रत्येक सदस्य को 5 से 25 मिनट का समय अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए दिया जाता है। ये समस्त सदस्य जब अपने विचार प्रस्तुत कर लेते हैं तब उसके बाद प्रश्न आमन्त्रित किये जाते हैं। ये सदस्यगण ही इन प्रश्नों के उत्तर देते हैं ।
वाद-विवाद की उपयोगिता–वाद-विवाद की निम्नलिखित उपयोगिता है—
(i) इसके द्वारा छात्रों में सहयोग एवं सहिष्णुता की भावना का विकास किया जाता है।
(ii) इसके द्वारा छात्र मिल-जुलकर कार्य करना सीखते हैं।
(iii) इसके द्वारा छात्रों में किसी वस्तु के सम्बन्ध में चिन्तन करने की शक्ति का विकास किया जाता है।
(iv) इसके द्वारा छात्र सामूहिक रूप से निर्णय करना सीख जाते हैं।
(v) यह छात्रों में स्वतन्त्र अध्ययन करने की आदत का विकास करती है ।
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