आर्थिक सुधारों का द्वितीय चरण क्या है ? भारत के आर्थिक वृद्धि में इसकी भूमिका को समझाइये।
आर्थिक सुधारों का द्वितीय चरण क्या है ? भारत के आर्थिक वृद्धि में इसकी भूमिका को समझाइये।
(44वीं BPSC/2002 )
उत्तर- आर्थिक सुधारों की शुरुआत 1991 में ‘नई आर्थिक नीति’ के साथ ही प्रारंभ हुआ, जिसके अंतर्गत उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रियाएं प्रारंभ हुईं। यद्यपि भारत की यह सुधार प्रक्रिया एक सामान्य आर्थिक नीति का अंग नहीं था, बल्कि 1990-91 के ‘आर्थिक-संकट’ समस्या का निदान था । परन्तु इन आर्थिक सुधारों का भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा। इससे प्रभावित होकर एवं सुधारों को सतत रखने के लिए सुधारों का दूसरा चरण लगभग एक दशक बाद 2000-01 में प्रारंभ किया गया । इसे सुधारों की द्वितीय पीढ़ी (Reforms of Second Generation) भी कहते हैं। इन सुधारों के निम्न तत्व हैं
1. सरकार द्वारा परिचालित प्रशासित मूल्य पद्धति (APM) को धीरे-धीरे समाप्त करना, जिसके अंतर्गत सरकार बिजली, चीनी, उवर्रक, परिवहन, दवा आदि (इन्हें विश्व बैंक आर्थिक सेवाएं कहता है एवं छूट न देने की सलाह देता है ) है पर छूट (Subsidy) देती है।
2. सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम सुधार, जिसका उद्देश्य गैर- रणनीतिक सरकारी कंपनियों का विनिवेश द्वारा निजीकरण करना है।
3. सरकार और अन्य लोक संस्थाओं में सुधार
4. वैधानिक क्षेत्र सुधार जिसके अंतर्गत कानूनों में सुधार, जैसे- श्रम कानून सुधार, कंपनी अधिनियम सुधार आदि । साथ ही नये क्षेत्रों, यथा- साइबर आदि के लिए कानून बनाना।
5. क्रांतिक क्षेत्र (Critical Areas) सुधार, जिसके अंतर्गत आधारिक संरचना क्षेत्र, कृषि और कृषि अनुसंधान, सिंचाई, शिक्षा इत्यादि क्षेत्र हैं।
द्वितीय चरण के आर्थिक सुधारों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी अच्छा प्रभाव रहा है एवं लगभग सभी क्षेत्रों में तीव्र प्रगति हुई। 2009-10 तथा 2010-11 में क्रमश: 8.0% एवं 8.6% की वृद्धि दरें अर्थव्यवस्था ने प्राप्त की। प्रति व्यक्ति आय में भी इस दौरान काफी वृद्धि हुई। 2009-10 में 2004-05 के मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय पर 44,345 रु. रही । भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है। मार्च 2010 के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार 279.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
• आर्थिक सुधारों के दूसरे चरण का प्रारंभ – 2000-01 में
• इसके प्रमुख तत्व
> प्रशासित मूल्य पद्धति (APM) को धीरे-धीरे समाप्त करना
> सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम सुधार
> वैधानिक क्षेत्र सुधार
> सरकार और अन्य लोक सेवाओं में सुधार
> क्रांतिक क्षेत्र (Critical Areas) में सुधार
• भारत के आर्थिक वृद्धि की भूमिका
> 2009-10 में – 8.0% तथा
> प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि
> 2010 – 11 में 8.6% की वृद्धि दरों की प्राप्ति
> 2009-10 में 2004-05 के मूल्यों पर 33,588 रु., जबकि वर्तमान मूल्यों पर 44,345 रु. रही ।
> विदेशी मुद्रा भंडार की वृद्धि (मार्च 2010 के अंत तक 279.1 बिलियन अमेरीकी डॉलर)
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here